फसलों में जान फूंक देगी चूल्हे की राख, पाले का भी नहीं होगा असर.. बस ऐसे करें इस्तेमाल
पाला के चलते तुअर, केला, पपीता और सब्जियों की फसलें खराब होने के कगार पर पहुंच गई हैं. ऐसे में कृषि विशेषज्ञों ने फसल को बचाने के लिए कुछ उपाय बताए हैं. इन उपायों के ऊपर किसानों को ज्यादा खर्च भी नहीं करने पड़ेंगे.
Madhya Pradesh News: नवंबर का महीना अब समाप्ती की ओर है. इसके साथ ही कई राज्यों में ठंड ने अपना प्रचंड रूप दिखाना शुरू कर दिया है. इससे इंसान के साथ-साथ फसलों के ऊपर भी असर पड़ रहा है. खास कर मध्य प्रदेश में सर्दी का असर कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है. प्रदेश के कई जिलो में ठंड के साथ पाला भी गिर रहा है. ऐसे में बागवानी फसलों को नुकसान पहुंच रहा है. ऐसे में किसानों का चिंता बढ़ गई है. उन्हें फसल नुकसान का भय सता रहा है. लेकिन अब किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे के बार में बात करने जा रहे हैं, जिसे अपनाने पर बागवानी फसलों को ठंड और पाले से राहत मिलेगी.
दरअसल, मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में बढ़ती ठंड के साथ पाले का असर ज्यादा देखने को मिल रहा है. पाला के चलते तुअर, केला, पपीता और सब्जियों की फसलें खराब होने के कगार पर पहुंच गई हैं. ऐसे में कृषि विशेषज्ञों ने फसल को बचाने के लिए कुछ उपाय बताए हैं. इन उपायों के ऊपर किसानों को ज्यादा खर्च भी नहीं करने पड़ेंगे. विशेषज्ञों का कहना है कि पाले से बागवानी फसलों को बचाव के लिए तीन सरल तरीके को अपनाना होगा. पहला, चूल्हे की राख का घोल बनाकर खेत में छिड़काव करें, इससे फसलों पर सुरक्षा परत बन जाती है. दूसरा, शाम के समय खेतों में सूखी घास या लकड़ी जलाकर धुआं करें, जिससे तापमान थोड़ा बढ़ जाता है. तीसरा, सिंचाई कम करें, क्योंकि ज्यादा पानी फसलों को कमजोर कर देता है.
अतिरिक्त सामान खरीदने की जरूरत भी नहीं पड़ती
अगर किसान ठंड के मौसम में तुअर, केला, पपीता और सब्जियों वाली फसलों को लेकर परेशान रहते हैं, ऊपर बताए गए इन घरेलू उपायों को अपना सकते हैं. इससे फसलें सुरक्षित रहती हैं और नुकसान होने की संभावना कम हो जाती है. अच्छी बात यह है कि इसके लिए किसानों को कोई अतिरिक्त सामान खरीदने की जरूरत भी नहीं पड़ती.
इस तरह करें फसलों का उपचार
एक्सपर्ट के मुताबिक, ये तरीके लगभग सभी फसलों पर असरदार होते हैं, खासकर जब तापमान शून्य के करीब पहुंच जाए. कृषि विभाग भी इन पारंपरिक और पर्यावरण-अनुकूल उपायों को सही मानता है. विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण पाला बढ़ रहा है, इसलिए ऐसे घरेलू तरीकों का इस्तेमाल और भी जरूरी हो गया है. किसान अगर समय रहते इन उपायों को अपनाएं, तो फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है और आर्थिक हानि भी कम होगी. इन उपायों की मदद से खेत ठंड के बावजूद हरे-भरे रहेंगे.