अब सब्जी खरीदने की झंझट खत्म, जानिए गमलों में पालक उगाने का आसान फॉर्मूला

पालक को हल्की, भुरभुरी और पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी पसंद होती है. साधारण शब्दों में कहें तो ऐसी मिट्टी जो पानी रोककर न रखे, बल्कि जरूरत के मुताबिक नमी बनाए रखे. दोमट मिट्टी में अगर थोड़ी मात्रा में गोबर की खाद, कोकोपीट या वर्मीकम्पोस्ट मिला दिया जाए, तो पालक के पौधे तेजी से बढ़ते हैं.

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नई दिल्ली | Published: 25 Dec, 2025 | 11:54 AM
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Gardening Tips: आज की तेज रफ्तार जिंदगी में हर कोई शुद्ध और ताजा खाने की तलाश में है. सब्जी मंडी से लाई गई पालक कई बार मुरझाई हुई होती है या उस पर रसायनों के इस्तेमाल की चिंता बनी रहती है. ऐसे में अगर वही हरी-भरी पालक आप अपने घर की बालकनी, छत या खिड़की के पास खुद उगा लें, तो स्वाद के साथ-साथ मन को भी सुकून मिलता है. गमलों में पालक उगाना न तो बहुत मुश्किल है और न ही इसके लिए बड़े खेत की जरूरत पड़ती है. थोड़ी सी समझदारी, सही देखभाल और नियमित ध्यान से आप भी पेशेवर तरीके से पालक उगा सकते हैं.

सही शुरुआत क्यों है सबसे जरूरी

पालक उगाने की शुरुआत सही गमले से होती है. अगर गमला ठीक नहीं होगा, तो पौधा चाहकर भी अच्छा विकास नहीं कर पाएगा. पालक की जड़ें ज्यादा गहरी नहीं जातीं, लेकिन उन्हें फैलने की जगह चाहिए. इसलिए 6 से 8 इंच गहरे और चौड़े गमले सबसे बेहतर माने जाते हैं. आयताकार गमले या ग्रो बैग भी अच्छा विकल्प होते हैं, क्योंकि इनमें एक साथ कई पौधे आराम से उग सकते हैं. गमले के नीचे पानी निकलने के लिए छेद होना बहुत जरूरी है, वरना जड़ें सड़ सकती हैं.

मिट्टी का चुनाव तय करता है फसल की सेहत

पालक को हल्की, भुरभुरी और पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी पसंद होती है. साधारण शब्दों में कहें तो ऐसी मिट्टी जो पानी रोककर न रखे, बल्कि जरूरत के मुताबिक नमी बनाए रखे. दोमट मिट्टी में अगर थोड़ी मात्रा में गोबर की खाद, कोकोपीट या वर्मीकम्पोस्ट मिला दिया जाए, तो पालक के पौधे तेजी से बढ़ते हैं. मिट्टी का पीएच स्तर लगभग तटस्थ होना चाहिए, ताकि पौधे को पोषण आसानी से मिल सके.

खाद और पोषण से कैसे बढ़े हरियाली

पालक एक पत्तेदार सब्जी है, इसलिए इसे शुरुआत से ही नाइट्रोजन की जरूरत होती है. बुवाई के समय अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाना बहुत फायदेमंद रहता है. जैसे-जैसे पौधा बढ़ता है, वैसे-वैसे पत्तियों का रंग और आकार इस बात का संकेत देता है कि उसे पोषण मिल रहा है या नहीं. अगर पत्तियां हल्की पड़ने लगें, तो समझिए खाद की जरूरत है. समय-समय पर थोड़ी मात्रा में जैविक खाद देने से पालक हमेशा हरी-भरी बनी रहती है.

धूप और जगह का सही संतुलन

पालक को धूप पसंद है, लेकिन बहुत तेज धूप इसे नुकसान भी पहुंचा सकती है. सर्दियों या हल्के मौसम में इसे रोज 5 से 6 घंटे की धूप मिल जाए, तो यह बहुत अच्छी तरह बढ़ती है. गर्मियों में दोपहर की कड़ी धूप से इसे बचाना जरूरी है, इसलिए ऐसी जगह रखें जहां सुबह की धूप और दोपहर में हल्की छाया मिले. सही रोशनी मिलने पर पत्तियां कोमल और स्वादिष्ट बनती हैं.

बुवाई का सही तरीका और सही समय

पालक के बीज बोना बेहद आसान है. बीजों को लगभग आधा इंच गहराई में बोकर ऊपर से हल्की मिट्टी डाल दें. हर बीज के बीच 4 से 5 इंच की दूरी रखें, ताकि पौधों को फैलने का मौका मिले. बुवाई के बाद हल्का पानी दें. आमतौर पर 5 से 14 दिनों के अंदर छोटे-छोटे अंकुर दिखाई देने लगते हैं. यही वह पल होता है, जब माली का मन सबसे ज्यादा खुश होता है.

पानी देने में न करें ये गलती

पालक को पानी पसंद है, लेकिन ज्यादा पानी इसका दुश्मन बन सकता है. मिट्टी हमेशा हल्की नम रहनी चाहिए, गीली या कीचड़ जैसी नहीं. गर्म मौसम में रोज हल्का पानी देना ठीक रहता है, जबकि ठंड में जरूरत के हिसाब से ही सिंचाई करें. सही जल निकासी और संतुलित पानी से जड़ें मजबूत रहती हैं और पौधा जल्दी तैयार होता है.

कब और कैसे करें कटाई

लगभग 50 से 55 दिनों में पालक की पत्तियां तोड़ने लायक हो जाती हैं. आप चाहें तो बाहरी पत्तियां काट सकते हैं और अंदर से पौधे को बढ़ने का मौका दे सकते हैं. इससे लंबे समय तक ताजी पालक मिलती रहती है. घर की उगी पालक का स्वाद न सिर्फ बेहतर होता है, बल्कि यह भरोसेमंद और सेहतमंद भी होती है.

एक छोटा सा कदम, बड़ी ताजगी

गमलों में पालक उगाना सिर्फ बागवानी नहीं, बल्कि एक सुकून भरा अनुभव है. यह आपको प्रकृति से जोड़ता है, सेहतमंद भोजन देता है और रोजमर्रा की जिंदगी में हरियाली भर देता है. अगर आप आज शुरुआत करते हैं, तो कुछ ही हफ्तों में अपनी मेहनत का हरा-भरा फल देख पाएंगे. अब देर किस बात की, एक गमला चुनिए और पालक उगाने की इस खूबसूरत यात्रा की शुरुआत कीजिए.

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