किसान ही देश की दशा-दिशा तय करेंगे.. किसान इंडिया के अन्नपूर्णा समिट में अतिथियों-किसानों ने रखे अपने विचार

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति (EAC) के संयुक्त सचिव केके त्रिपाठी ने कहा कि खेती की जोत धीरे-धीरे छोटी होती जा रही है. सीमांत किसान मजदूर बन गए हैं. ऐसे में जरूरी है कि किसानों को वैज्ञानिक विधि से बागवानी से जुड़ी फसलों की खेती करनी चाहिए. इसके लिए वे पैक्स और सहकारिता सोसायटी की मदद ले सकते हैं. अन्य अतिथियों और किसानों ने भी खेती के विकास, चुनौतियों और सरकारी योजनाओं पर अपने विचार रखे.

रिजवान नूर खान
नई दिल्ली | Published: 17 Dec, 2025 | 08:11 PM

देश के सबसे बड़े एग्रीकल्चर न्यूज प्लेटफॉर्म में शुमार किसान इंडिया के अन्नापूर्णा समिट 2025 के आयोजन पर केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने किसानों को खेती के भविष्य सुरक्षित करने के लिए फसल चक्र में बदलाव जरूरी है. कार्यक्रम में शामिल हुए पीएम मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के संयुक्त सचिव किसानों को वैज्ञानिक विधि से बागवानी से जुड़ी फसलों की खेती करनी चाहिए. इसके लिए वे पैक्स और सहकारिता सोसायटी की मदद ले सकते हैं. किसान नेता गुणी प्रकाश, वीएम सिंह, धर्मेंद्र मलिक, प्रगतिशील किसान मंजू रानी कश्यप समेत अन्य अतिथियों ने मंच पर खेती और किसानों के विकास और योगदान पर अपने विचार साझा किए.

किसान इंडिया के अन्नपूर्णा समिट 2025 के आयोजन पर केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने कहा कि देश में खेती के लिए ज्यादा नहीं, सही पानी जरूरी है. उन्होंने कहा कि इस ओर भारत सरकार लगातार काम कर रही है. इसी के तहत पर ड्रॉप, मोर क्रॉप जैसी स्कीम्स लागू की गई हैं, जो किसानों के लिए भी जरूरी हैं और जल संचय के लिए भी. चौधरी ने नई दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में आयोजित किसान इंडिया के इवेंट अन्नपूर्णा 2025 में अपने संदेश में कहा कि खेती में जलशक्ति मंत्रालय की भूमिका भी बेहद अहम है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 साल के कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि कृषि और जलशक्ति को लेकर बहुत काम हुए हैं. घर-घर नल से जल पहुंचाने से लेकर क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए जल संचय को लेकर जितना काम किया गया है, वो भविष्य के लिए बहुत जरूरी है.

वैज्ञानिक विधि से खेती करनी चाहिए – पीएम मोदी EAC के संयुक्त सचिव केके त्रिपाठी

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति (EAC) के संयुक्त सचिव केके त्रिपाठी ने सहकारिता सहित तमाम मुद्दों पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि खेती की जोत धीरे-धीरे छोटी होती जा रही है. सीमांत किसान मजदूर बन गए हैं. ऐसे में जरूरी है कि किसानों को वैज्ञानिक विधि से बागवानी से जुड़ी फसलों की खेती करनी चाहिए. इसके लिए वे पैक्स और सहकारिता सोसायटी की मदद ले सकते हैं. उन्होंने पैक्स और सहकारिता सोसायटी के कामों को जिक्र करते हुए कहा कि इससे किसानों को बहुत फायदा हो रहा है.

हालात सुधारने के लिए किसानों को को-ऑपरेटिव का साथ लेना पड़ेगा- राजू शेट्टी

को-ऑपरेटिव की अहमियत को लेकर पूर्व सांसद और किसान नेता राजू शेट्टी ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि किसानों के लिए अब आंदोलन का रास्ता हालात को आसान बनाने में काम नहीं आएगा. किसानों को को-ऑपरेटिव का साथ लेना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की इस सेक्टर में उतनी भागीदारी अब तक सुनिश्चित नहीं की है, जितनी होनी चाहिए. इसे लेकर सरकार को और काम करने की जरूरत है. कुछ साल पहले आए किसान कानूनों को लेकर भी कार्यक्रम में जोरदार बहस हुई. ये कानून लागू होने के बाद केंद्र सरकार ने वापस ले लिए थे.

किसानों के हित में थे तीन कृषि कानून – एमएसपी कमेटी के सदस्य गुणी प्रकाश

भारतीय किसान यूनियन मान के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष और केंद्र सरकार की एमएसपी कमेटी के सदस्य ठाकुर गुणी प्रकाश ने केंद्र सरकार द्वारा पूर्व में लाए गए तीन कृषि कानूनों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि यह कानून छोटे और सीमांत किसानों के हित में था. इससे छोटी जोत वाले किसानों को फायदा होता.

सरकारें किसानों के हितों का खयाल नहीं रखती हैं – सरदार वीएम सिंह

अन्नदाताओं को उनकी उपज का बेहतर रेट मिलता. लेकिन उत्तर प्रदेश के प्रमुख किसान नेता राष्ट्रीय किसान मजदूर पार्टी के संस्थापक वीएन सिंह ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि यह कानून किसानों के हित में नहीं था. वीएम सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ही नहीं, बल्कि राज्य सरकारें भी किसानों के हितों का खयाल नहीं रखती हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों से मजबूरी में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसल की खरीदी कर रही है. क्योंकि सरकार किसानों को केवल वोट बैंक मानती है.

डेयरी विकास के लिए गोधन की नस्ल सुधार प्रकिया मजबूत करनी होगी

कार्यक्रम में डेयरी पर चर्चा के लिए आनंदा डेयरी के चेयरमैन आरएस दीक्षित, बालिनी ग्रुप के सीईओ ओपी सिंह और युवा डेयरी किसान दुष्यंत भाटी ने चर्चा की. आरएस दीक्षित ने कहा कि ब्रीडिंग तकनीक को ज्यादा ज्यादा किसानों तक पहुंचा कर ही गोधन की नस्ल सुधार प्रकिया को मुकम्मल कर पाएंगे. वहीं ओपी सिंह ने कहा कि गांव में किसानों का विश्वास जीते बिना कोई भी स्टार्टअप सफल नहीं हो सकता है. बालिनी मिल्क प्रोडूसर कंपनी इसका जीता जागता उदाहरण है. डेयरी इंडस्ट्री पूरी तरह से इस दिशा में सरकार और किसानों का सहयोग करने के लिए तत्पर है. किसानों को भी इसके लिए ख़ुद को तैयार करना होगा.

किसान सरकार की योजनाओं से अपना भविष्य बेहतर करें – मंजू रानी कश्यप

प्रोग्रेसिव किसानों में डीपी सिंह और मंजू रानी कश्यप ने किसानों के सामने अपनी बातें रखीं. मंजू रानी कश्यप ने कहा कि एकीकृत खेती से महिलाएं और किसान ज्यादा लाभ हासिल कर सकते हैं. सरकार किसानों के लिए कई तरह की सब्सिडी वाली योजनाएं चला रही है, जिनका फायदा किसान उठा सकते हैं. उन्हें अपने केवीके के वैज्ञानिकों से संपर्क करना चाहिए और प्रशिक्षण लेकर खेती करके लाभ हासिल कर सकते हैं. उन्होंने अपनी सिंघाड़े की खेती, मछलीपालन के अनुभव को भी किसानों के साथ साझा किया. किसान नेता धर्मेंद्र मलिक भी कार्यक्रम का हिस्सा बने. उन्होंने पशुपालन और एफपीओ को लेकर कहा कि किसानों को एकजुट होकर खेती करनी होगी. उन्होंने मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो व्यक्तिगत किसान आने वाले समय में खत्म हो जाएंगे.

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