खरीफ सीजन में किसानों को फसलों के लिए खाद की जरूरत है. ऐसे में विक्रेता खाद की बोरी के साथ मनमाने तरीके से कीटनाशक, नैनो फर्टिलाइजर और बायो स्टिमुलेंटएस्टमुलेंट जैसे प्रोडक्ट की टैगिंग कर रहे हैं. इस पर केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने सख्त आदेश जारी किए हैं. कहा गया है कि किसानों को जबरन ऐसे उत्पाद बेचने पर विक्रेता और प्रोडक्ट निर्मित कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी और जुर्माने के साथ जेल भी काटनी पड़ सकती है.
भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अधीन उर्वरक विभाग ने सभी उर्वरक कंपनियों के प्रबंध निदेशक, अध्यक्षों को भेजे आदेश लेटर में स्पष्ट कर दिया है कि खाद की बोरी के साथ अनाधिकृत टैगिंग कर किसानों के साथ धोखाधड़ी पर कार्रवाई होगी. मंत्रालय में अपर सचिव अनीता सी मेश्राम की ओर से जारी आदेश में सभी राज्यों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, कृषि सचिव को भेजा गया है.
किसानों को जबरन नॉन सब्सिडी प्रोडक्ट बेचने की शिकायतें
आदेश में कहा गया है कि उर्वरक विभाग के संज्ञान में आया है कि कुछ नॉन सब्सिडी वाले उत्पाद जैसे कीटनाशक, नैनो उर्वरक, बायो स्टिमुलेंट और अन्य उत्पादों को किसानों को यूरिया और डीएपी, एनपीकेएस जैसे सब्सिडी वाली खाद के साथ टैग किया जा रहा है.
रोक के बावजूद खाद बोरी के साथ टैगिंग पर नाराजगी
उर्वरक विभाग ने समय-समय पर ऐसी प्रथाओं को रोकने के लिए गाइडलाइन जारी की है. हालांकि, यह देखा गया है कि कुछ कंपनियों के डीलर और खुदरा विक्रेता किसानों को सब्सिडी वाले उर्वरक बेचते समय नॉन सब्सिडी वाले उत्पादों को टैग करना जारी रखते हैं. इसके संबंध में लगातार शिकायतें और परिवाद याचिकाएं मिल रही हैं. जो बताती हैं कि नॉन सब्सिडी वाले उत्पादों को सब्सिडी वाले उर्वरकों के साथ टैग करने की प्रथा बड़े स्तर पर लगातार जारी है.
जबरन बिक्री कर किसानों से पैसों की वसूली की शिकायतें
मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस तरह की प्रथाएं किसानों पर अनुचित वित्तीय बोझ डालती हैं और सरकार के उर्वरक सब्सिडी ढांचे के उद्देश्यों को कमजोर करती हैं, जिसका उद्देश्य आवश्यक उर्वरकों तक सस्ती और समान पहुंच प्रदान करना है. इसलिए सभी कंपनियों, विक्रेताओं और डीलर्स को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि किसानों के लिए नॉन सब्सिडी वाले उत्पादों को सब्सिडी वाले उर्वरकों के साथ टैग न किया जाए. इस तरह के कदाचार का कोई भी मामला यदि इस विभाग के ध्यान में लाया जाता है तो संबंधित वैधानिक प्रावधानों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी.
इन नियमों के तहत होगी खाद कंपनी-विक्रेता-डीलर पर कार्रवाई
मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 (ईसीए-1955) के तहत उर्वरकों को आवश्यक वस्तु घोषित किया गया है. सब्सिडी वाले उर्वरकों के साथ अन्य उत्पादों को अनाधिकृत रूप से टैग करने से संबंधित कोई भी गतिविधि ईसीए-1955 और उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 (एफसीओ-1985) का उल्लंघन हो सकती है.