तीन साल में समुद्री मछली उत्पादन में 30 फीसदी उछाल, मछुआरों को मिलेगा बड़ा फायदा

समुद्र तटीय इलाकों के मछुआरों के लिए सरकार ने 100 जलवायु-लचीले (Climate Resilient) गांव विकसित करने की योजना शुरू की है. हर गांव पर करीब 2 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिससे मछुआरों की आजीविका सुरक्षित रहेगी और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी.

नई दिल्ली | Published: 22 Aug, 2025 | 10:54 AM

भारत में समुद्री मछली पालन ने हाल के वर्षों में एक नई उड़ान भरी है. साल 2020-21 में जहां समुद्री मछली उत्पादन करीब 34.76 लाख टन था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 44.95 लाख टन तक पहुंच गया है. यानी तीन साल में करीब 30 फीसदी उछाल दर्ज किया गया है. यह केवल एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि देश के लाखों मछुआरा परिवारों के लिए उम्मीद और खुशहाली की नई किरण है.

पीएम मत्स्य संपदा योजना का असर

इस बदलाव के पीछे सबसे बड़ी भूमिका प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) की मानी जा रही है. सरकार ने इस योजना के तहत आधुनिक मछली बंदरगाहों और लैंडिंग सेंटर्स को अपग्रेड करने, ठंडे भंडारण (कोल्ड स्टोरेज), आइस प्लांट्स, फिश मार्केट्स और लॉजिस्टिक्स सिस्टम को मजबूत करने पर जोर दिया है.

अब तक 58 फिशिंग हार्बर और लैंडिंग सेंटर को मंजूरी दी गई है. वहीं, 734 आइस प्लांट्स और कोल्ड स्टोरेज, 192 फिश रिटेल मार्केट, 21 आधुनिक होलसेल मार्केट और 6,410 फिश कियोस्क बनाए जा रहे हैं.

साथ ही, करीब 27,297 ट्रांसपोर्ट सुविधाओं जैसे आइस बॉक्स वाली बाइक, रिक्शा और रेफ्रिजरेटेड ट्रक उपलब्ध कराए जा रहे हैं, ताकि ताजा और गुणवत्तापूर्ण मछली सीधे उपभोक्ता तक पहुंच सके.

मछुआरों के लिए बड़ी राहत

समुद्र तटीय इलाकों के मछुआरों के लिए सरकार ने 100 जलवायु-लचीले (Climate Resilient) गांव विकसित करने की योजना शुरू की है. हर गांव पर करीब 2 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिससे मछुआरों की आजीविका सुरक्षित रहेगी और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी.

मछली पालन पर जोर

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और CMFRI की रिपोर्ट बताती है कि देश में मछली की 135 प्रजातियों में से करीब 91% स्टॉक टिकाऊ (sustainable) हैं. यानी, भारत न सिर्फ उत्पादन बढ़ा रहा है बल्कि सतत और जिम्मेदार मछली पालन की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है.

इसके अलावा, MPEDA का NETFISH कार्यक्रम लगातार मछुआरों को प्रशिक्षण दे रहा है. साल 2007 से अब तक 45 हजार से ज्यादा ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिनसे लगभग 15 लाख मछुआरे और कारोबारी लाभान्वित हुए हैं. इसका नतीजा यह है कि समुद्री उत्पादों की क्वालिटी में सुधार हुआ है और भारत का समुद्री निर्यात भी मजबूत हुआ है.

 मजबूत अर्थव्यवस्था

भारत में समुद्री मछली उत्पादन का बढ़ना सिर्फ मछुआरों की आमदनी बढ़ाने तक सीमित नहीं है. यह देश की खाद्य सुरक्षा, निर्यात क्षमता और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दे रहा है. सरकार की कोशिश है कि आधुनिक तकनीक, बेहतर सुविधाएं और जलवायु-अनुकूल नीतियों के जरिए भारत का मछली पालन क्षेत्र न केवल आत्मनिर्भर बने बल्कि दुनिया में भी अपनी पहचान मजबूत करे.