Seafood Exports: भारत के समुद्री उत्पादों के निर्यात को लेकर बड़ी खुशखबरी आई है. अमेरिका के National Marine Fisheries Service (NMFS) ने आधिकारिक रूप से भारत के सीफ़ूड एक्सपोर्ट्स को Marine Mammal Protection Act (MMPA) के मानकों के अनुसार मान्यता दे दी है. इसका मतलब है कि भारत से अमेरिका जाने वाली मछली और अन्य समुद्री उत्पाद अब 31 दिसंबर 2025 के बाद भी बिना किसी रुकावट के निर्यात किए जा सकेंगे.
MPEDA ने किया अहम काम
MPEDA ने अमेरिका में Comparability Finding Application दाखिल की थी. इसके तहत भारत ने अपने मछली पकड़ने के नियम और प्रोटोकॉल की पूरी जानकारी दी. NMFS ने यह मान लिया कि भारत के मछली पकड़ने के नियम अमेरिका के मानकों के बराबर हैं.
समुद्री स्तनधारियों की सुरक्षा
अमेरिका ने देखा कि भारत की मछली पकड़ने की नीतियां समुद्री स्तनधारियों को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने या मारने पर रोक लगाती हैं. सभी व्यावसायिक मछली पकड़ने के कामों के लिए परमिट अनिवार्य हैं और दुर्घटनावश हुए नुकसान की रिपोर्टिंग भी जरूरी है. इससे यह साफ होता है कि भारत अपने समुद्री जीवों की सुरक्षा को गंभीरता से लेता है.
वैज्ञानिक निगरानी और सर्वेक्षण
भारत ने समुद्री स्तनधारियों की आबादी और बायकैच (गलत तरीके से फंसने वाली मछलियां और जानवर) की जानकारी के लिए व्यापक सर्वे किए. ICAR-CMFRI, NETFISH और अन्य संस्थाओं के सहयोग से यह सर्वे पूरे वैज्ञानिक तरीके से किए गए. इससे अमेरिका को भरोसा हुआ कि भारत अपने नियमों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ काम करता है.
अंतरराष्ट्रीय मान्यता और नेतृत्व
जब चीन, मैक्सिको और इक्वाडोर जैसे बड़े निर्यातक देशों को यह प्रमाणन नहीं मिला, भारत को मंजूरी मिलना यह दर्शाता है कि देश अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण और पशु कल्याण मानकों का पालन करता है. यह भारत को टिकाऊ मछली उत्पादन और निर्यात में विश्वस्तरीय नेतृत्व देता है.
आर्थिक महत्व
वित्तीय वर्ष 2025 में भारत का समुद्री उत्पाद निर्यात 7.45 बिलियन डॉलर रहा, जिसमें 2.7 बिलियन डॉलर सिर्फ अमेरिका को गया. NMFS की मंजूरी भारत को एक भरोसेमंद और जिम्मेदार समुद्री उत्पाद निर्यातक के रूप में स्थापित करती है. यह कदम देश के मछली उद्योग के लिए नए अवसर भी खोलता है.
भारत ने न सिर्फ मछली निर्यात में सफलता पाई है, बल्कि टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल मछली पकड़ने की नीतियों में भी दुनिया के सामने अपनी प्रतिबद्धता साबित की है. यह कदम भारतीय मछली उद्योग को वैश्विक बाजार में मजबूत और जिम्मेदार खिलाड़ी बनाता है.