पंजाब का बासमती चावल दुनिया में मशहूर फिर भी किसान क्‍यों हैं निराश

बासमती चावल का करीब 70 फीसदी हिस्सा सिर्फ पांच पश्चिमी एशियाई देशों- ईरान, सऊदी अरब, इराक, यूएई और यमन को निर्यात किया जाता है. पिछले तीन दशकों में बासमती का निर्यात 37 गुना से ज्‍यादा हो गया है.

Kisan India
Agra | Published: 17 Mar, 2025 | 08:00 AM

पंजाब के किसान पिछले कई दशकों से धान की खेती पर निर्भर हैं. बासमती चावल जो धान परिवार का एक अहम हिस्‍सा है, पंजाब के किसानों की बेशकीमती फसल है. बासमती अपने लंबे, पतले दानों, भरपूर खुशबू और नरम बनावट की वजह से दुनिया भर में पसंद किया जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस प्रीमियम चावल का करीब 70 फीसदी हिस्सा सिर्फ पांच पश्चिमी एशियाई देशों- ईरान, सऊदी अरब, इराक, यूएई और यमन को निर्यात किया जाता है. इसकी मांग इतनी ज्‍यादा है कि पिछले तीन दशकों में बासमती का निर्यात 37 गुना से ज्‍यादा हो गया है. लेकिन इसके बाद भी पंजाब के किसान निराश हैं.

पंजाब से 40 फीसदी सप्‍लाई

वेबसाइट फिनशॉट्स की रिपोर्ट के अनुसार दिलचस्प बात यह है कि भारत दुनिया के बासमती चावल की करीब 75 फीसदी मांग की सप्‍लाई अकेले करता है. इस आंकड़ें में सबसे बड़ा योगदान पंजाब का है. भारत के निर्यात का अकेले 40 प्रतिशत पंजाब से पूरा होता है. अब कई लोगों को लगता होगा कि जब निर्यात इतना है तो फिर राज्य के किसान भी सबसे ज्‍यादा कमाते होंगे जबकि ऐसा नहीं है. पंजाब के कई किसान मानते हैं कि वो इस चावल के साथ फंस गए हैं.

लगातार कम होता भूजल

पंजाब में गिरता भूजल अब इस चावल की खेती पर खतरा बनता जा रहा है. पंजाब का भूजल खतरनाक दर से खत्‍म हो रहा है और यही बात किसानों को खाए जा रही है. निर्यात की जरूरत तेजी से बढ़ने की वजह से पंजाब ने उत्पादन बढ़ा दिया है. लेकिन ऐसा करने के लिए किसान भूजल को असंवहनीय स्तर पर पंप कर रहे हैं. अगर हालात नहीं बदले तो इस दर से पंजाब में सिर्फ 30 साल में पीने का पानी खत्म हो सकता है. कुछ विशेषज्ञों की मानें तो यह और भी जल्‍दी यानी सिर्फ 15 साल में ही हो सकता है. पानी के अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी पंजाब के किसानों के लिए परेशानी वाला विषय है.

बासमती पर MSP भी नहीं

गेहूं और धान दोनों के लिए एमएसपी है और इससे किसानों को फायदा भी होता है. वहीं बासमती पर अभी तक कोई MSP नहीं है जबकि यह निर्यात के लिए एक प्रीमियम गुणवत्ता वाला चावल है. पंजाब में बासमती चावल के लिए कोई आधिकारिक एमएसपी नहीं है. अगर बाजार दरें एक निश्चित स्तर से नीचे गिरती हैं तो सरकार बासमती खरीदती है. पंजाब में बासमती चावल किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण फसल है. राज्य में हर साल करीब 15 लाख एकड़ में इसकी खेती की जाती है. न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) की शर्तें हटा दिए जाने के बावजूद, कम कीमतों के कारण किसान निराश हो रहे हैं.

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Published: 17 Mar, 2025 | 08:00 AM

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