दिवाली के बाद भी नहीं थम रही काली मिर्च की रफ्तार, हर दिन बढ़ रहा दाम, जानिए वजह

उत्तर भारत के बाजारों में दिवाली के बाद मांग भले कम हुई हो, लेकिन काली मिर्च के दाम रोजाना बढ़ते जा रहे हैं. कोच्चि टर्मिनल बाजार में बिना छंटी काली मिर्च का भाव जहां 693 रुपये किलो पहुंच गया है, वहीं छंटी हुई मिर्च 713 रुपये प्रति किलो बिक रही है.

नई दिल्ली | Published: 25 Oct, 2025 | 12:13 PM

Black Pepper Prices: दिवाली के बाद आमतौर पर बाजारों में रौनक थोड़ी धीमी पड़ जाती है. मिठाइयों और उपहारों का दौर खत्म होने के साथ ही मसालों की मांग भी कुछ दिनों के लिए ठंडी हो जाती है. लेकिन इस बार एक मसाला ऐसा है, जो सुस्ती के मौसम में भी अपनी चमक बरकरार रखे हुए है, वो है काली मिर्च (Black Pepper). बाजार की रफ्तार धीमी होने के बावजूद इसके दाम लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे व्यापारी और उपभोक्ता दोनों हैरान हैं.

दिवाली के बाद भी काली मिर्च की कीमतों में उछाल

उत्तर भारत के बाजारों में दिवाली के बाद मांग भले कम हुई हो, लेकिन काली मिर्च के दाम रोजाना बढ़ते जा रहे हैं. कोच्चि टर्मिनल बाजार में बिना छंटी काली मिर्च का भाव जहां 693 रुपये किलो पहुंच गया है, वहीं छंटी हुई मिर्च 713 रुपये प्रति किलो बिक रही है.

व्यापारियों का कहना है कि यह बढ़ोतरी अस्थायी नहीं, बल्कि स्थिर रुझान का हिस्सा है. उनका मानना है कि त्योहारों के बाद भी मसाला उद्योग अपनी जरूरतों के लिए लगातार खरीद कर रहा है, जिससे बाजार में दबाव बना हुआ है.

ब्राजील की सस्ती मिर्च ने बढ़ाई चिंता

इस बीच भारत के मसाला कारोबारियों के सामने एक नई चुनौती खड़ी हो गई है ब्राजील से आने वाली सस्ती काली मिर्च. ब्राजील की मिर्च भारत में लगभग 750 रुपये प्रति किलो के भाव पर उपलब्ध हो रही है. वहीं भारत में तमिलनाडु, वायनाड और कूर्ग जैसे प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों की मिर्च की कीमत 8,000 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई है, जबकि ब्राजील की मिर्च 6,000 डॉलर प्रति टन में मिल रही है.

इस मूल्य अंतर की वजह से घरेलू किसानों की मिर्च की मांग पर असर पड़ रहा है. कई छोटे व्यापारी अब ब्राजील की सस्ती मिर्च आयात करने की दिशा में झुक रहे हैं, जिससे भारतीय बाजार पर दबाव और बढ़ सकता है.

घटा उत्पादन अनुमान, किसानों में चिंता

काली मिर्च की कीमतों में तेजी का एक बड़ा कारण इसका कम उत्पादन अनुमान भी है. कृषि विभाग के ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक, 2026 में काली मिर्च का उत्पादन 1.10 लाख टन से घटकर केवल 85,000 टन रह सकता है. दक्षिण भारत के कई इलाकों में उत्तर-पूर्वी मानसून और तेज हवाओं ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है.

कई किसान बता रहे हैं कि लगातार बदलते मौसम और अनियमित वर्षा ने पौधों की वृद्धि पर असर डाला है. अगर हालात ऐसे ही रहे, तो अगले साल काली मिर्च की उपलब्धता और घट सकती है.

त्योहारों के बाद बाजार कब पकड़ेगा रफ्तार?

व्यापारियों का अनुमान है कि अगले सप्ताह से जैसे ही लोग छुट्टियों से लौटेंगे, बाजार की हलचल फिर बढ़ेगी. मसाला उद्योगों में स्टॉक भरने की गतिविधियां तेज होंगी और मांग फिर सामान्य स्तर पर पहुंच जाएगी.

हालांकि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति घटती रही और ब्राजील जैसी प्रतिस्पर्धा जारी रही, तो काली मिर्च के दाम आने वाले हफ्तों में और बढ़ सकते हैं.

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