सरकार ने 30 सितंबर तक हटाई कपास आयात ड्यूटी, जानें किसे होगा सबसे बड़ा फायदा

भारत ने 2030 तक 100 अरब डॉलर के टेक्सटाइल निर्यात का लक्ष्य रखा है. मौजूदा समय में भारत अमेरिका का तीसरा सबसे बड़ा सप्लायर है. 2024 की पहली छमाही में भारत ने अमेरिका को 5.36 अरब डॉलर का निर्यात किया, जो पिछले साल से 12 फीसदी ज्यादा है. लेकिन बांग्लादेश और वियतनाम भारत से तेजी से आगे निकल रहे हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 19 Aug, 2025 | 10:26 AM

भारत का कपड़ा और वस्त्र उद्योग इस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी प्रतिस्पर्धा और ऊंचे अमेरिकी शुल्क की मार झेल रहा है. ऐसे माहौल में केंद्र सरकार का बड़ा फैसला सामने आया है. वित्त मंत्रालय ने सोमवार को घोषणा की कि कच्चे कपास पर लगने वाली 11 प्रतिशत आयात ड्यूटी को 30 सितंबर तक हटा दिया गया है. यह कदम न सिर्फ कपड़ा उद्योग बल्कि लाखों किसानों, कामगारों और उपभोक्ताओं के लिए भी राहत की सांस लेकर आया है.

क्यों लिया गया यह फैसला?

बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के अनुसार, भारत से अमेरिका को कपड़ा और वस्त्र निर्यात पर इस समय 50 फीसदी तक शुल्क लगाया जा रहा है, जबकि बांग्लादेश, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों पर यह टैक्स केवल 19-20 फीसदी है. चीन को भी 30 फीसदी टैक्स देना पड़ता है, जो भारत से कम है. ऐसे में भारतीय निर्यातक अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में पिछड़ रहे थे.

सरकार ने अस्थायी रूप से आयात शुल्क हटाकर उद्योग को राहत देने का फैसला किया. यह छूट 19 अगस्त से 30 सितंबर तक लागू रहेगी.

किसे होगा फायदा?

  • इस फैसले से पूरा वस्त्र उद्योग को फायदा होगा.
  • धागा बनाने वाले स्पिनिंग मिल्स को कच्चे कपास की उपलब्धता आसान और सस्ती होगी.
  • कपड़ा और गारमेंट्स तैयार करने वाले उद्योगों को लागत में कमी आएगी.
  • उपभोक्ताओं तक कपड़ों की कीमतें स्थिर रखने में मदद मिलेगी.
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम भारतीय उद्योग को गुणवत्ता वाले, बिना मिलावट वाले कपास तक पहुंच दिलाने में अहम भूमिका निभाएगा.

उद्योग का स्वागत

कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (CITI) ने लंबे समय से यह मांग की थी कि कपास आयात पर शुल्क हटाया जाए. संगठन की सचिव चंद्रिमा चटर्जी ने कहा:

“यह राहत उद्योग के लिए बड़ी मदद है. हमारी मांग थी कि घरेलू कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुरूप हों. हालांकि यह अस्थायी है, लेकिन इससे उद्योग को थोड़ी स्थिरता जरूर मिलेगी.”

चुनौतियां बरकरार

हालांकि यह राहत केवल 42 दिनों के लिए है. उद्योग जगत को उम्मीद है कि सरकार इसे आगे भी बढ़ाएगी. अमेरिकी बाजार में भारी शुल्क के कारण कई भारतीय निर्यातकों ने अपना निर्यात रोक दिया है या नुकसान झेलते हुए ऑर्डर पूरे कर रहे हैं. वॉलमार्ट, अमेजन और H&M जैसे बड़े अमेरिकी रिटेलर्स ने भारतीय सप्लायर्स से शिपमेंट रोकने की अपील तक कर दी है.

भारत का निर्यात लक्ष्य

भारत ने 2030 तक 100 अरब डॉलर के टेक्सटाइल निर्यात का लक्ष्य रखा है. मौजूदा समय में भारत अमेरिका का तीसरा सबसे बड़ा सप्लायर है. 2024 की पहली छमाही में भारत ने अमेरिका को 5.36 अरब डॉलर का निर्यात किया, जो पिछले साल से 12 फीसदी ज्यादा है. लेकिन बांग्लादेश और वियतनाम भारत से तेजी से आगे निकल रहे हैं.

सरकार का यह फैसला भले ही अस्थायी हो, लेकिन यह उद्योग के लिए “तुरंत राहत” देने वाला कदम है. यदि यह छूट आगे भी जारी रहती है, तो भारतीय कपड़ा उद्योग वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है.

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