Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर हमेशा चर्चाएँ होती रहती हैं. इनमें से एक अहम सवाल यह है कि भारत अमेरिका से मक्का (कॉर्न) क्यों नहीं आयात कर रहा है. अमेरिकी अधिकारी इस बात पर हैरान हैं कि भारत, जिसकी आबादी करोड़ों में है, अमेरिका से एक भी बोरा मक्का क्यों नहीं लेता. इस मुद्दे को समझने के लिए हमें भारत और अमेरिका की कृषि नीतियों, मक्का उत्पादन की क्षमता और पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम की पूरी पृष्ठभूमि को जानना जरूरी है.
भारत का मक्का उत्पादन और आत्मनिर्भरता
भारत में मक्का की पैदावार विश्व औसत के मुकाबले कम है. भारत में प्रति हेक्टेयर उत्पादन चार टन के आसपास है, जबकि दुनिया में औसत लगभग छह टन है. इसके बावजूद भारत काफी हद तक आत्मनिर्भर है और कभी-कभी मक्का का निर्यात भी करता है. मक्का मुख्य रूप से पोल्ट्री और पशु आहार के लिए, साथ ही मानव उपभोग के लिए भी उपयोग होता है.
पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण बढ़ने के साथ ही मक्का की मांग और बढ़ गई है. भारत को यह संतुलन बनाना होता है कि फसल का हिस्सा खाद्य पदार्थों के लिए जाए या एथेनॉल बनाने के लिए. इस साल की खरीफ-रबी-स्प्रिंग सीजन में मक्का की फसल लगभग 50 मिलियन टन उत्पादन देने की उम्मीद है, जिसमें से 10-12 मिलियन टन एथेनॉल उत्पादन के लिए इस्तेमाल होंगे. इसका मतलब यह है कि इस साल भारत को मक्का आयात करने की आवश्यकता नहीं है.
अमेरिका क्यों चाहता है कि भारत मक्का खरीदे?
अमेरिका में कृषि व्यवसाय पूरी तरह से बड़े उद्योगों पर आधारित है. वहां खेती का उद्देश्य मुख्य रूप से उत्पादन बढ़ाना और निर्यात करना है. अमेरिकी मक्का उत्पादन भारत के मुकाबले तीन गुना अधिक है. अमेरिका का मक्का सीधे मानव उपभोग के लिए कम होता है, बल्कि इसका इस्तेमाल प्रोसेस्ड फूड, एथेनॉल उत्पादन, प्लास्टिक और पशु आहार में किया जाता है.
अमेरिका की कृषि प्रणाली विशाल खेतों, उच्च यांत्रिकीकरण और बड़े उत्पादन पर आधारित है. वहां की मक्का और सोयाबीन की खेती अमेरिकी अर्थव्यवस्था और चुनावी राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इसलिए अमेरिका चाहता है कि भारत मक्का खरीदकर अपने एथेनॉल प्रोग्राम के लिए उपयोग करे.
भारत की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति
भारत में जीएम (Genetically Modified) मक्का की खेती पर अभी प्रतिबंध है. केवल जीएम कपास को ही अनुमति मिली है. इसलिए अमेरिका का जीएम मक्का भारत में सीधे नहीं आ सकता. इसके अलावा, भारत ने मक्का के लिए एक समग्र इकोसिस्टम तैयार किया है. इस इकोसिस्टम में नई फसल और किसानों की आर्थिक सुरक्षा शामिल है. अगर भारत सस्ता अमेरिकी मक्का आयात करता है, तो यह नई खेती और किसानों को प्रभावित करेगा.
इसके अलावा, बिहार जैसे राज्यों में मक्का की खेती हाल ही में बढ़ी है और वहां चुनाव आने वाले हैं. इसलिए आयात नीति राजनीतिक दृष्टिकोण से भी संवेदनशील है.
एथेनॉल उत्पादन और आयात प्रतिस्थापन
पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से न केवल कार्बन उत्सर्जन कम होता है, बल्कि तेल आयात भी घटता है. अगर भारत मक्का आयात करता है, तो एथेनॉल प्रोग्राम का उद्देश्य ही प्रभावित होगा. पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल मिश्रण हर साल लगभग 10 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा बचा सकता है, जिसका सीधा लाभ भारतीय किसानों और आम जनता को मिलेगा.
इसलिए भारत अमेरिकी मक्का आयात करने के बजाय अपने देश में मक्का उत्पादन बढ़ा रहा है और एथेनॉल प्रोग्राम को प्राथमिकता दे रहा है. यह कदम न केवल कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाता है, बल्कि आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ भी सुनिश्चित करता है.