गुजरात में मछली उत्पादन ने बनाए नए रिकॉर्ड, बना देश का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक

ढोलाई बंदरगाह और आसपास के बाजारों में इन दिनों खूब रौनक है. स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में उनकी आमदनी में भी लगातार बढ़ोतरी हुई है. मछली व्यापारी सुशीलाबेन बताती हैं कि वे नाव मालिकों से ताजी मछली खरीदकर आगे बेचती हैं और प्रति बंडल 5–10 रुपये का कमीशन कमाती हैं.

नई दिल्ली | Published: 26 Nov, 2025 | 09:12 AM

Fish Economy: गुजरात के तटीय इलाकों में आजकल एक नई रौनक देखी जा सकती है. समुद्र में दौड़ती नावें, तट पर मछलियों की बढ़ती आमद और बाजारों में बढ़ती मांग, ये सब मिलकर इस बात का संकेत दे रहे हैं कि राज्य की मछली अर्थव्यवस्था पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो चुकी है. जहां एक समय मछुआरे अनिश्चित आय से परेशान रहते थे, वहीं आज बढ़ते उत्पादन और निर्यात ने उनके जीवन में स्थिरता और नया आत्मविश्वास भर दिया है.

उत्पादन में जबरदस्त बढ़ोतरी

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार,  भारत की सबसे लंबी 2,340 किमी तटरेखा का फायदा उठाते हुए गुजरात आज देश का दूसरा सबसे बड़ा समुद्री मछली उत्पादक राज्य है. पिछले चार वर्षों में औसतन 8.56 लाख मीट्रिक टन उत्पादन ने राज्य को मरीन बिजनेस का एक बड़ा केंद्र बना दिया है. नवसारी जिले में अंबिका नदी के किनारे बना ढोलाई बंदरगाह इस विकास का सबसे बड़ा उदाहरण है. 1995 में बना यह पोर्ट हर दिन सैकड़ों नावों का स्वागत करता है और तट पर ऐसी चहल-पहल दिखती है मानो पूरा तटीय इलाका नई जान से भर गया हो.

मछुआरों की बदली किस्मत

मछुआरा समुदाय इस बदलाव का सबसे बड़ा लाभार्थी है. नाव मालिक नर्सीभाई टंडेल बताते हैं कि अब वे करीब 100–125 नौटिकल माइल समंदर में जाकर ताजी मछली लेकर लौटते हैं और अच्छी कीमत पर बेच पाते हैं. तटीय गांवों में रहने वाली महिलाएं भी इस अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा हैं. इनके लिए रोज आती मछलियां आय का स्थिर स्रोत बन गई हैं. महिलाएं नाव से सीधी मछली खरीदकर छोटे बाजारों में बेचती हैं, जिससे उन्हें रोजाना की अच्छी कमाई होती है.

सरकारी निवेश से मिल रही नई उड़ान

गुजरात सरकार ने मछली क्षेत्र को और मजबूत करने के लिए 1,622 करोड़ रुपये का बड़ा पैकेज घोषित किया है. इसमें शामिल हैं—

इन सभी प्रयासों का मकसद है कि मछली पकड़ने से लेकर उसे निर्यात करने तक की पूरी श्रृंखला को आधुनिक और अधिक लाभदायक बनाया जाए.

व्यापारियों की कमाई भी बढ़ी

ढोलाई बंदरगाह और आसपास के बाजारों में इन दिनों खूब रौनक है. स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में उनकी आमदनी में भी लगातार बढ़ोतरी हुई है. मछली व्यापारी सुशीलाबेन बताती हैं कि वे नाव मालिकों से ताजी मछली खरीदकर आगे बेचती हैं और प्रति बंडल 5–10 रुपये का कमीशन कमाती हैं. कई व्यापारी अतिरिक्त मछली खरीदकर अन्य जिलों में भी सप्लाई करते हैं, जिससे उनकी आय और बढ़ जाती है.

दुनिया तक पहुंचा गुजरात का स्वाद

साल 2001 में जहां गुजरात का मछली निर्यात 625 करोड़ रुपये था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 6,087 करोड़ रुपये पहुंच गया यानी लगभग दस गुना वृद्धि. मछली निर्यात की मात्रा भी 1.32 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 3.37 लाख मीट्रिक टन हो गई है. यह साफ दिखाता है कि गुजरात सिर्फ घरेलू बाजार ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तेजी से अपनी जगह मजबूत कर रहा है.

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