भारत के सीफूड निर्यातकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है. यूरोपीय संघ (EU) ने भारत की 102 मरीन प्रोसेसिंग यूनिट्स को निर्यात के लिए मंजूरी दे दी है. यह फैसला उस समय आया है जब अमेरिकी बाजार में ऊंचे टैरिफ के कारण सीफूड निर्यातकों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था. अब इस नए अवसर से न सिर्फ भारत का निर्यात बढ़ेगा बल्कि किसानों और मछुआरों की आमदनी में भी इजाफा होगा.
भारतीय सीफूड को मिली नई पहचान
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, सीफूड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEAI) ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यूरोप में भारतीय सीफूड उत्पादों की मांग और बाजार हिस्सेदारी में अब बढ़ोतरी होगी. एसोसिएशन के महासचिव के.एन. राघवन ने बताया कि इस मंजूरी से भारत के निर्यातक अधिक देशों तक पहुंच बना सकेंगे.
उन्होंने बताया कि भारत से EU को जाने वाले निर्यात की मुख्य टोकरी (export basket) में पैसिफिक व्हाइट श्रिम्प (L.Vannamei) सबसे अहम है. इसके अलावा स्क्विड, कटलफिश और विभिन्न प्रकार की फ्रोजन मछलियां भी बड़ी मात्रा में निर्यात होती हैं. अब नई यूनिट्स की लिस्टिंग के बाद प्रोसेस्ड फिश की सप्लाई भी और बढ़ेगी.
सरकार के प्रयासों का नतीजा
एसोसिएशन ने इस सफलता का श्रेय केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और उनकी टीम को दिया है. उनके प्रयासों से EU के लिए 102 यूनिट्स को मान्यता मिली, जो भारतीय सीफूड निर्यात के लिए मील का पत्थर साबित होगा.
राघवन ने कहा कि भारत और EU के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर चल रही बातचीत जल्द पूरी हो सकती है. अगर यह समझौता हो गया तो भारतीय सीफूड उत्पादकों के लिए यूरोपीय बाजार में और भी अवसर खुलेंगे.
निर्यात में दिखा सुधार
आंकड़ों पर नजर डालें तो 2024-25 में भारत ने EU को 1,107 मिलियन डॉलर का सीफूड निर्यात किया. यह 2023-24 के मुकाबले लगभग 8 फीसदी की बढ़ोतरी है, जब निर्यात 1,027 मिलियन डॉलर रहा था.
सिर्फ चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में ही निर्यात मूल्य में 21 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है, जो इस क्षेत्र की मजबूती को दर्शाता है.
किसानों और मछुआरों के लिए वरदान
CLFMA of India के चेयरमैन दिव्या कुमार गुलाटी ने कहा कि यह फैसला झींगा और एक्वाकल्चर सेक्टर के लिए नए दरवाजे खोलेगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे तुरंत 20 फीसदी तक व्यापार में उछाल आ सकता है.
भारत पहले से ही हर साल लगभग 5 अरब डॉलर का झींगा निर्यात करता है, जिसमें से 40 फीसदी हिस्सा अमेरिका को जाता है. अब EU जैसे बड़े बाजार में पैठ बनाने से भारत को निर्यात विविधीकरण (diversification) का फायदा मिलेगा.
किसानों और मछुआरों को मिलेगा फायदा
विशेषज्ञों का मानना है कि EU की मंजूरी सिर्फ निर्यातकों के लिए ही नहीं बल्कि देशभर के किसानों और मछुआरों के लिए भी बड़ी राहत है. घरेलू बाजार के विकास के साथ-साथ यूरोपीय देशों में मांग बढ़ने से यह सेक्टर लंबे समय तक टिकाऊ विकास कर सकेगा.
भारत के सीफूड निर्यातकों के लिए यह मंजूरी वास्तव में “समुद्र से सोना निकालने” जैसा मौका है, जो आने वाले समय में देश की अर्थव्यवस्था और ग्रामीण समुदायों को नई ताकत देगा.