जीन एडिटेड सरसों को मिलने वाली है मंजूरी, अब पहले से बेहतर होगी पैदावार.. रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक
भारत में कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, जहां सरकार पारंपरिक GM फसलों की बजाय CRISPR जीन-एडिटिंग तकनीक को बढ़ावा दे रही है. सरसों और चावल की नई जीन-एडिटेड किस्में बेहतर पोषण, अधिक पैदावार और जलवायु सहनशीलता का वादा करती हैं.
Agriculture News: भारत जल्द ही सरसों की एक नए जीन एडिटेड (CRISPR) वेराइटी को मंजूरी देने वाला है. यह किस्म बेहतर पोषण और रोग प्रतिरोधक क्षमता देती है. सरकार ने संकेत दिए हैं कि अब वह पारंपरिक GM (जीन संशोधित) फसलों की बजाय CRISPR जैसी नई तकनीकें अपनाने की ओर बढ़ रही है, ताकि उत्पादन बढ़े और फसल जलवायु परिवर्तन के प्रति मजबूत हो.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, मई में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ICAR द्वारा विकसित पहली उच्च उत्पादक और जलवायु-प्रतिरोधी चावल की वाणिज्यिक रिलीज की घोषणा की थी. CRISPR-Cas9 तकनीक जीन में सटीक बदलाव करने की सुविधा देती है और इसमें कोई विदेशी DNA नहीं डाला जाता. चूंकि GM फसलें विवादास्पद रही हैं, इसलिए भारत सरकार ने जीन एडिटेड फसलों को तेजी से मंजूरी देने की प्रक्रिया अपनाई है, जिससे किसानों को अधिक उत्पादन और मजबूती मिले.
संस्थाएं वर्तमान में 40 से ज्यादा फसलों पर शोध कर रही हैं
भारत जल्द ही कई जीन-एडिटेड फसल वेराइटीज को रिलीज करने की तैयारी में है. ICAR के तहत राज्य समर्थित संस्थाएं वर्तमान में 40 से ज्यादा फसलों पर शोध कर रही हैं, जिनमें 24 खेत फसलें और 17 बागवानी फसलें शामिल हैं, जैसे दालें, टमाटर, तंबाकू और केले. प्लांट जीनोम रिसर्च इंस्टीट्यूट ने CRISPR/Cas9 तकनीक से ट्रांसजीन-मुक्त भारतीय सरसों (ब्रासिका ज्यून्सिया) की नई लाइन ‘वरुणा’ विकसित की है. इसमें ग्लुकोसिनोलेट की मात्रा को बीज और तेल में कम किया गया है ताकि सरसों की स्वाद और पौधों की मजबूती बनी रहे. पूरे पौधे में इसका असर नहीं डाला गया. यह जीन-एडिटेड सरसों की किस्म अभी अंतिम जांच प्रक्रिया में है, जिसे ICAR के अंतर्गत चल रहे ऑल इंडिया कोऑर्डिनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट के तहत देखा जा रहा है.
19 फीसदी अधिक पैदावार हासिल की गई है
दो जीन-एडिटेड चावल की किस्में- पुसा राइस DST1 और DRR धान 100- मई में जारी की गईं. इन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) और भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (IIRR) के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है. ICAR के महानिदेशक मंंगी लाल जाट ने इसे ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया और कहा कि आने वाले सालों में कई और जीन-एडिटेड फसलें रिलीज होंगी. पुसा राइस DST1 में वैज्ञानिकों ने वह जीन हटाया है जो पौधे की तनाव सहनशीलता को कमजोर बनाता था, जिससे सूखा सहन क्षमता बढ़ गई है. वहीं DRR धान 100 व्यापक रूप से उगाई जाने वाली साम्बा महसूरी किस्म से संबंधित है. CRISPR तकनीक से इसमें OsCKX2 जीन को एडिट कर 19 फीसदी अधिक पैदावार हासिल की गई है.