मिर्च किसानों को भारी नुकसान, 80 रुपये किलो कम रेट पर बेचने को हुए मजबूर.. सरकार से की ये मांग

पंजाब सरकार ने इस बार धान की बुवाई 1 जून से शुरू करने का फैसला लिया, जिससे खेतों में मिर्च तोड़ने के लिए मजदूर नहीं मिले. मजदूरों ने धान के बेहतर रेट मिलने के कारण वहीं काम करना पसंद किया.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 13 Jul, 2025 | 09:21 AM

Chilli Farming: पंजाब में धान की बुवाई जल्दी शुरू होने के कारण मजदूरों की कमी हो गई. इसके चलते मिर्च किसानों को इस साल बहुत नुकसान झेलना पड़ा. वहीं, आंध्र प्रदेश स्थित गुंटूर मंडी में मिर्च की सप्लाई कम होने से किसानों को सही दाम और खरीदार नहीं मिले. इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. कीमत में गिरावट का आलम यह है कि सूखी लाल मिर्च के भाव 2023 में जहां 180 रुपये प्रति किलो तक थे, वहीं इस साल 60 से 70 रुपये प्रति किलो तक गिर गए. ऐसे में किसानों को अपनी उपज को 75 से 80 रुपये प्रति किलो के कम दाम पर लोकल और राजस्थान की मंडियों में बेचना पड़ा.

दरअसल, पंजाब का फिरोजपुर सबसे बड़ा मिर्च उत्पादक जिला है. मंडी में उचित भाव नहीं मिलने से यहां पर कई किसानों ने समय से पहले ही अपनी फसल को जोत दिया और धान की बुवाई शुरू कर दी. हालांकि, फिरोजपुर में मिर्च की खेती में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. 2014-15 में जहां 736 हेक्टेयर में मिर्च बोई जाती थी. वहीं 2024-25 में रकबा बढ़कर 2,732 हेक्टेयर हो गया, लेकिन इस बार किसानों को भारी नुकसान हुआ. हालांकि, फिरोजपुर में मिर्च क्लस्टर की शुरुआत मार्च 2023 में हुई थी.

कम रेट के चलते फसल को जोतना पड़ा

द टाइम्स ऑफ इंडिया कि रिपोर्ट के मुताबिक, बस्ती डाबियां वाली गांव के किसान मनप्रीत सिंह ने कहा कि उन्होंने 100 एकड़ में मिर्च की खेती की थी. लेकिन मजदूर की कमी और कम रेट के चलते बड़ी मात्रा में अपनी फसल को जोतना पड़ा. उन्होंने कहा कि इस साल पंजाब की मिर्च गुंटूर नहीं पहुंच पाई, क्योंकि वहां के निर्यात सैंपल रिजेक्ट हो गए थे. इसका कारण था मिर्च में बची कीटनाशक दवाओं के अधिक अवशेष. इसके अलावा, गुंटूर में पहले से ही पुरानी मिर्च का बहुत स्टॉक था, जो कोल्ड स्टोरेज में रखा गया था.

75 से 80 रुपये किलो बेचने को मजबूर हुए किसान

हालांकि फिरोजपुर की मिर्च बिना कीटनाशक अवशेषों के होती है और इसका खास लाल रंग गुंटूर के व्यापारियों को पसंद आता है. फिर भी किसान मनप्रीत सिंह जैसे कई किसान मजबूर हो गए कि वे अपनी मिर्च 75 से 80 रुपये प्रति किलो के कम दाम पर लोकल और राजस्थान के ग्राइंडरों को बेचें. गुंटूर मिर्च मंडी एशिया की सबसे बड़ी मिर्च मंडियों में से एक है और चीन, वियतनाम जैसे देशों में मिर्च का निर्यात करती है.

किसान कर रहे कोल्ड स्टोरेज की मांग

किसानों की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं. पंजाब सरकार ने इस बार धान की बुवाई 1 जून से शुरू करने का फैसला लिया, जिससे खेतों में मिर्च तोड़ने के लिए मजदूर नहीं मिले. मजदूरों ने धान के बेहतर रेट मिलने के कारण वहीं काम करना पसंद किया. इसका असर पूरे फिरोजपुर जिले पर पड़ा और पहली बार किसानों को अपनी मिर्च की फसल जोतनी पड़ी. किसानों ने लंबे समय से कोल्ड स्टोरेज की मांग की है, ताकि हरी मिर्च को धीरे-धीरे लाल होने तक स्टोर किया जा सके और बेहतर दाम मिल सके.

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Published: 13 Jul, 2025 | 09:15 AM

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