ISMA Conference: पेट्रोल के बाद डीजल में भी एथेनॉल मिलेगा, नितिन गडकरी बोले- 10 फीसदी मिश्रण की टेस्टिंग चल रही

ISMA ने इंडिया शुगर एंड बायो-एनर्जी कॉन्फ्रेंस 2025 का सफल आयोजन किया, जिसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और प्रह्लाद जोशी ने टिकाऊ ऊर्जा, एथनॉल नीति और किसानों को 'ऊर्जादाता' बनाने पर जोर दिया.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 16 Sep, 2025 | 08:16 PM

इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) ने इंडिया शुगर एंड बायो-एनर्जी कॉन्फ्रेंस 2025 के तीसरे संस्करण के सफल आयोजन की घोषणा की. यह कॉन्फ्रेंस 11 और 12 सितंबर को नई दिल्ली स्थित JW मैरियट, ऐरोसिटी में हुआ. इसकी थीम ‘Energising Economies: The Global Impact of Indian Sugar’ थी. इस कार्यक्रम का आयोजन खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग, भारत सरकार के सहयोग से किया गया. कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण व नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी शामिल हुए. दोनों मंत्रियों ने टिकाऊ विकास और ऊर्जा सुरक्षा में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप की अहमियत पर जोर दिया.

इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि भारत की चीनी उद्योग की आर्थिक स्थिरता अब वैश्विक परिस्थितियों से जुड़ी हुई है. अधिक उत्पादन और बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने एथनॉल और आइसोब्यूटेनॉल जैसे वैकल्पिक ईंधनों पर ध्यान दिया है. हमने पेट्रोल में 20 फीसदी एथनॉल मिलाने का लक्ष्य तय किया है और अब डीजल में भी एथनॉल और आइसोब्यूटेनॉल मिलाने के ट्रायल शुरू हो चुके हैं, जिसमें 10 फीसदी मिश्रण की टेस्टिंग चल रही है.

नितिन गडकरी ने कही ये बात

गडकरी ने कहा कि अब एथनॉल सिर्फ गन्ने के रस या शीरे से ही नहीं, बल्कि धान की पराली, मक्का और खराब अनाजों से भी बन रहा है, जिससे मक्का जैसी फसलों के दाम बढ़े हैं और किसान को सीधा फायदा मिल रहा है. साथ ही एथनॉल के बाय-प्रोडक्ट्स से कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG) बनाई जा रही है, जो ट्रैक्टर चला सकती है. इतना ही नहीं, एथनॉल के वेस्ट से बायो-बिटुमेन भी बन रहा है, जिससे सड़कों का निर्माण हो रहा है. जबलपुर-नागपुर हाईवे पर 500 मीटर की सड़क बायो-बिटुमेन से बनी है, जो पेट्रोलियम वाले विकल्प से बेहतर साबित हुई है.

क्या बोले प्रह्लाद जोशी

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि हम एक ऐसे बदलाव के दौर में हैं जहां गन्ना किसान, चीनी उद्योग और ऊर्जा क्षेत्र मिलकर विकास की साझा कहानी लिख रहे हैं. भारत अब दुनिया में चीनी और एथनॉल उत्पादन में अग्रणी बन गया है. यह क्षेत्र अब सर्कुलर इकोनॉमी का बड़ा हिस्सा है. इस बदलाव की जड़ में बायोफ्यूल नीति और एथनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम है, जो टिकाऊ ईंधन, विविध आय और ऊर्जा सुरक्षा पर केंद्रित है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस क्षेत्र में तेज विकास हुआ है, किसानों को समय पर भुगतान हो रहा है और एथनॉल मिलावट रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची है.

प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार की पहल जैसे ‘एग्रीस्टैक’ डिजिटल फसल सर्वे के जरिए किसानों को बेहतर सहायता देंगे. हमने एथनॉल के लिए लचीलापन बढ़ाया है, जिससे अब कई स्रोतों से उत्पादन संभव है और ब्याज सहायता योजनाएं भी शुरू की गई हैं, ताकि मिलर्स को मदद मिल सके. हम आयात पर निर्भरता कम कर रहे हैं, प्रदूषण घटा रहे हैं और नई टेक्नोलॉजी व नीतियों से नए अवसर बना रहे हैं. हमारे किसान अब सिर्फ अन्नदाता नहीं, बल्कि ‘ऊर्जादाता’ भी बन गए हैं, जो भारत को स्वच्छ और आत्मनिर्भर बना रहे हैं.

5.5 करोड़ गन्ना किसानों की ओर से आभार

वहीं, इस मौके पर ISMA Times के एनिवर्सरी एडिशन और दो अहम रिपोर्ट्स  भारत में शुगर कंजम्पशन पर अध्ययन और भारत की सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) रोडमैप का विमोचन भी किया गया.  SMA के अध्यक्ष गौतम गोयल ने कहा कि चीनी उद्योग और 5.5 करोड़ गन्ना किसानों की ओर से मैं भारत सरकार का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने 10 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी और एथनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने वाले नीति निर्णय लिए. इस साल चीनी उत्पादन का अनुमान 34.9 मिलियन टन है, जबकि घरेलू खपत 28.4 मिलियन टन है, जिससे 4.5 मिलियन टन चीनी को एथनॉल में बदलने का अच्छा मौका है. इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और देश की ऊर्जा सुरक्षा को भी मदद मिलेगी.

 

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Published: 16 Sep, 2025 | 07:24 PM

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