हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती से तैयार मक्के के आटे को ‘हिम-भोग हिम-मक्की’ ब्रांड नाम से लॉन्च किया है. यह आटा अब राज्य भर के सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) डिपो में उपलब्ध है और HIM-ERA पोर्टल पर भी खरीदा जा सकता है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि अब तक राज्य के 10 जिलों (लाहौल-स्पीति और किन्नौर को छोड़कर) के 1,590 किसानों से 4,000 क्विंटल से ज्यादा मक्का खरीदा गया है. करीब 400 मीट्रिक टन मक्के की खरीद पर किसानों को 1.20 करोड़ रुपये सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए हैं. सीएम का कहना है कि उनका मुख्य उदेश्य किसानों की कमाई में बढ़ोतरी करना है.
साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य प्राकृतिक मक्के का आटा शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों तक पहुंचाना है. उन्होंने यह भी कहा कि जब कांग्रेस सरकार सत्ता में आई थी, तब कई किसान कर्ज चुकाने के लिए मजबूरी में अपनी जमीन बेच रहे थे. ऐसे किसानों की मदद के लिए सरकार ने ब्याज सब्सिडी योजना शुरू की और एकमुश्त समाधान (One-Time Settlement) की सुविधा दी, खासकर उन किसानों के लिए जिनकी जमीन नीलामी की स्थिति में थी.
80 फीसदी आबादी बागवानी पर निर्भर
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने के लिए लगातार काम कर रही है. पिछले ढाई सालों में इसके लिए कई अहम कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा कि यह सपना तभी पूरा हो सकता है जब ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो, क्योंकि हिमाचल की 80 फीसदी से ज्यादा आबादी खेती और बागवानी पर निर्भर है. इसलिए सरकार की पहली प्राथमिकता किसानों और ग्रामीण समुदाय की आमदनी बढ़ाना है.
इन फसलों का बढ़ाया MSP
उन्होंने कहा कि हिमाचल देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने प्राकृतिक खेती से उपजे ऑर्गेनिक उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देना शुरू किया है. मक्का की खरीद के लिए MSP पहले 30 रुपये और फिर बढ़ाकर 40 रुपयेप्रति किलो कर दी गई है. गेहूं का MSP भी 40 रुपये से बढ़ाकर 60 रुपये प्रति किलो किया गया है. इसके अलावा, कच्ची हल्दी की पैदावार बढ़ाने के लिए सरकार 90 रुपये प्रति किलो MSP दे रही है.