केंद्र सरकार ने घरेलू बीज उत्पादकों के हितों को ध्यान में रखते हुए तरबूज के बीजों के आयात पर रोक लगा दी है. यह फैसला पिछले साल बीजों के अधिक आयात की वजह से लिया गया है. वाणिज्य मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, भारत ने पिछले वित्त वर्ष में 83,812 टन तरबूज के बीज आयात किए, जो पिछले तीन साल के औसत 40,697 टन से लगभग दोगुना है.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने यह फैसला ‘लघु उद्योग भारती’ की अपील के बाद लिया है, जो देशभर में सूक्ष्म और लघु उद्यमों के हितों की रक्षा के लिए काम करती है. हालांकि, तरबूज बीजों का आयात 2021-22 में 20,355 टन था, जो 2022-23 में बढ़कर 65,989 टन हो गया था. इसके बाद यह ट्रेंड लगातार बढ़ता गया, जिससे घरेलू उद्योगों पर असर पड़ा.
साल 2023-24 में 35,749 टन हुआ तरबूज बीजों का आयात
इसी तरह साल 2023-24 में तरबूज के बीजों का आयात 35,749 टन था. तरबूज बीजों की सालाना मांग लगभग 60,000-65,000 टन है, जबकि घरेलू उत्पादन सिर्फ 40,000 टन है. इसलिए किसानों को हर साल 20,000-25,000 टन बीज आयात पर निर्भर रहना पड़ता है. दिलचस्प बात यह है कि पिछले जून तक आयातकों को बिना किसी रोक-टोक के बीज मंगाने की छूट थी.
सस्ते आयात से घरेलू उद्योग को हो रहा है नुकसान
भारतीय किसान संघ के राजस्थान राज्य के महासचिव तुलचरण सिवार ने कहा कि ज्यादा आयात ने घरेलू बीज उत्पादन को प्रभावित किया है और सरकार के आत्मनिर्भरता के दावे को चुनौती दी है. सस्ते आयात से घरेलू उद्योग को नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि भले ही हाइब्रिड बीज से ज्यादा उपज होती है, लेकिन यह मिट्टी की पोषण क्षमता को नुकसान पहुंचाता है और किसानों को ज्यादा रसायन इस्तेमाल करने पर मजबूर करता है.
भारत में बीज उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा
आयातित बीजों की वजह से छोटे किसानों और पशुपालक, जो पारंपरिक फसलों जैसे मटिरा (जंगली तरबूज) और तुंबा के बीजों पर निर्भर हैं, अपनी लागत निकालने के लिए उन्हें सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं. इससे रोजगार में कमी हो रही है. आयातित तरबूज के बीज घरेलू बीजों से 15-20 प्रतिशत सस्ते हैं. लेकिन सरकार के तरबूज बीजों के आयात पर रोक लगाने से घरेलू बीजों की कीमत बढ़ेगी और भारत में बीज उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा. ऐसे चीन दुनिया का सबसे बड़ा तरबूज बीज उत्पादक देश है.