Indian Shrimp: अमेरिका में भारतीय झींगा (White Shrimp) की कीमतों में अचानक 21 प्रतिशत की बढ़ोतरी ने अमेरिकी रेस्टोरेंट और उपभोक्ताओं की मुसीबत बढ़ा दी है. अप्रैल 2025 में प्रति पाउंड झींगा की कीमत 5.17 डॉलर थी, जो अब बढ़कर 6.25 डॉलर प्रति पाउंड हो गई है. इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण अमेरिका द्वारा भारत से आयातित झींगे पर नए टैरिफ का लागू होना है. भारत अमेरिकी समुद्री भोजन बाजार का लगभग 45 प्रतिशत हिस्सा संभालता है, जिसकी सालाना वैल्यू करीब 6 बिलियन डॉलर है.
रेस्टोरेंट्स और उपभोक्ताओं पर असर
बिजनेस लाइन की खबर के मुताबिक, किंग्स इंफ्रा के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शाजी बेबी जॉन ने बताया कि इस बढ़ी कीमत का असर सीधे अमेरिकी रेस्टोरेंट और उपभोक्ताओं पर पड़ा है. उदाहरण के लिए, प्रसिद्ध रेस्टोरेंट चेन रेड लॉबस्टर को अपनी “एंडलेस श्रिम्प” ऑफर बदलनी पड़ी. अब तीन झींगा व्यंजन 15.99 डॉलर में उपलब्ध हैं. इसके अलावा, अमेरिकी रेस्टोरेंट्स को अपनी मेनू की कीमतों और ऑफर्स पर भी फिर से सोचना पड़ रहा है.
पिछले एक साल में झींगे की बिक्री में लगभग 7 प्रतिशत की गिरावट आई है. खासतौर पर स्ट्रीट सेल्स यानी सड़क किनारे बिकने वाले झींगे, जो कीमत के प्रति बहुत संवेदनशील हैं, लगभग बंद हो गए हैं. सुपरमार्केट और बड़े रेस्टोरेंट्स में थोड़ी मात्रा में बिक्री जारी है, लेकिन यह पहले जैसी नहीं रही.
भारतीय निर्यातकों की चुनौती और प्रतिक्रिया
भारत अमेरिका का सबसे बड़ा झींगा आपूर्तिकर्ता है और लंबे समय तक गुणवत्ता बनाए रखने की वजह से इस स्थिति को हासिल किया गया है. लेकिन नए उच्च टैरिफ की वजह से अमेरिकी उपभोक्ताओं को झींगा महंगा पड़ रहा है. भारत के झींगा उत्पादक लगातार यह कह रहे हैं कि टैरिफ की लागत अमेरिकी खरीदार को वहन करनी चाहिए.
के. एन. राघवन, महासचिव, सीफूड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा कि अमेरिकी बाजार में बढ़ी कीमतें और घटती बिक्री इस बात का प्रमाण हैं कि अमेरिकी उपभोक्ता अब कीमतों के प्रति और ज्यादा संवेदनशील हो गए हैं.
भारत के लिए अवसर
शाजी बेबी जॉन ने बताया कि वैश्विक समुद्री भोजन आपूर्ति श्रृंखलाओं में यह व्यवधान भारत के लिए रणनीतिक अवसर भी पेश करता है. भारतीय कंपनियां केवल निर्यात बढ़ाने तक सीमित नहीं रह सकतीं, बल्कि वैश्विक झींगा उत्पादन और व्यापार में खुद को प्रमुख स्थान दिला सकती हैं.
भविष्य की वैश्विक समुद्री भोजन व्यापार की दिशा अब वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट्स की ओर है. अंतरराष्ट्रीय खरीदार अब सुविधा, टिकाऊपन और गुणवत्ता के लिए प्रीमियम कीमतें देने के लिए तैयार हैं. भारतीय निर्यातक इसमें फ्रोजन, रेडी–टू-कुक और सस्टेनेबल सर्टिफाइड झींगे पेश करके अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर सकते हैं. इससे दीर्घकालीन अनुबंध और बड़े रिटेलर्स तथा फूड सर्विस चेन के साथ स्थायी संबंध बनाने में मदद मिलेगी.