Bihar Election 2025: बिहार में वोटर लिस्ट पर घमासान, क्या है SIR और क्यों मचा है इस पर बवाल?

मुख्य विपक्षी दल RJD और कांग्रेस का आरोप है कि यह SIR प्रक्रिया पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है और इसके जरिए वोटर लिस्ट से खास समुदायों और वर्गों के नाम हटाए जा रहे हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 24 Jul, 2025 | 03:53 PM

बिहार में इन दिनों राजनीति का पारा चढ़ा हुआ है. वजह है वोटर लिस्ट का “विशेष गहन पुनरीक्षण” यानी SIR. इस शब्द को लेकर विधानसभा से लेकर संसद तक बहस छिड़ी हुई है. पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं. लेकिन सवाल है, आखिर ये SIR है क्या, और इस पर इतना विवाद क्यों हो रहा है?

SIR क्या है और क्यों जरूरी है?

SIR यानी Special Intensive Revision, इसे हिंदी में कहा जाता है विशेष गहन पुनरीक्षण. ये प्रक्रिया चुनाव आयोग द्वारा की जाती है, ताकि वोटर लिस्ट को साफ-सुथरा और अपडेट रखा जा सके. आम तौर पर हर चुनाव से पहले वोटर लिस्ट का एक सामान्य पुनरीक्षण होता है, जिसमें नए नाम जोड़े जाते हैं और मृतक या स्थानांतरित लोगों के नाम हटाए जाते हैं. लेकिन SIR में चुनाव आयोग खुद घर-घर जाकर जांच करता है कि वोटर वहां रहता है या नहीं.

2003 में भी यही प्रक्रिया की गई थी. उस समय अटल बिहारी वाजपेयी सरकार थी और बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR हुआ था. अब करीब 20 साल बाद फिर से यह प्रक्रिया दोहराई जा रही है.

विपक्ष का आरोप- ‘फर्जीवाड़ा हो रहा है’

मुख्य विपक्षी दल RJD और कांग्रेस का आरोप है कि यह SIR प्रक्रिया पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है और इसके जरिए वोटर लिस्ट से खास समुदायों और वर्गों के नाम हटाए जा रहे हैं. तेजस्वी यादव ने यहां तक कह दिया कि अगर अब SIR हो रहा है तो क्या 2003 से 2025 तक हुए सारे चुनाव फर्जी थे?

तेजस्वी ने कहा, “अगर पिछली बार इसे करने में दो साल लगे थे, तो अब इतनी जल्दी क्यों? क्या नीतीश कुमार फर्जी वोटों से सीएम बने हैं?”

चुनाव आयोग का जवाब-‘क्या मरे हुए वोटर रहेंगे वोटर लिस्ट में?’

चुनाव आयोग ने अपनी स्थिति साफ करते हुए कहा कि “क्या हमें मृत लोगों, प्रवासियों और फर्जी वोटरों को यूं ही वोटर लिस्ट में रहने देना चाहिए? अगर हम SIR कर रहे हैं तो वो लोकतंत्र को साफ करने की कोशिश है, न कि किसी को टारगेट करने की.”

आयोग ने कहा कि “राजनीति से ऊपर उठकर लोगों को इस पर सोचने की जरूरत है. मतदाता सूची को पारदर्शी बनाने के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है.”

सत्ता पक्ष की सफाई- ‘किसी का वोट नहीं काटा जा रहा’

बिहार सरकार की तरफ से मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि “SIR कोई नई चीज नहीं है, ये हर 20-25 साल में होता है. इस बार भी सिर्फ यह देखा जा रहा है कि कौन मतदाता बिहार में मौजूद है और कौन बाहर चला गया है. किसी का भी वोट जबरन नहीं काटा जा रहा.”

बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने बताया कि 26 लाख प्रवासी वोटरों की पहचान की गई है. 2005 में जहां 11 फीसदी वोटर बिहार से बाहर थे, अब यह आंकड़ा 2 फीसदी से भी कम है. उन्होंने कहा, “फर्जीवाड़ा रोकने के लिए यह कदम जरूरी है.”

कांग्रेस की चेतावनी-‘जरूरत पड़ी तो कोर्ट जाएंगे’

बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि अगर अंतिम वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर नाम काटे जाते हैं, तो पार्टी इसे अदालत में चुनौती देगी. “हम इस मुद्दे को सड़क से लेकर सदन तक उठाएंगे,”.

राजनीति और SIR: सवाल तो बनता है…

बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में SIR को लेकर सवाल उठना लाजिमी है. विपक्ष को लगता है कि ये एक “राजनीतिक चाल” है, जबकि सरकार इसे “लोकतंत्र की सफाई” बता रही है.

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Published: 24 Jul, 2025 | 03:49 PM

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