11 सालों में 44 फीसदी बढ़ा अनाज उत्पादन, अब मिलकर काम करेंगे वैज्ञानिक और किसान

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत किसानों से मिले सुझावों के आधार पर कृषि शोध को किसानों की जरूरतों से जोड़ने की घोषणा की. अब लैब से खेत तक तकनीक पहुंचेगी, जीनोम एडिटिंग से बीज विकसित होंगे और उत्पादकता व वैल्यू एडिशन पर जोर होगा.

नोएडा | Updated On: 27 Jun, 2025 | 12:17 PM

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को कहा कि अब कृषि में शोध (रिसर्च) पर जोर दिया जाएगा और ये काम किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखकर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह फैसला ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के दौरान लिया गया, जो 29 मई से देशभर में चलाया गया था. इस अभियान में किसानों और दूसरे संबंधित लोगों से बातचीत कर कई अहम सुझाव लिए गए. चौहान ने इंदौर में पत्रकारों से कहा कि पिछले 11 सालों में देश का अन्न उत्पादन 44 फीसदी तक बढ़ा है और अब इसे और आगे बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक और किसान मिलकर काम करेंगे.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि हमारे पास 16,000 कृषि वैज्ञानिक हैं जो अच्छी किस्म के बीज तैयार करते हैं, लेकिन वैज्ञानिक और किसान आपस में जुड़े नहीं थे. इसी वजह से अब ‘लैब टू लैंड’ यानी प्रयोगशाला से खेत तक तकनीक और ज्ञान पहुंचाने पर जोर दिया जाएगा, ताकि कृषि में तेजी से प्रगति हो सके. उन्होंने कहा कि इसी सोच के तहत ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’चलाया गया, जिसमें कई अहम मुद्दे सामने आए. इस अभियान के दौरान 2,170 टीमों ने गांवों का दौरा किया और 1.35 करोड़ से ज्यादा किसानों से मुलाकात की.

अभी और रिसर्च की जरूरत

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस दौरान पता चला कि कई क्षेत्रों में अभी और रिसर्च की जरूरत है. मसलन, गन्ना किसानों ने ‘रेड रॉट’ बीमारी की शिकायत की, जबकि सोयाबीन की पैदावार पिछले कुछ वर्षों से ठहरी हुई है. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम जीएम (GM) बीजों का इस्तेमाल नहीं करते, इसलिए जरूरी है कि उत्पादकता बढ़ाई जाए, लागत घटे और फसलों में वैल्यू एडिशन हो.

बीमारी रोकने के लिए नई तकनीक अपनाई जाएगी

उन्होंने कहा कि पहले रिसर्च केवल वैज्ञानिक करते थे, लेकिन अब रिसर्च के विषय किसानों से सीधे बातचीत करके तय किए जाएंगे, न कि दिल्ली में बैठकर. क्योंकि किसानों से बेहतर जानकारी कोई नहीं दे सकता. चौहान ने कहा कि अब इस बात पर रिसर्च होगी कि प्रति हेक्टेयर पैदावार कैसे बढ़े. इसके लिए जीनोम एडिटिंग से उन्नत बीज तैयार किए जाएंगे, सोयाबीन में रूट रॉट बीमारी को रोकने के लिए नई तकनीक अपनाई जाएगी और अन्य उपायों पर भी काम होगा.

सोयाबीन मील का बेहतर उपयोग

उन्होंने कहा कि हमें सोयाबीन मील का बेहतर उपयोग और निर्यात भी खोजना होगा. इसके अलावा टोफू और सोया मिल्क जैसे उत्पादों के जरिए वैल्यू एडिशन किया जा सकता है. कई प्रगतिशील किसानों ने एक एकड़ में 20 क्विंटल तक सोयाबीन उगाई है और अपने तरीके साझा किए हैं, जिनसे हम सीखेंगे.

Published: 27 Jun, 2025 | 12:15 PM