अमेरिका के 50 फीसदी टैरिफ से भारतीय चाय उद्योग संकट में, निर्यात पर पड़ेगा तगड़ा असर

50 फीसदी टैरिफ लगने से भारतीय चाय की कीमत अमेरिका में काफी बढ़ जाएगी. पहले से ही चाय उत्पादक बहुत कम मुनाफे पर काम कर रहे हैं. ऐसे में अतिरिक्त लागत उठाना संभव नहीं है.

नई दिल्ली | Published: 2 Sep, 2025 | 10:32 AM

भारत की चाय दुनिया भर में अपने स्वाद, सुगंध और गुणवत्ता के लिए जानी जाती है. खासकर असम और दार्जिलिंग की चाय को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहद पसंद किया जाता है. लेकिन हाल ही में अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर 50 फीसदी आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने से चाय उद्योग की मुश्किलें बढ़ गई हैं. चाय उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि इस फैसले का सीधा असर अमेरिका को होने वाले चाय निर्यात पर पड़ेगा.

अमेरिका है बड़ा बाजार

अमेरिका भारत के लिए चाय का एक महत्वपूर्ण बाजार है. पिछले साल भारत ने अमेरिका को करीब 17 मिलियन किलोग्राम चाय निर्यात की थी. जबकि इस साल मई 2025 तक यह आंकड़ा केवल 6.26 मिलियन किलोग्राम तक ही पहुंच पाया है. अब भारी टैरिफ लगने से स्थिति और चुनौतीपूर्ण हो सकती है.

भारतीय चाय संघ (ITA) की चिंता

भारतीय चाय संघ (Indian Tea Association- ITA) ने कहा है कि 50 फीसदी टैरिफ लगने से भारतीय चाय की कीमत अमेरिका में काफी बढ़ जाएगी. पहले से ही चाय उत्पादक बहुत कम मुनाफे पर काम कर रहे हैं. ऐसे में अतिरिक्त लागत उठाना संभव नहीं है. इसका नतीजा यह होगा कि भारतीय चाय अमेरिकी बाजार में महंगी हो जाएगी और वहां उसकी मांग घट सकती है.

वैश्विक प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी

काली चाय (Black Tea) के मामले में अमेरिका के लिए भारत, श्रीलंका, अर्जेंटीना और मलावी मुख्य आपूर्तिकर्ता हैं. अगर भारतीय चाय महंगी हुई तो अमेरिकी आयातक अन्य देशों से सस्ती चाय खरीदने लगेंगे. इससे भारत की हिस्सेदारी पर असर पड़ेगा.

दार्जिलिंग और असम चाय की खासियत

ITA का मानना है कि असम और दार्जिलिंग जैसी प्रीमियम चाय की मांग अमेरिका में बहुत मजबूत है. वहां के उपभोक्ता उच्च गुणवत्ता वाली चाय के लिए ज्यादा कीमत भी चुकाने को तैयार रहते हैं. ऐसे में हो सकता है कि इन किस्मों की बिक्री पर ज्यादा असर न पड़े, लेकिन बाकी चाय की मांग में गिरावट संभव है.

सरकार से मदद की उम्मीद

  • चाय उद्योग का कहना है कि भारत सरकार को इस संकट से निपटने के लिए नीति स्तर पर कदम उठाने होंगे.
  • परिवहन लागत कम करने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं बनानी होंगी, ताकि देश के अलग-अलग इलाकों से निर्यात सस्ता हो सके.
  • ऑर्थोडॉक्स चाय पर सब्सिडी को फिर से शुरू करना होगा और इसके लिए बड़ा बजट तय करना होगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग लगातार बढ़ रही है.

उत्तर और दक्षिण भारत की स्थिति

भारत के चाय निर्यात की तस्वीर भी मिली-जुली है. उत्तर भारत (असम, दार्जिलिंग आदि) से जनवरी से मई 2025 के बीच निर्यात मात्रा में 8.74 फीसदी और मूल्य में 22.33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. यहां की चाय का औसत निर्यात मूल्य 12.50 फीसदी बढ़कर 308.22  रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया.

वहीं दक्षिण भारत (केरल, तमिलनाडु आदि) से चाय निर्यात में 15.42 फीसदी की गिरावट देखी गई. हालांकि कीमतों में 21.29 फीसदी बढ़ोतरी होने से कुल मूल्य में 2.59 फीसदी की हल्की बढ़ोतरी हुई.

कुल निर्यात का हाल

कुल मिलाकर, जनवरी से मई 2025 के बीच भारत के चाय निर्यात में मात्रा के लिहाज से 1.51 फीसदी की हल्की गिरावट आई, लेकिन मूल्य के आधार पर 15.09 फीसदी और औसत कीमत के लिहाज से 16.85 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई.