घी पर GST घटाने की मांग तेज, डेयरी उद्योग बोला-12 नहीं, सिर्फ 5 फीसदी हो टैक्स

जीएसटी लागू होने से पहले, घी और अन्य डेयरी उत्पादों पर राज्यों में 4 फीसदी से 5.5 फीसदी तक वैट (VAT) लगता था. गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में टैक्स दरें अलग-अलग थीं. लेकिन अब पूरे देश में घी पर 12 फीसदी जीएसटी लागू है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 25 Jul, 2025 | 02:53 PM

घी भारतीय रसोई का ऐसा हिस्सा है जो सिर्फ स्वाद ही नहीं, परंपरा और पोषण से भी जुड़ा हुआ है. लेकिन आज यही घी सरकार की टैक्स नीति में फंसा हुआ है. देशभर के डेयरी उद्योग से जुड़े लोगों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि घी पर लगने वाला 12 फीसदी जीएसटी घटाकर 5 फीसदी किया जाए. उनका कहना है कि मौजूदा टैक्स दर न सिर्फ आम लोगों की जेब पर बोझ डाल रही है, बल्कि संगठित डेयरी उद्योग को भी नुकसान पहुंचा रही है. इस मुद्दे को अब आगामी 56वीं जीएसटी काउंसिल मीटिंग में उठाने की तैयारी है, जहां तय होगा कि घी को राहत मिलेगी या नहीं.

पहले राज्य सरकारें लगाती थीं अलग-अलग टैक्स

जीएसटी लागू होने से पहले, घी और अन्य डेयरी उत्पादों पर राज्यों में 4 फीसदी से 5.5 फीसदी तक वैट (VAT) लगता था. गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में टैक्स दरें अलग-अलग थीं. लेकिन अब पूरे देश में घी पर 12 फीसदी जीएसटी लागू है.

12 फीसदी जीएसटी से कैसे हो रहा नुकसान?

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, इंडियन डेयरी एसोसिएशन (IDA) के अध्यक्ष आर.एस. सोढी का कहना है कि 12 फीसदी टैक्स का बोझ उन संगठित डेयरी कंपनियों पर पड़ता है जो गुणवत्ता का ध्यान रखती हैं. वहीं, बाजार में मिलावटी और अनऑर्गेनाइज्ड घी बिना टैक्स के बिकता रहता है. “अगर टैक्स 5 फीसदी कर दिया जाए तो उपभोक्ता सुरक्षित और ब्रांडेड घी की तरफ बढ़ेंगे, किसानों की आमदनी बढ़ेगी और मिलावटी घी पर रोक लगेगी,”- आर.एस. सोढी

घी की खपत में बढ़ोतरी की संभावना

ओईसीडी-एफएओ (OECD-FAO) की रिपोर्ट बताती है कि आने वाले दशक में भारत में घी की प्रति व्यक्ति खपत में लगातार बढ़ोतरी होगी. वहीं, IMARC की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय घी बाजार 2024 के 3.48 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2033 तक 7.17 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है यानि हर साल 8.4 फीसदी की दर से बढ़ोतरी.

उपभोक्ता और किसान

एक्सपर्ट्स की माने तो, 12 फीसदी जीएसटी ने आम ग्राहकों को सस्ते और असुरक्षित विकल्पों जैसे रिफाइंड ऑयल की तरफ मोड़ दिया है, जिससे असली डेयरी उत्पादों की मांग घट रही है. इसके साथ ही 5 फीसदी जीएसटी दर से बाजार में गुणवत्ता वाले घी की मांग बढ़ेगी, और इससे पैकेजिंग, टिकाऊ उत्पादन और उपभोक्ता विश्वास सभी को मजबूती मिलेगी.

इसके साथ ही घी पर 12 फीसदी टैक्स, रिफाइंड ऑयल जैसे प्रोसेस्ड उत्पादों से भी ज्यादा है, जो टैक्स नीति में असंतुलन पैदा करता है. वहीं घी जैसे पोषक तत्वों पर टैक्स घटाकर 5 फीसदी करना अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होगा, और स्वास्थ्य नीति को भी समर्थन देगा.

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