सहजन की खेती ने किसान की बदली जिंदगी, जानें इसकी तकनीक

सहजन की खेती से किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. आयुर्वेदिक गुणों के कारण बाजार में इसके के पत्ते, फलियां, जड़ें, बीज और फूल की अच्छी मांग है, जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

Kisan India
Noida | Published: 20 Mar, 2025 | 05:48 PM

आज के समय में खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए किसानों को परंपरागत खेती से आगे बढ़कर नई फसलों की ओर रुख करना जरूरी है. सुपर फूड के नाम से जाना जाने वाला सहजन (मोरिंगा), की पत्तियां, फलियां और जड़ें पोषण से भरपूर होने के कारण इसे दवा के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. यही वजह है कि बाजार में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है. वहीं कई किसान पारंपरिक फसलों के बजाय सहजन की खेती कर लाखों का मुनाफा कम रहे है. आइए जानते हैं कि सहनज की खेती कैसे करें और इससे मुनाफा कैसे बढ़ाया जा सकता है.

सहजन की खेती से किसानों को मुनाफा

पहले किसान पारंपरिक फसलों जैसे गेहूं,चावल और दालों पर निर्भर रहते थे, वहीं अब सहजन की खेती में कम लागत, कम पानी और कम मेहनत से किसानों का मुनाफा अधिक बढ़ सकता है.  महाराष्‍ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान के कई किसानों ने सहजन की खेती करके सालाना 2-3 लाख रुपये प्रति एकड़ तक का मुनाफा कमाया है. इसके साथ ही ऑर्गेनिक मोरिंगा पाउडर और तेल की मांग भारत और विदेशों में तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में किसान इसे ऑनलाइन और आयुर्वेदिक कंपनियों को बेचकर अच्छा लाभ कमा रहे हैं.

सहजन की खेती कैसे करें?

सहजन की खेती आसान होती है,लेकिन इसके लिए आपको सही तकनीक अपनाने की जरूरत है.

मिट्टी का चयन–  सहजन गर्म और शुष्क जलवायु (dry climate) में अच्छी तरह बढ़ता है. इसके लिए बलुई मिट्टी (sandy soil) सबसे अच्छी मानी जाती है. मिट्टी का pH 6.5 से 8.0 के बीच होना चाहिए. आप चाहे तो मोरिंगा की खेती बीज और कटिंग, दोनों ही तरीकों से की जा सकती है. लेकिन बीज से फसल जल्दी बढ़ती है.

रोपण की विधि–  रोपण का सही समय जून से जुलाई और फरवरी से मार्च के बीच होता है. पौधों को हमेशा 2.5 से 3 मीटर की दूरी पर लगाएं, ताकि फासले आपस में न उलझे.

सिंचाई और खाद प्रबंधन–  पहले 3 महीने तक नियमित सिंचाई जरूरी है. फसलों में ज्यादा पानी न दें क्योंकि मोरिंगा काम पानी में भी अच्छी तरह बढ़ता है. वहीं पौधों में जैविक खाद जैसे गोबर की खाद,वर्मी कम्पोस्ट और नीम खली का ही प्रयोग करें.

कीट और रोग नियंत्रण–  आमतौर पर सहजन में कीटों का प्रकोप कम होता है. लेकिन अगर कोई बीमारी लगे, तो नीम तेल या जैविक कीटनाशक का छिड़काव करें.

कटाई और उत्पादन– सहजन की पत्तियों को 45-50 दिनों में तोड़ी जाती हैं. फलियों को 8-10 महीने का समय लगता हैं. इस पौधे को एक बार लगा कर इससे 4-5 साल तक लगातार उत्पादन लिया जा सकता है.

मोरिंगा बेचकर कैसे करें अच्छी कमाई?

सहजन के पत्ते, फलियां, जड़ें, बीज और फूल, सभी की बाजार में अच्छी मांग है. किसान इसे कई तरह से बेच सकते है.
ताजे पत्ते और फलियां स्थानीय मंडी में बेच सकते हैं.
ऑर्गेनिक मोरिंगा पाउडर, कैप्सूल और तेल बनाकर ऑनलाइन बेच सकते हैं.
आयुर्वेदिक कंपनियों और फार्मा इंडस्ट्री को सप्लाई कर सकते हैं.
सुपरमार्केट और हेल्थ स्टोर्स में सप्लाई कर सकते हैं.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%