हरियाणा में धान खरीदी में आ सकती है रुकावट, राइस मिलर्स ने CMR नीति के तहत रजिस्ट्रेशन करने से किया इनकार

हरियाणा में धान की खरीद शुरू हो गई है, लेकिन CMR नीति को लेकर राइस मिलर्स ने रजिस्ट्रेशन से इनकार कर दिया है. टूटे चावल की सीमा, परिवहन समस्या और कम मुआवजे जैसे मुद्दों पर असहमति है. पिहोवा में राज्यस्तरीय बैठक के बाद आगे की रणनीति तय होगी.

नोएडा | Updated On: 23 Sep, 2025 | 10:28 PM

Haryana News: हरियाणा सरकार ने सोमवार से धान की अग्रिम खरीद शुरू कर दी है, लेकिन राइस मिलर्स ने कस्टम मिल्ड राइस (CMR) नीति के तहत रजिस्ट्रेशन करने से इनकार कर दिया है. इससे खरीद प्रक्रिया में रुकावट की आशंका बढ़ गई है. CMR नीति के तहत एजेंसियां किसानों से धान खरीदकर मिलर्स को देती हैं, जिन्हें 67 फीसदी चावल में 1 फीसदी फोर्टिफाइड राइस कर्नल (FRK) मिलाकर वापस देना होता है. लेकिन करनाल में पहले दिन एक भी मिलर ने रजिस्ट्रेशन नहीं किया.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, करनाल जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक (DFSC) अनिल कुमार ने कहा कि हमने 17 खरीद केंद्रों  पर सभी तैयारियां की हैं, लेकिन अब तक कोई रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है. राइस मिलर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सौरभ गुप्ता ने कहा कि नई नीति में टूटे चावल की सीमा 25 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दी गई है, जो असंभव है क्योंकि टूटना प्राकृतिक है. सरकार सिर्फ 2.23 से 3.33 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजा देती है, जबकि वास्तविक लागत करीब 25 रुपये प्रति क्विंटल आती है. राइस मिलर्स  ने CMR नीति को लेकर और भी कई परेशानियों की ओर इशारा किया है.

पीक सीजन में धान की आवाजाही में देरी होती है

सौरभ गुप्ता ने कहा कि परिवहन व्यवस्था बहुत खराब है. उन्होंने आरोप लगाया कि कई ट्रांसपोर्टर टेंडर  तो जीत जाते हैं, लेकिन उनके पास पर्याप्त वाहन नहीं होते. फर्जी नंबर तक दे देते हैं, जिससे पीक सीजन में धान की आवाजाही में देरी होती है. इस मुद्दे पर अगली रणनीति तय करने के लिए कल पिहोवा में राज्यस्तरीय बैठक बुलाई गई है. हरियाणा प्रदेश राइस मिलर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा ने कहा कि कुछ मिलर्स ने रजिस्ट्रेशन किया है, लेकिन टूटे चावल और बारदाने की कीमत को लेकर अभी भी स्पष्टता नहीं है. FCI दो 50 किलो के बैग पर 6 रुपये देती है, जबकि बाजार में कीमत 30 रुपये है.

अगला फैसला पिहोवा बैठक के बाद लिया जाएगा

उन्होंने ये भी कहा कि पंजाब में मिलर्स को अनलोडिंग, स्टैकिंग, रख-रखाव आदि के लिए 4.96 रुपये मिलते हैं, लेकिन हरियाणा में इस पर कुछ भी नहीं दिया जाता. छाबड़ा ने गोदाम की कमी पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि मिलर्स को पास के गोदाम  मिलने चाहिए, दूर के गोदामों से ट्रांसपोर्ट खर्च बढ़ता है, जबकि मौजूदा भाड़ा रेट्स बहुत कम हैं. अब अगला फैसला पिहोवा बैठक के बाद लिया जाएगा. बता दें कि हरियाणा में धान खरीद 22 सितंबर से शुरू हो गई है. अगर खरीद प्रक्रिया प्रभावित होती है, तो किसानों की परेशानी बढ़ जाएगी.

Published: 23 Sep, 2025 | 11:30 PM

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