क्या है पॉलीहाउस? जिसे अपनाकर किसानों को हो रहा है फायदा

भारत में पॉलीहाउस स्थापित करने के बाद प्रति एकड़ आप आसानी से ₹8 लाख से ₹20 लाख तक की आय कमा सकते हैं, जो फसल और इसके प्रबंधन पर निर्भर करता है.

Kisan India
Noida | Updated On: 8 Mar, 2025 | 12:10 PM

भारत हमेशा से एक कृषि प्रधान देश रहा है. यहां की जलवायु कृषि के लिए बेहद लाभदायक रही है. हालांकि हाल के सालों में फसल उत्पादन में कमी आई है, जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. पहले पारंपरिक कृषि विधियों को ही किसान अपनाकर खेती करते थे. लेकिन जैसे-जैसे देश में तकनीकी विकास हो रहा है, वैसे-वैसे कृषि में भी बदलाव आ रहे हैं.

ऐसी ही एक नई तकनीक किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है, जिससे उन्हें बेहतर मुनाफे के साथ साथ अधिक उत्पादन मिल रहा है. यह तकनीक को पॉलीहाउस खेती कहा जाता है. पॉलीहाउस खेती एक आधुनिक कृषि पद्धति है. ये पारंपरिक खेती को एक नई दिशा देती है, जिससे कम संसाधनों में अधिक लाभ और उत्पादन मिलता है.

अगर आप भी पॉलीहाउस खेती को सेटअप करने की योजना बना रहे हैं, तो हम आपको बताने जा रहे हैं इससे जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी, जिसमें इसके प्रकार, लाभ, और भारत में इसकी सेटअप लागत जैसी महत्वपूर्ण बातें शामिल है.

 

पॉलीहाउस क्या है?

पॉलीहाउस एक प्रकार का ग्रीनहाउस है, जो गर्मी और ठंड के मौसम में पौधों के सही विकास के जलवायु को नियंत्रण करता है. पॉलीहाउस का ढांचा जस्ती इस्पात से बना होता है और इसकी छत UV-स्थिर पॉलीफिल्म से ढकी होती है. सिससे पौधों के लिए आदर्श वातावरण तैयार होता है.

पहले पॉलीहाउस खेती अन्य पॉलीकार्बोनेट, कांच की छत, लकड़ी के फ्रेम से बनते थे, लेकिन अब आधुनिक पॉलीहाउस जस्ती इस्पात पाइप या अन्य मजबूत सामग्रियों से बनाए जाते हैं जो हर मौसम में सफल हैं.

 

इन राज्यों को होगा फायदा

अपने कठोर जलवायु के लिए जाने जाने वाले उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में पॉलीहाउस खेती अच्छा विकल्प है. इसके अंदर की जलवायु नियंत्रित में रहती है, जिससे खेती के लिए आदर्श स्थिति बन जाती है.

 

पॉलीहाउस खेती के लाभ

1. पॉलीहाउस में उगाई जाने वाली फसलें उच्च गुणवत्ता वाली होती हैं. तापमान और नमी को नियंत्रित रखने की वजह से पौधों को उचित जलवायु मिलती है और उत्पादन की गुणवत्ता पर इसका असर पड़ता है.

2. इसकी खास बात ये है कि पॉलीहाउस में किसानों को जलवायु नियंत्रण की सुविधा मिलती है. इसमें तापमान को नियंत्रित करने के लिए कई उपकरण लगाए जाते हैं, जैसे कि फैन पैड सिस्टम और डिजिटल नियंत्रण यूनिट. जिससे तापमान, नमी, और हवा के प्रवाह को नियंत्रित किया जा सकता है. साथ ही किसी भी मौसम में फसल को लगाया जा सकता है.

3. पॉलीहाउस में खड़ी खेती की जा सकती है, जैसे कि खीरे और टमाटर की लताओं को लगाकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.

4. पॉलीहाउस खेती से उत्पादन में 10-12 गुना इजाफा देखने को मिलता है.

 

पॉलीहाउस के प्रकार

प्राकृतिक रूप से वेंटिलेटेड पॉलीहाउस: यह एक पारंपरिक प्रकार का पॉलीहाउस है जिसमें कुछ बुनियादी वेंटिलेशन और जलवायु नियंत्रण प्रणाली होती है. यह बाहरी जलवायु से पूरी तरह से प्रभावित नहीं होता लेकिन फसल की वृद्धि पर असर डालने वाले कारकों को नियंत्रित करता है.

पर्यावरण नियंत्रित पॉलीहाउस: यह सबसे उन्नत प्रकार का पॉलीहाउस है जिसमें तापमान, नमी, और सूर्य की रोशनी को पूरी तरह से नियंत्रित किया जाता है. इस प्रकार के पॉलीहाउस में आधुनिक तकनीकी उपकरण जैसे कि डिजिटल सेंसर और ऑटोमेटिक सिस्टम लगाए जाते हैं.

 

पॉलीहाउस निर्माण की लागत

पॉलीहाउस का निर्माण खर्च उस प्रकार पर निर्भर करता है जिसे आप स्थापित करना चाहते हैं. एक साधारण पॉलीहाउस की लागत लगभग ₹600 प्रति वर्ग मीटर से शुरू होती है, जबकि एक उच्च तकनीकी पॉलीहाउस की लागत ₹4000 प्रति वर्ग मीटर तक पहुंच सकती है.

 

पॉलीहाउस में उगाए जाने वाली फसलें

फल: स्ट्रॉबेरी, मस्कमेलन, पीच, पपीता, अंगूर

सब्जियां: शिमला मिर्च, टमाटर, हरी पत्तेदार सब्जियां

फूल: गुलाब, आर्केड, कर्नेशन

भारत में पॉलीहाउस स्थापित करने के बाद प्रति एकड़ आप आसानी से ₹8 लाख से ₹20 लाख तक की आय कमा सकते हैं, जो फसल और इसके प्रबंधन पर निर्भर करता है.

Published: 8 Mar, 2025 | 12:10 PM

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