एक ही शेड में बकरी और मुर्गी पालकर किसान कमा रहे हैं लाखों! जानें इस ‘डबल इनकम’ फार्मिंग का राज

किसान अक्सर सोचते हैं कि ज्यादा कमाई के लिए अलग-अलग पशुपालन करना जरूरी है जैसे दूध के लिए बकरी, अंडों के लिए मुर्गी. लेकिन अगर ये दोनों काम एक साथ किए जाएं, तो खर्च भी घटता है और मेहनत भी आधी हो जाती है. बकरी का बचा चारा मुर्गियों का दाना बन जाता है, वहीं बकरी की मेंगनी से बनने वाला जैविक खाद खेतों को उपजाऊ बनाता है. नतीजा यह होता है कि एक ही सिस्टम से किसान को दूध, अंडे, मांस और खाद सबकुछ मिलता है.

नोएडा | Updated On: 28 Aug, 2025 | 02:41 PM
1 / 7पारंपरिक तरीके से अलग-अलग पशु पालने पर खर्च अधिक होता है. लेकिन जब बकरी और मुर्गी को एक साथ पाला जाता है तो बकरियों का बचा चारा मुर्गियां खा लेती हैं.

पारंपरिक तरीके से अलग-अलग पशु पालने पर खर्च अधिक होता है. लेकिन जब बकरी और मुर्गी को एक साथ पाला जाता है तो बकरियों का बचा चारा मुर्गियां खा लेती हैं.

2 / 7इससे अलग से दाना डालने की जरूरत कम हो जाती है और प्रति मुर्गी 30–40 ग्राम दाना रोज़ाना बचता है, जो महीने के हिसाब से हजारों रुपये की बचत है.

इससे अलग से दाना डालने की जरूरत कम हो जाती है और प्रति मुर्गी 30–40 ग्राम दाना रोज़ाना बचता है, जो महीने के हिसाब से हजारों रुपये की बचत है.

3 / 7बकरी और मुर्गी के लिए एक ही शेड बनाना काफी फायदेमंद है. इसे बीच में जाली लगाकर दो हिस्सों में बांटा जा सकता है. जब बकरियां बाहर जाती हैं, तो गेट खोलकर मुर्गियों को अंदर आने दिया जा सकता है ताकि वे बचा चारा खा लें. इससे सफाई की मेहनत भी कम होती है.

बकरी और मुर्गी के लिए एक ही शेड बनाना काफी फायदेमंद है. इसे बीच में जाली लगाकर दो हिस्सों में बांटा जा सकता है. जब बकरियां बाहर जाती हैं, तो गेट खोलकर मुर्गियों को अंदर आने दिया जा सकता है ताकि वे बचा चारा खा लें. इससे सफाई की मेहनत भी कम होती है.

4 / 7बकरियों की मेंगनी को फेंकने के बजाय किसान इसे कम्पोस्ट खाद में बदल सकते हैं. यह खाद पूरी तरह ऑर्गेनिक होती है और खेत की उर्वरक क्षमता बढ़ाने में मदद करती है. इससे किसान अपने ही खेत में चारा उगा सकते हैं और बाहरी चारे पर खर्च घटा सकते हैं.

बकरियों की मेंगनी को फेंकने के बजाय किसान इसे कम्पोस्ट खाद में बदल सकते हैं. यह खाद पूरी तरह ऑर्गेनिक होती है और खेत की उर्वरक क्षमता बढ़ाने में मदद करती है. इससे किसान अपने ही खेत में चारा उगा सकते हैं और बाहरी चारे पर खर्च घटा सकते हैं.

5 / 7बकरी की मेंगनी से बनी खाद की मदद से किसान अजोला भी उगा सकते हैं. अजोला एक तरह का हरा चारा है जिसमें भरपूर प्रोटीन होता है. इसे मुर्गियां और बकरियां दोनों खा सकती हैं. इससे न केवल उनकी सेहत बेहतर होती है बल्कि उत्पादन क्षमता भी बढ़ती है.

बकरी की मेंगनी से बनी खाद की मदद से किसान अजोला भी उगा सकते हैं. अजोला एक तरह का हरा चारा है जिसमें भरपूर प्रोटीन होता है. इसे मुर्गियां और बकरियां दोनों खा सकती हैं. इससे न केवल उनकी सेहत बेहतर होती है बल्कि उत्पादन क्षमता भी बढ़ती है.

6 / 7मुर्गियां सालभर में 180–200 अंडे देती हैं. यदि किसान 50–100 मुर्गियां पालते हैं, तो रोज़ाना अंडों से अच्छी खासी आमदनी हो सकती है. इसके अलावा, कुछ महीनों बाद मुर्गियों को मांस के रूप में बेचकर भी अतिरिक्त कमाई की जा सकती है.

मुर्गियां सालभर में 180–200 अंडे देती हैं. यदि किसान 50–100 मुर्गियां पालते हैं, तो रोज़ाना अंडों से अच्छी खासी आमदनी हो सकती है. इसके अलावा, कुछ महीनों बाद मुर्गियों को मांस के रूप में बेचकर भी अतिरिक्त कमाई की जा सकती है.

7 / 7बकरियों से दूध, बच्चे और खाद मिलती है, वहीं मुर्गियों से अंडे और मांस. अगर दोनों को स्मार्ट मैनेजमेंट के साथ पाला जाए तो किसान आसानी से महीने में ₹20–25 हजार तक कमा सकते हैं, वो भी कम मेहनत और कम खर्च में.

बकरियों से दूध, बच्चे और खाद मिलती है, वहीं मुर्गियों से अंडे और मांस. अगर दोनों को स्मार्ट मैनेजमेंट के साथ पाला जाए तो किसान आसानी से महीने में ₹20–25 हजार तक कमा सकते हैं, वो भी कम मेहनत और कम खर्च में.

Published: 28 Aug, 2025 | 02:40 PM