मुर्गी पालन में इन नस्‍लों का रखें ध्‍यान, बन जाएंगे करोड़पति

मुर्गी पालन या कुक्कुट पालन आज एक अच्‍छे मुनाफे का काम बन चुका है. कम से कम लागत में इसमें ज्‍यादा से ज्‍यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. मुर्गी पालन के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं भी चलाई जा रही है.

Kisan India
Agra | Published: 6 Mar, 2025 | 12:30 PM
1 / 5मुगी पालन के लिए दो प्रकार की नस्लों का उपयोग किया जाता है, देसी या लोकल और दूसरी इंप्रूव्‍ड ब्रीड्स या उन्‍नत नस्‍लें. भारत में विकसित उन्‍नत नस्लें, स्थानीय नस्लों के मुकाबले दो से तीन गुना ज्‍यादा उत्पादन देती हैं. इसलिए किसान अपने आंगन में कुक्कुट पालन के लिए इन नस्लों का चयन कर सकते हैं.

मुगी पालन के लिए दो प्रकार की नस्लों का उपयोग किया जाता है, देसी या लोकल और दूसरी इंप्रूव्‍ड ब्रीड्स या उन्‍नत नस्‍लें. भारत में विकसित उन्‍नत नस्लें, स्थानीय नस्लों के मुकाबले दो से तीन गुना ज्‍यादा उत्पादन देती हैं. इसलिए किसान अपने आंगन में कुक्कुट पालन के लिए इन नस्लों का चयन कर सकते हैं.

2 / 5कुक्कुट अनुसंधान निदेशालय (डीपीआर) हैदराबाद व केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई), बरेली और इनके केंद्रों की ओर से मुर्गियों की कुछ उन्‍नत प्रजातियां विकसित की गई है, जिनका पालन करके किया जा सकता है जिनमें वनराजा, ग्रामप्रिया, श्रीनिधि, कृषिब्रो, कृषि लेयर, जनप्रिया, वनश्री, नर्मदानिधि, हिमसमृद्धि, कामरूप, झारसीम और कुछ और प्रजातियां शामिल हैं.

कुक्कुट अनुसंधान निदेशालय (डीपीआर) हैदराबाद व केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई), बरेली और इनके केंद्रों की ओर से मुर्गियों की कुछ उन्‍नत प्रजातियां विकसित की गई है, जिनका पालन करके किया जा सकता है जिनमें वनराजा, ग्रामप्रिया, श्रीनिधि, कृषिब्रो, कृषि लेयर, जनप्रिया, वनश्री, नर्मदानिधि, हिमसमृद्धि, कामरूप, झारसीम और कुछ और प्रजातियां शामिल हैं.

3 / 5इनका पालन करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.  आईसीएआर-सीएआरआई की ओर से भी मुर्गी की उन्नत नस्लें विकसित की गई है जिनमें कलिंग ब्राउन, कावेरी, ऐसिल, क्रॉस, चाब्रो-सीपीओडी द्वारा विकसित नस्ले शामिल हैं.

इनका पालन करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. आईसीएआर-सीएआरआई की ओर से भी मुर्गी की उन्नत नस्लें विकसित की गई है जिनमें कलिंग ब्राउन, कावेरी, ऐसिल, क्रॉस, चाब्रो-सीपीओडी द्वारा विकसित नस्ले शामिल हैं.

4 / 5मुर्गी पालन में फायदा हो इसके लिए किसानों को चार से छह सप्ताह की उम्र की मुर्गियां खरीदनी चाहिए. इन्‍हें कम देखभाल की जरूरत होती है और एक दिन के पुराने चूजों की तुलना में मृत्यु दर भी कम होती है.

मुर्गी पालन में फायदा हो इसके लिए किसानों को चार से छह सप्ताह की उम्र की मुर्गियां खरीदनी चाहिए. इन्‍हें कम देखभाल की जरूरत होती है और एक दिन के पुराने चूजों की तुलना में मृत्यु दर भी कम होती है.

5 / 5मुर्गी पालन योजना के तहत अलग–अलग राज्य में वहां के नियमानुसार सब्सिडी का लाभ किसानों को प्रदान किया जाता है. किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से मुर्गी पालन योजना को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इस योजना के तहत किसानों को पोल्ट्री फार्म खोलने के लिए सब्सिडी व लोन का लाभ प्रदान किया जाता है.

मुर्गी पालन योजना के तहत अलग–अलग राज्य में वहां के नियमानुसार सब्सिडी का लाभ किसानों को प्रदान किया जाता है. किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से मुर्गी पालन योजना को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इस योजना के तहत किसानों को पोल्ट्री फार्म खोलने के लिए सब्सिडी व लोन का लाभ प्रदान किया जाता है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 6 Mar, 2025 | 12:30 PM

अमरूद के उत्पादन में सबसे आगे कौन सा प्रदेश है?

Side Banner

अमरूद के उत्पादन में सबसे आगे कौन सा प्रदेश है?