Agriculture News: AI से कैसे बदल रही है महाराष्‍ट्र में गन्‍ने की खेती की सूरत 

महाराष्‍ट्र के करीब एक हजार किसान ऐसे प्रयोग में हिस्‍सा ले रहे हैं जो गन्‍ने की खेती का भविष्य बदल सकता है. पिछले कई दशकों से महाराष्‍ट्र में गन्‍ने की खेती राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हिस्‍सा बना गई है.

Kisan India
Noida | Updated On: 28 Mar, 2025 | 01:22 PM

AI यानी Artificial Intelligence यानी कृत्रिम बुद्धिमता, जिसके बारे में कई तरह की बातें इन दिनों हो रही हैं. टेस्‍ला के मालिक इलॉन मस्‍क से लेकर एक आम आदमी तक अब एआई के बारे में ही बातें कर रहा है. कुछ लोग इससे घबराने लगे हैं तो कुछ इसके बारे में काफी सकारात्‍मक हैं. लेकिन इन सबसे दूर महाराष्‍ट्र में एआई को लेकर कुछ ऐसा हो रहा है जिसके बारे में किसी ने कल्‍पना तक नहीं की थी. यहां पर गन्‍ना किसान एआई से इस तरह से फायदा उठा रहे हैं, जिसके बारे में दूर-दूर तक कभी सोचा नहीं गया था. 

महाराष्‍ट्र में हो रहा प्रयोग 

महाराष्‍ट्र के करीब एक हजार किसान ऐसे प्रयोग में हिस्‍सा ले रहे हैं जो गन्‍ने की खेती का भविष्य बदल सकता है. पिछले कई दशकों से महाराष्‍ट्र में गन्‍ने की खेती वरदान और श्राप दोनों ही रही है. यह फसल राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है और हजारों किसानों के साथ-साथ 150 से ज्‍यादा चीनी मिलों का पेट भरती है. ज्‍यादातर चीनें मिलें राज्य के पश्चिमी और मध्य भागों में  हैं.  वहीं पानी की ज्‍यादा खपत और बीमारी की चपेट में आने की आशंका की वजह से गन्‍ने को एक जोखिम भरी फसल बनाती है. वहीं कई किसान अनियमित मौसम पैटर्न, कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग और बढ़ती उत्पादन लागत से जूझ रहे हैं. 

AI करता है गाइड 

सन् 1968 में शरद पवार और उनके भाई अप्पासाहेब पवार की तरफ से स्थापित बारामती स्थित कृषि संस्थान एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ट्रस्ट (ADT) और माइक्रोसॉफ्ट की तरफ से डेवलप   AI इक्विपमेंट्स का प्रयोग करके ये किसान उत्पादकता, जल संरक्षण और लागत दक्षता में महत्वपूर्ण सुधार देख रहे हैं. महाराष्‍ट्र के कई गांवों में इस बार फरवरी में उम्‍मीद से ज्यादा गर्मी पड़ रही है. किसान अलर्ट होकर गन्‍ने के खेत का निरीक्षण कर रहे हैं. इस बार फसल पहले से कहीं ज्‍यादा लंबी है, डंठल मोटे और हरे हैं. यह पिछले दशक में काटी गई किसी भी फसल से ज्‍यादा उपज का वादा करते हैं. किसानों की मानें तो अंतर बीज या मिट्टी में नहीं है – बल्कि उनके हर कदम को गाइड करने वाले एक वर्चुअल एल्गोरिदम में है. 

कैसे मददगार है AI 

किसान अपने स्मार्टफोन पर डाउनलोड की गई मोबाइल एप्लीकेशन के जरिये फसल के लिए जरूरी सारी जानकारी हासिल कर लेते हैं. एआई उन्‍हें जानकारी देता है कि उनकी फसल को कितने पानी की जरूरत है और कब खाद का छिड़काव करना है और यहां तक ​​कि संभावित कीटों के हमलों के बारे में भी पहले ही अलर्ट कर देता है. एआई की मदद से किसान पानी पर करीब 50 फीसदी की बचत कर रहे हैं. साथ ही कीटनाशक का उपयोग भी कम है. इस मौसम में कई किसानों को कम से कम 40 फीसदी ज्‍यादा उपज की उम्मीद है. 

अब अंगूर की खेती में AI 

किसानों की मानें तो उनके लिए AI नया है लेकिन यह वाकई मददगार है. यह हवा की गति और मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए कीटनाशक का छिड़काव करने का समय बताता है. यह मिट्टी की स्थिति और फसल को कितने पानी की जरूरत है, यह भी बताता है. AI की बस एक समस्या यह है कि यह NPK (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम) की जानकारी नहीं देता है. किसानों का कहना है कि अगर इस पर ध्यान दिया जाए, तो AI किसानों के लिए बहुत मददगार साबित होगा. कुछ किसान अब अपने अंगूर के बागों के लिए इस AI का इस्तेमाल करना चाहते हैं. 

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Published: 28 Mar, 2025 | 01:18 PM

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