उत्तर प्रदेश में ईंट भट्ठा उद्योग को लेकर जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. राज्य सरकार अब इस क्षेत्र को पर्यावरण के अनुकूल और व्यवस्थित बनाने के लिए 2012 की ईंट भट्ठा नीति में संशोधन की तैयारी कर रही है. इसका सीधा असर न सिर्फ पर्यावरण पर पड़ेगा, बल्कि इससे हजारों भट्ठा मालिकों को भी राहत मिल सकती है.
पर्यावरण बचाने की दिशा में कदम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पर्यावरण विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जीएसटी विभाग मिलकर यह सुनिश्चित करने में लगे हैं कि भट्ठों से निकलने वाला धुआं कम हो, मिट्टी की अनावश्यक खुदाई रुके और कर चोरी पर लगाम लगे.
भट्ठा उद्योग में क्या बदलने जा रहा है?
2012 में लागू की गई नीति के बाद करीब 6,500 ईंट भट्ठों को अवैध घोषित कर दिया गया था. इसका असर यह हुआ कि कई भट्ठा मालिकों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ और टैक्स वसूली भी प्रभावित हुई. अब सरकार चाहती है कि पुराने बंद पड़े भट्ठों को फिर से नियमित किया जाए, लेकिन सख्त नियमों और पर्यावरण सुरक्षा के साथ.
जीएसटी वसूली में पारदर्शिता लाने की तैयारी
हाल ही में हुई एक संयुक्त बैठक में तय किया गया है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा स्वीकृत सभी भट्ठों की सूची जीएसटी विभाग को दी जाएगी. इससे टैक्स वसूली पारदर्शी होगी और अवैध रूप से चल रहे कारोबार पर लगाम लगेगी.
अब लाल ईंट की जगह फ्लाई ऐश ब्रिक और AAC ब्लॉक
सरकार पारंपरिक लाल ईंट के विकल्प के तौर पर अब फ्लाई ऐश ईंट, एएसी ब्लॉक और पेवर ब्लॉक को बढ़ावा देने जा रही है. इससे न केवल मिट्टी की खुदाई कम होगी, बल्कि फ्लाई ऐश जैसे औद्योगिक कचरे का भी बेहतर उपयोग होगा.
नए बदलावों से क्या होगा फायदा?
- बंद भट्ठों को मिलने सकती है मान्यता
- प्रदूषण कम होगा और मिट्टी की रक्षा होगी
- टैक्स वसूली बढ़ेगी, जिससे सरकार को राजस्व मिलेगा
- पर्यावरण के अनुकूल निर्माण सामग्री को बढ़ावा मिलेगा