देश के सबसे बड़े एग्रीकल्चर न्यूज प्लेटफॉर्म में शुमार किसान इंडिया के अन्नापूर्णा समिट 2025 के आयोजन पर केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने किसानों को खेती के भविष्य सुरक्षित करने के लिए फसल चक्र में बदलाव जरूरी है. उन्होंने अपने संदेश में कहा कि सरकार की सोच स्पष्ट है- खेती ज्यादा पानी से नहीं, सही पानी से हो. इसी भावना के तहत कृषि मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय मिलकर “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” जैसी योजनाओं को आगे बढ़ा रहे हैं. ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सूक्ष्म सिंचाई पद्धतियां न केवल पानी बचाती हैं, बल्कि फसल की उत्पादकता और किसानों की आय भी बढ़ाती हैं.
मुझे इस सम्मेलन के जरिए किसानों से मिलने का मौका मिला – राजभूषण चौधरी
केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री ने अपने संदेश में कहा –
देश के तमाम हिस्सों से आए किसान भाई बहनों को मेरा नमस्कार. जो लोग इसको डिजिटल प्लेटफॉर्म पर देख रहे हैं, उन्हें भी नमस्कार… किसान इंडिया की ओर से आयोजित इस खास सम्मेलन में कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ, प्रगतिशील किसान और वैज्ञानिक शिरकत कर रहे हैं, यह मेरे लिए अपार प्रसन्नता की बात है कि मुझे भी इस सम्मेलन के माध्यम से आप सभी महानुभावों से मिलने का मौका मिला. इसके लिए मैं किसान इंडिया परिवार का भी आभारी हूं.
किसान इस देश की शान है ….
किसान इस देश की जान है. इसलिए किसानों से जुड़े मुद्दे पर होने वाले किसी भी कार्यक्रम में शामिल होना मुझे वाकई बहुत खुशी देता है. मैं पब्लिक लाइफ में रहा हूं. इस नाते लगातार मुझे किसानों से मिलने का मौका मिलता है. बिहार से हूं, जिस धरती से मखाना और लीची जैसे कृषि उत्पाद दुनिया भर में जाते हैं. मखाना तो बिहार की खास पहचान है. यह सही है कि बिहार सहित पूरे देश में किसानों की स्थिति आजादी के बाद से बहुत अच्छी नहीं रही है. मैं डॉक्टर हूं और इस प्रोफेशन के नाते भी मुझे बीमार किसानों से बात करने का अवसर मिलता रहा है.
11 साल में किसानों को लेकर किए गए काम से तस्वीर बदली है
मैं इतना पूरे भरोसे से कह सकता हूं कि आजादी के बाद किसानों के लिए जितना काम कुछ साल पहले तक हुआ, वो किसी भी लिहाज से काफी नहीं था. माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने पिछले 11 साल में किसानों को लेकर जितना काम किया है, उसने तस्वीर बदली है. हमारी सरकार जानती है कि किसानों की तस्वीर बदलेगी, तो देश की खुशहाली की रफ्तार कई गुना तेजी से बदलना तय है.
भारत की पहचान उसकी खेती और उसकी पहचान को संजोने वाले किसान हैं. खेती केवल आजीविका का साधन नहीं है, बल्कि यह हमारी अर्थव्यवस्था, खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण जीवन की रीढ़ है. लेकिन यह भी उतना ही सच है कि खेती का भविष्य सीधे तौर पर पानी की उपलब्धता और उसके सही प्रबंधन पर निर्भर करता है.
आज देश जलवायु परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. कहीं जरूरत से ज्यादा वर्षा है तो कहीं लंबे समय तक सूखा. बारिश का भी तौर-तरीका बदला है. आपने देखा होगा कि जिस तरह की रिमझिम फुहारों को लेकर कविताएं, गीत लिखे जाते थे, वो कम हुआ है. बारिश होती है, तो एक साथ और बहुत ज्यादा होती है, जिससे जमीन का कटाव शुरू हो जाता है. बहुत सी जगहों पर भूजल का स्तर लगातार नीचे जा रहा है और खेती में पानी की खपत लगातार बढ़ रही है. ऐसे में जल शक्ति मंत्रालय की भूमिका खेती को टिकाऊ बनाने में अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है.
पानी जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी उसका संरक्षण भी
जल शक्ति मंत्रालय की प्रमुख पहल जल जीवन मिशन ने ग्रामीण भारत में ऐतिहासिक परिवर्तन लाया है. घर-घर नल से जल पहुंचाने से न केवल पीने के पानी की समस्या कम हुई है, बल्कि इसका सकारात्मक असर खेती, पशुपालन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है. महिलाओं और किसानों का समय बचा है, जिससे वे खेती से जुड़े अन्य कार्यों में अधिक सक्रिय भूमिका निभा पा रहे हैं.
इसी तरह अटल भूजल योजना के माध्यम से भूजल के संरक्षण और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा दिया जा रहा है. किसानों को यह समझाया जा रहा है कि पानी जितना ज़रूरी है, उतना ही जरूरी उसका संरक्षण भी है. यह योजना जल उपयोग की आदतों में व्यवहारिक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
सरकार की सोच स्पष्ट है— खेती ज्यादा पानी से नहीं, सही पानी से हो
इसी भावना के तहत कृषि मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय मिलकर “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” जैसी योजनाओं को आगे बढ़ा रहे हैं. ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सूक्ष्म सिंचाई पद्धतियां न केवल पानी बचाती हैं, बल्कि फसल की उत्पादकता और किसानों की आय भी बढ़ाती हैं.
आज हमें यह भी समझना होगा कि जल संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है. तालाबों, नदियों, चेक डैम, और पारंपरिक जल संरचनाओं का पुनर्जीवन एक सामूहिक प्रयास होना चाहिए. जल शक्ति मंत्रालय द्वारा चलाया गया जल संरक्षण जन आंदोलन इस दिशा में जनभागीदारी का सफल उदाहरण है.
खेती के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए हमें फसल चक्र में बदलाव, कम पानी वाली फसलों को अपनाने, और प्राकृतिक एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इससे न केवल जल संसाधनों पर दबाव कम होगा, बल्कि मिट्टी की सेहत भी सुधरेगी.
आज सरकार एफपीओ, कृषि स्टार्टअप्स और नई तकनीकों के माध्यम से किसानों को सशक्त बना रही है. डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए जल और मौसम से जुड़ी जानकारी किसानों तक समय पर पहुंचाई जा रही है, ताकि वे बेहतर निर्णय ले सकें.
अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि जल है तो कल है.
यदि हम आज पानी को नहीं बचाएंगे, तो आने वाली पीढ़ियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. इसलिए हमें जल संरक्षण को एक अभियान नहीं, बल्कि एक आदत बनाना होगा. आइए, हम सब मिलकर संकल्प लें कि हम पानी का विवेकपूर्ण उपयोग करेंगे, खेती को टिकाऊ बनाएंगे और किसानों के भविष्य को सुरक्षित करेंगे.