Bihar Elections 2025: बिहार में 56 लाख लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटे, जानिए क्या है इसकी वजह

SIR एक ऐसा अभियान है जिसमें हर मतदाता की मौजूदगी, पहचान और स्थिति की जांच की जाती है. इसके तहत मतदाता अपने गणना फॉर्म भरकर चुनाव आयोग को सौंपते हैं. अब तक 7.7 करोड़ से अधिक लोगों के फॉर्म मिल चुके हैं, जो कुल वोटरों का लगभग 91 फीसदी हिस्सा हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 25 Jul, 2025 | 03:46 PM

बिहार में वोटर लिस्ट की सफाई का काम इन दिनों पूरे जोरों पर है. चुनाव आयोग ने राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) अभियान शुरू किया है, जिसके तहत करीब 56 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं. ये नाम या तो मृतकों के हैं, या वे लोग हैं जो अब बिहार में नहीं रहते. इस कदम का उद्देश्य है वोटर लिस्ट को साफ और निष्पक्ष बनाना, ताकि भविष्य में चुनाव पूरी पारदर्शिता से हो सकें.

कौन-कौन हट रहे हैं वोटर लिस्ट से?

इस विशेष अभियान के पहले चरण में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं:

  • 20 लाख लोग ऐसे पाए गए जो अब इस दुनिया में नहीं हैं.
  • 28 लाख मतदाता स्थायी रूप से बिहार से पलायन कर चुके हैं.
  • 1 लाख ऐसे नाम हैं जिनका कोई स्पष्ट पता नहीं मिल रहा.
  • 7 लाख वोटर ऐसे हैं जो दो जगहों पर एक साथ पंजीकृत हैं.

यानि कि चुनाव आयोग अब यह सुनिश्चित कर रहा है कि एक व्यक्ति, एक वोट के सिद्धांत का सख्ती से पालन हो.

क्या है यह SIR अभियान?

SIR यानी Special Intensive Revision, एक ऐसा अभियान है जिसमें हर मतदाता की मौजूदगी, पहचान और स्थिति की जांच की जाती है. इसके तहत मतदाता अपने गणना फॉर्म भरकर चुनाव आयोग को सौंपते हैं. अब तक 7.7 करोड़ से अधिक लोगों के फॉर्म मिल चुके हैं, जो कुल वोटरों का लगभग 91 फीसदी हिस्सा हैं. इनका डिजिटलीकरण भी पूरा हो गया है.

हालांकि अब भी 15 लाख लोग ऐसे हैं जिनके फॉर्म अभी नहीं आए हैं. आयोग ने राजनीतिक दलों से मदद लेकर इन्हें इकट्ठा करने की प्रक्रिया तेज कर दी है.

जनता के सवाल और फर्जीवाड़े की आशंका

चुनाव आयोग की इस कार्रवाई को लेकर अब जनता के बीच सवाल उठने लगे हैं. कई लोगों ने बीएलओ (बूथ लेवल अधिकारी) से पूछा कि क्या पहले इन मृत, दोहरी एंट्री और फर्जी पते वाले वोटरों का इस्तेमाल किसी फर्जीवाड़े या अवैध मतदान के लिए तो नहीं हो रहा था?

दरअसल, SIR की शुरुआत में ही कुछ राजनीतिक दलों ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे, लेकिन अब जब आंकड़े सामने हैं, तो लगता है कि यह कदम आवश्यक और पारदर्शिता के हित में था.

दस्तावेज जरूरी हैं या नहीं?

चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड, वोटर आईडी, राशन कार्ड जैसे दस्तावेज जरूरी नहीं हैं, लेकिन अगर मतदाता चाहे तो इनका सीमित उपयोग सत्यापन में किया जा सकता है. मतलब यह कि आयोग किसी को मतदाता सूची में बनाए रखने या हटाने के लिए इन दस्तावेजों पर पूरी तरह निर्भर नहीं है.

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Published: 25 Jul, 2025 | 03:37 PM

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