Today Onion Rate : महाराष्ट्र में प्याज किसानों को मंडियों में उचित रेट नहीं मिल रहा है. इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. नासिक जिला स्थित एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव (Lasalgaon Mandi) में प्याज का रेट गिरकर 500 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया है. ऐसे में किसान लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. मंगलवार यानी 1 जुलाई को लासलगांव मंडी में प्याज का मिनिमम रेट (Onion price) 500 रुपये क्लिंटल दर्ज किया गया. जबकि, मैक्सिमम प्राइस 1647 रुपये क्विंटल रहा और मॉडल प्राइस 1500 रुपये क्विंटल पहुंच गया.
वहीं, किसानों का कहना है कि प्याज की कीमतों में गिरावट आने से वे लागत नहीं निकाल पा रहे हैं. क्योंकि प्याज की खेती में लागत 2500 रुपये प्रति क्विंटल है. लेकिन मार्केट में क्वालिटी के आधार पर 500 रुपये से 1600 रुपये क्विंटल ही रेट मिल रहा है. इससे नुकसान बढ़ता ही जा रहा है. खास बात यह है कि नासिक जिले की मंडियों में प्याज का भाव बढ़ने के बजाए घट रहा है. बात अगर डिंडोरी मंडी की करें, तो 28 जून को यहां पर प्याज का मैक्सिमम रेट 2045 रुपये क्विंटल था, जो 30 जून को घटकर 1665 रुपये क्विंटल हो गया. यानी महज केवल दो दिन में ही प्याज की कीमतों में 18.58 फीसदी की गिरावट आई है.
24 घंटे में 44.17 फीसदी की गिरावट
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के मंडी आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश में भी लगभग यही हाल है. यहां पर भी प्याज की कीमतें बढ़ने के बजाए गिर रही हैं. 26 जून को सीहोर जिला स्थित आष्टा मंडी में Non-FAQ ग्रेट के प्याज का मैक्सिमम रेट 1200 रुपये क्विंटल था, अगले दिन घटकर 670 रुपये क्विंटल पहुंच गया. यानी 24 घंटे के अंदर ही कीमत में 44.17 फीसदी की गिरावट आई है. हालांकि, 1 जुलाई को सीहोर जिले की मंडियों में प्याज का मैक्सिमम रेट 1281 रुपये क्विंटल दर्ज किया गया. जबकि मिनिमम रेट 468 रुपये क्विंटल और मॉडल प्राइस 800 रुपये क्विंटल पहुंच गया.
किसानों को हो रहा नुकसान
हालांकि, प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भरत दिघोले का कहना है कि प्याज की खेती पर किसानों की लागत 2500 रुपये प्रति क्विंटल से भी ज्यादा आती है. ऐसे में जब मंडियों में प्याज का रेट सिर्फ 500 से 1000 रुपये क्विंटल मिल रहा है, तो इससे किसानों की आर्थिक हालत बहुत खराब हो रही है.
किसानों ने की मुआवजे की मांग
उन्होंने कहा कि इस समय प्याज का मंडी भाव कम से कम 3000 रुपये क्विंटल होना चाहिए था. अगर किसानों को 3000 रुपये या उससे ज्यादा दाम मिलता, तो लागत निकालने के बाद उन्हें थोड़ा मुनाफा भी हो सकता था. कम दामों की वजह से महाराष्ट्र, गुजरात जैसे कई राज्यों के किसान नाराज़ और परेशान हैं. वहीं, कीमत में गिरावट से परेशान किसानों ने सरकार से मुआवजा देने की मांग की है.