3 से 8 जून तक महाराष्ट्र के सभी पशु बाजार बंद! जानिए वजह

हाल में को जारी किए गए इस सर्कुलर में गोसेवा आयोग की ओर से कहा गया कि बकरी ईद के दौरान बड़े पैमाने पर जानवरों की बलि दी जाती है, इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि गौवंश से जुड़े पशुओं की हत्या न हो.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 2 Jun, 2025 | 11:39 AM

बकरी ईद (ईद-अल-अधा) के एक सप्ताह पहले, महाराष्ट्र गोसेवा आयोग ने राज्य के सभी कृषि उत्पाद बाजार समितियों (APMCs) को बाजार बंद करने का निर्देश जारी किया है. APMCs के निर्देश के मुताबिक 3 जून से 8 जून तक किसी भी प्रकार के पशु बाजार आयोजित न करने को कहा गया है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक यह कदम स्थानीय गायों को बचाने के लिए गठित आयोग ने लिया है ताकि बकरीद के दौरान गायों और अन्य गौवंशीय पशुओं की अवैध हत्या को रोका जा सके.

इस आदेश ने अलग-अलग समुदायों, खासकर मुस्लिम समुदाय के बीच विरोध और सवाल खड़े कर दिए हैं. कई लोगों ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि पूरे सप्ताह पशुओं की बिक्री पर रोक लगाने का क्या मकसद है, जबकि बकरी ईद पर भेड़ों और बकरियों की खरीदारी पर रोक लगाना उचित नहीं माना जा रहा है.

सर्कुलर में क्या आदेश?

हाल में को जारी किए गए इस सर्कुलर में गोसेवा आयोग की ओर से कहा गया कि बकरीद के दौरान बड़े पैमाने पर जानवरों की बलि दी जाती है, इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि गौवंश से जुड़े पशुओं की हत्या न हो. महाराष्ट्र में पशु संरक्षण अधिनियम के तहत गाय, बैल और सांड की हत्या पूरी तरह से प्रतिबंधित है और इनके मांस के व्यापार पर भी रोक है.

वंचित बहुजन आघाड़ी के राज्य उपाध्यक्ष फारूक अहमद ने इस आदेश की आलोचना करते हुए कहा, “राज्य को गायों की हत्या रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए, लेकिन पूरी बाजार व्यवस्था को बंद करना सही नहीं है. इससे बकरियों, भैंसों और अन्य गैर-प्रतिबंधित पशुओं के व्यापार पर भी असर पड़ेगा, जो किसानों, मजदूरों और कुरैशी-खातिक समुदाय के लिए रोजगार का स्रोत है.”

उन्होंने गोसेवा आयोग की इस कार्रवाई को अधिकारों के दुरुपयोग के रूप में भी देखा. अहमद ने कहा, “गोसेवा आयोग के पास केवल सिफारिश करने का अधिकार है, सीधे बाजार समितियों को आदेश देना उसकी सीमा से बाहर है.”

गो-सेवा आयोग का तर्क

इस मामले पर वहीं दूसरी तरफ, महाराष्ट्र गोसेवा आयोग के अध्यक्ष शेखर मुंडाडा ने कहा कि उनका उद्देश्य केवल गायों की हत्या को रोकना है. उन्होंने बताया, “ईद से पहले के दिनों में जानवरों की खरीद-फरोख्त बलि के मकसद से होती है. हम केवल इसे रोकना चाहते हैं. अन्य जानवरों की बिक्री पर रोक केवल एक सप्ताह के लिए है.” उन्होंने इस सर्कुलर को केवल एक सलाह माना है.

प्रदेश में कितनी समितियां

महाराष्ट्र में 305 प्रमुख और 603 गौण APMC हैं, जो महाराष्ट्र राज्य एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के तहत चल रहीं हैं. राज्य में लगभग 292 पशु बाजार सक्रिय हैं, जिनमें अधिकांश APMC के कंट्रोल में हैं. इन बाजारों में मुख्य रूप से मवेशी व्यापार होता है, जहां किसान मानसून के शुरूआत में पशुओं को खरीदते हैं, कृषि कार्यों में उनका उपयोग करते हैं और फिर फसल कटाई के बाद उन्हें बेच देते हैं. इसके अलावा, छोटे जानवर जैसे बकरियां, भेड़ें और मेमने भी इन बाजारों में बिकते हैं. बकरी ईद के करीब इन बाजारों में व्यापार में तेजी आ जाती है, क्योंकि मुस्लिम समुदाय के लोग कुर्बानी के लिए जानवर खरीदने आते हैं.

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Published: 2 Jun, 2025 | 10:09 AM

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