प्रशांत महासागर में अभी भी है ला नीना का असर, कभी भी हो सकती है भारी बारिश.. तूफान की भी है आशंका
वैश्विक जलवायु प्रणाली में अभी भी अतिरिक्त गर्मी मौजूद है. ऊंचा समुद्री तापमान और लगातार बना ला नीना पैटर्न दुनिया के कई हिस्सों में बारिश, तूफानों और चरम मौसम की घटनाओं को प्रभावित कर रहा है.
Weather Update: वैश्विक मौसम को प्रभावित करने वाले प्रमुख संकेतकों में बदलाव दिख रहा है. ऑस्ट्रेलिया के मौसम विज्ञान ब्यूरो (BoM) के अनुसार, उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में ला नीना की स्थिति अभी भी बनी हुई है. वहीं भारतीय महासागर डाइपोल (IOD) का नेगेटिव चरण खत्म हो चुका है. अब IOD न्यूट्रल अवस्था में है. यह जानकारी BoM की ताजा क्लाइमेट ड्राइवर्स रिपोर्ट में दी गई है. BoM ने कहा कि 21 दिसंबर को खत्म हुए सप्ताह में नीनो-3.4 समुद्री सतह तापमान सूचकांक माइनस 0.91 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. जब यह सूचकांक लगातार माइनस 0.80 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहता है, तो उसे ला नीना की पुष्टि माना जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर के मध्य से ही यह सूचकांक ला नीना की सीमा के आसपास बना हुआ है, जिससे यह साफ है कि प्रशांत महासागर में ला नीना का असर लगातार बना हुआ है.
मौसम एजेंसी के अनुसार, उसके मॉडल बताते हैं कि उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर का तापमान 2026 की शुरुआत तक ला नीना के स्तर पर बना रह सकता है. इसके बाद इसके धीरे-धीरे न्यूट्रल स्थिति में लौटने की संभावना है. हालांकि यह बदलाव आम ENSO चक्रों की तुलना में थोड़ा जल्दी हो सकता है. एजेंसी का कहना है कि यह अनुमान ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय मौसम मॉडलों से भी मेल खाता है. BoM ने यह भी कहा कि नेगेटिव इंडियन ओशन डाइपोल (IOD) का दौर अब समाप्त हो गया है और IOD सूचकांक न्यूट्रल स्थिति में आ चुका है. एजेंसी के मॉडल संकेत देते हैं कि IOD कम से कम 2026 की शरद ऋतु के अंत तक न्यूट्रल बना रह सकता है. यह अनुमान भी सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मॉडलों के अनुरूप है. आमतौर पर IOD दिसंबर से अप्रैल के बीच सक्रिय नहीं रहता, इसलिए इस दौरान इसका असर सीमित रहता है.
वातावरण में नमी और ऊर्जा बढ़ती है
रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर में ऑस्ट्रेलियाई क्षेत्र का समुद्री सतह तापमान अब तक के रिकॉर्ड में दूसरा सबसे ज्यादा रहा. अनुमान है कि दिसंबर से फरवरी के बीच यह तापमान सामान्य से ऊपर बना रहेगा, खासकर ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी इलाकों में. ज्यादा समुद्री तापमान से वातावरण में नमी और ऊर्जा बढ़ती है, जिससे तूफान, चक्रवात और भारी बारिश की घटनाएं ज्यादा तेज और प्रभावी हो सकती हैं.
बादलों का पैटर्न भी ला नीना जैसी स्थिति दिखा रहे
वायुमंडल से जुड़े संकेतक जैसे व्यापारिक हवाएं, वायुदाब और बादलों का पैटर्न भी ला नीना जैसी स्थिति दिखा रहे हैं. 21 दिसंबर 2025 तक 30 दिनों का सदर्न ऑस्सीलेशन इंडेक्स (SOI) -0.1 रहा, जो ला नीना की तय +7 सीमा से नीचे है. वहीं 60 और 90 दिनों के SOI मान क्रमशः +7.0 और +6.6 दर्ज किए गए, जो ला नीना की सीमा के काफी करीब हैं. इससे साफ है कि मौसम का रुझान अब भी ला नीना के असर में बना हुआ है. दक्षिणी वलयाकार मोड (SAM) 20 दिसंबर 2025 तक न्यूट्रल स्थिति में बना हुआ है और अगले एक हफ्ते तक इसके ऐसे ही रहने का अनुमान है. इसके बाद के दो हफ्तों में इसके नेगेटिव होने की हल्की संभावना जताई गई है, हालांकि इसमें अभी अनिश्चितता बनी हुई है.
2026 की शुरुआत में हालात न्यूट्रल होने की उम्मीद
BoM के मुताबिक, वैश्विक जलवायु प्रणाली में अभी भी अतिरिक्त गर्मी मौजूद है. ऊंचा समुद्री तापमान और लगातार बना ला नीना पैटर्न दुनिया के कई हिस्सों में बारिश, तूफानों और चरम मौसम की घटनाओं को प्रभावित कर रहा है. भले ही 2026 की शुरुआत में हालात न्यूट्रल होने की उम्मीद हो, लेकिन महासागरों में जमा अतिरिक्त गर्मी के कारण आने वाले महीनों तक मौसम पर इसका असर बना रह सकता है.