इस राज्य में सूखे जैसे हालात! अगर नहीं हुई बारिश तो बर्बाद हो जाएगी रबी फसल, किसान चिंतित
हिमाचल प्रदेश में रबी फसल के दौरान बारिश न होने से किसान चिंतित हैं. लंबे सूखे का असर गेहूं की बुवाई और फसल की बढ़वार पर दिख रहा है. दिसंबर में करीब 99 फीसदी बारिश की कमी दर्ज की गई है, जिससे कई इलाकों में फसल नुकसान की आशंका बढ़ गई है.
Himachal Pradesh News: रबी फसल का मौसम चल रहा है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में बारिश न होने से किसान काफी चिंतित हैं. लंबे समय से सूखे हालात बने हुए हैं, जिसका सबसे ज्यादा असर गेहूं की फसल पर पड़ सकता है. रबी फसलों की बुवाई आमतौर पर अक्टूबर के मध्य से शुरू होती है. कई इलाकों में गेहूं की बुवाई हो चुकी है, लेकिन लगातार सूखे मौसम के कारण कई किसान अब भी बुवाई नहीं कर पाए हैं. इस दिसंबर में हिमाचल प्रदेश में करीब 99 फीसदी तक बारिश की कमी दर्ज की गई है. ज्यादातर जिलों में 100 फीसदी बारिश की कमी रही है. सिर्फ लाहौल-स्पीति में 98 फीसदी की कमी दर्ज हुई, जहां सामान्य 41.2 मिमी के मुकाबले सिर्फ 0.9 मिमी बारिश हुई. नवंबर में भी हालात ऐसे ही रहे और राज्य को 1901 के बाद सबसे कम बारिश वाले महीनों में से एक माना गया.
कृषि विभाग के अनुसार, कांगड़ा, मंडी, ऊना, हमीरपुर और चंबा जिलों में करीब 2.26 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हो चुकी है. इसके अलावा जौ करीब 5,500 हेक्टेयर में और दलहन व तिलहन फसलें करीब 6,000 हेक्टेयर में बोई गई हैं. राज्य में सिर्फ करीब 25 फीसदी खेती की जमीन ही सिंचित है. जल्दी बोई जाने वाली गेहूं की किस्में अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत में बोई जाती हैं, जबकि देर से बोई जाने वाली किस्मों की बुवाई दिसंबर तक चलती है.
बारिश नहीं हुई तो फसल को नुकसान हो सकता है
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कांगड़ा जिले की ढलियारा सूरजपुर पंचायत के उपप्रधान वीरेंद्र मनकोटिया ने कहा कि लंबे समय से बारिश न होने के कारण किसान काफी परेशान हैं. उन्होंने बताया कि ज्यादातर किसानों ने गेहूं की बुवाई कर दी है, लेकिन कुछ किसान अभी बारिश का इंतजार कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि अगर बुवाई के बाद बारिश नहीं हुई तो फसल खराब हो जाएगी और पैसा बर्बाद होगा. जिन किसानों ने पहले ही बुवाई कर दी है, उनकी फसल में भी नमी की कमी के लक्षण दिखने लगे हैं. अगर अगले 10- 15 दिनों में बारिश नहीं हुई, तो फसल को नुकसान हो सकता है.
80 फीसदी इलाके बारिश पर निर्भर हैं
बारिश और बर्फबारी की कमी का असर पानी की उपलब्धता पर भी साफ दिख रहा है. रबी सीजन में गेहूं, जौ, चना और मसूर मुख्य फसलें हैं और इनकी खेती के लिए हिमाचल के करीब 80 फीसदी इलाके बारिश पर निर्भर हैं. हिमाचल किसान यूनियन के अध्यक्ष और मंडी जिले से जुड़े डॉ. सीता राम वर्मा ने कहा कि मंडी में करीब 40 फीसदी किसानों ने अभी तक गेहूं की बुवाई नहीं की है. जिन किसानों ने बुवाई की है, उनकी फसल की बढ़वार प्रभावित हो सकती है.
क्या कहते हैं अधिकारी
वहीं कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक (उत्तर क्षेत्र) डॉ. राहुल कटोच ने कहा कि फिलहाल कोई गंभीर स्थिति नहीं है, लेकिन अगर गेहूं की शुरुआती अहम अवस्था यानी क्राउन रूट इनिशिएशन (CRI) के समय भी नमी नहीं मिली, तो फसल को नुकसान हो सकता है. इस समय सिंचाई करने से पैदावार में होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि पानी की उपलब्धता जरूर घटी है, लेकिन अभी घबराने की जरूरत नहीं है. विभाग का फील्ड स्टाफ किसानों के संपर्क में है और उन्हें पानी का सही उपयोग करने की सलाह दी जा रही है. किसान माइक्रो इरिगेशन सिस्टम (MIS) योजना का भी लाभ उठा सकते हैं.