जीनोम एडिटेड धान किस्मों का विरोध, वापस लेने की मांग के साथ एक्सपर्ट ने बताया असुरक्षित

जेनेटिकली मोडिफाइड फसलों के विरोध में सुप्रीमकोर्ट में लड़ाई लड़ने वाले नागरिक संगठनों के गठबंधन ने केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में जारी की गई जीनोम-एडिटेड धान किस्मों को वापस लेने की मांग की है. दोनों किस्में असुरक्षित बताया है.

नोएडा | Updated On: 6 May, 2025 | 06:00 PM

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीती 4 मई को जीनोम एडिटेड धान की दो नई किस्में DDR 100 कमला और पूसा DSTA-1 को पेश किया है. इन किस्मों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है और दावा किया गया है कि इन किस्मों से कम लागत में ज्यादा उपज होगी. लेकिन, अब इन दोनों किस्मों का विरोध करते हुए एक्सपर्ट ने सरकार से वापस लेने की मांग की है. किसान नेता रामपाल जाट ने कहा कि सरकार को इतनी जल्दबाजी में पेश करने की बजाय किसान प्रतिनिधियों और खेती से जुड़े लोगों से सुझाव-आपत्तियां लेनी चाहिए थीं.

जेनेटिकली मोडिफाइड फसलों के विरोध में सुप्रीमकोर्ट में लड़ाई लड़ने वाले नागरिक संगठनों के गठबंधन ने केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में जारी की गई जीनोम-एडिटेड धान किस्मों को वापस लेने की मांग की है. कहा कि यह दोनों किस्में असुरक्षित हैं. द हिंदू में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार फसलों के नए बीज और किस्में विकसित करने वाली केंद्रीय संस्था भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) में किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्य वेणुगोपाल बदरवाड़ा ने कहा कि जीनोम एडिटेड किस्मों की घोषणा ‘खेत के लिए समाधान’ की तुलना में ‘सुर्खियों के लिए विज्ञान’ को तरजीह देने की चिंताजनक आदत को दिखाता है.

नियामक परीक्षण में सुरक्षा कमी सामने आ जाएगी

गठबंधन ने नई धान किस्मों की घोषणा को अवैध करार दिया और कहा कि केंद्र जानता है कि अगर जीनोम एडिटेड धान किस्मों को रेगुलेशन परीक्षण रखा जाता है तो सुरक्षा की कमी खुद ही सामने आ जाएगी. इसलिए देश में साइट निर्देशित न्यूक्लिअस 1 और साइट निर्देशित न्यूक्लिअस 2 (SDN-1 और SDN-2) जीन ए़डिटेड तकनीकों को रेगुलेट किया जाना चाहिए. गया गया कि यह चौंकाने वाला है कि बिना किसी सुरक्षा परीक्षण के अधिक उपज, सूखा प्रतिरोधी आदि दावों के साथ जारी किया जा रहा है. “हम इसका विरोध करते हैं और सरकार को चेतावनी देते हैं कि इस विकास के खिलाफ कड़ा प्रतिरोध किया जाएगा.

7 साल परीक्षण के बाद प्रमाणन होना चाहिए – वेणुगोपाल

रिपोर्ट के अनुसार कहा गया है कि जीनोम एडिटेड़ धान की दोनों किस्मों को विकसित करने के लिए अपनाई गई सटीक प्रक्रिया के बारे में सार्वजनिक जानकारी का अभाव है. वेणुगोपाल बदरवाड़ा ने कहा कि यह घोषणा बेहद चिंताजनक है, क्योंकि जलवायु लचीलापन साबित नहीं हुआ है और जीनोम एडिटिंग के दावों को लंबे समय और कई जगहों पर क्षेत्रीय परीक्षणों के बिना प्रचारित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सूखे, नमकीन मिट्टी या पानी स्थितियों या गर्मी के प्रति लचीलापन केवल कम से कम 5 से 7 साल के कठोर राष्ट्रीय स्तर परीक्षण के बाद ही प्रमाणित किया जा सकता है.

खुली डिबेट और आपत्ति सुझाव लेने चाहिए

देश के बड़े किसान संगठन किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने ‘किसान इंडिया’ को बताया कि दोनों किस्मों को जारी करने से पहले पूरी जांच और परीक्षण के परिणामों को देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि 1-2-3 समेत कई स्तर के परीक्षण मानक होते हैं, जिन्हें पूरा कराना चाहिए. सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों के लिए विवादित काम नहीं करना चाहिए. इस तरह की किस्मों को जारी करने से पहले खुली डिबेट होनी चाहिए, किसानों, किसान प्रतिनिधियों और कृषि वैज्ञानिकों, शोध करने वालों समेत कृषि क्षेत्र से जुड़े प्रतिनिधियों को अवसर देना चाहिए, आपत्ति और सुझाव वगैरह लेना चाहिए.

जीएम सरसों और बीटी कपास किस्में उदाहरण

किसान नेता रामपाल जाट ने कहा कि बिना जानकारी दिए इस तरह से किस्मों को पेश किया जाना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि कई तरह के दावे किए गए हैं, लेकिन इन किस्मों को जब किसान उगाएगा तो उसे नुकसान और फायदे का पता चलेगा. इस तरह की किस्मों को जारी करने से पहले खुली बहस होनी चाहिए. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जीएम सरसों के लिए भी इसी तरह से दिक्कत सामने आई है. जीएम सरसों का मामला कोर्ट तक पहुंच चुका है. इससे पहले बीटी कपास किस्म लाई गई थी, तब कहा गया था कि इसमें कोई रोग नहीं लगेगा. लेकिन बीटी कपास में सफेद कीड़ा लग रहा है. फसल नष्ट हो रही है. किसान परेशान हो रहे हैं.

Published: 6 May, 2025 | 05:59 PM