गिरता तापमान बढ़ा रहा गेहूं का पीलापन, हल्की सिंचाई और पोषण से होगा बड़ा फायदा

Wheat Crop : दिसंबर की बढ़ती ठंड गेहूं की फसल के लिए चुनौती बनती जा रही है. कल्ले निकलने के इस अहम समय में कोहरा और पाले से पत्तियों में पीलापन आ सकता है. समय पर हल्की सिंचाई, संतुलित खाद और सल्फर का इस्तेमाल कर किसान फसल को नुकसान से बचा सकते हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 17 Dec, 2025 | 02:48 PM

Wheat Crop : जैसे-जैसे दिसंबर का महीना आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे ठंड का असर भी तेज होता जा रहा है. ठंडी हवा, कोहरा और पाले ने आम लोगों के साथ-साथ किसानों की चिंता भी बढ़ा दी है. खासकर गेहूं की फसल इस समय सबसे नाजुक दौर से गुजर रही है. अगर अभी थोड़ी सी लापरवाही हुई, तो मेहनत से खड़ी फसल पीली पड़ सकती है और उत्पादन पर सीधा असर पड़ सकता है.

गेहूं की फसल के लिए क्यों संवेदनशील है यह समय

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस समय खेतों में खड़ी गेहूं की फसल  में कल्ले निकलने का दौर चल रहा है. यह वही समय होता है, जब फसल की नींव मजबूत होती है और आगे चलकर बालियां तय होती हैं. अगर इस चरण में सही देखभाल न हो, तो कल्लों की संख्या कम रह जाती है. ठंड बढ़ने से पौधों की बढ़वार रुक सकती है और पत्तियों में पीलापन आने लगता है, जो फसल के कमजोर होने का संकेत है.

ठंड, कोहरा और पाले से कैसे हो रहा है नुकसान

लगातार गिरता तापमान, सुबह का कोहरा  और कई इलाकों में पड़ रहा पाला गेहूं की फसल के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है. ठंड के कारण पौधे जरूरी पोषक तत्व ठीक से नहीं ले पाते. इसका असर सीधा पत्तियों पर दिखता है, जो पहले हल्की पीली और फिर कमजोर होने लगती हैं. अगर समय रहते उपाय न किए जाएं, तो फसल की ग्रोथ रुक जाती है और दाना भी प्रभावित हो सकता है.

हल्की सिंचाई और पोषण है सबसे जरूरी

रिपोर्ट के मुताबिक, ठंड के मौसम  में गेहूं की फसल की सही देखभाल बेहद जरूरी हो जाती है. इस समय हल्की सिंचाई करने से खेत का तापमान संतुलित बना रहता है और पाले का असर काफी हद तक कम हो जाता है. इससे पौधों की जड़ों को नमी मिलती है और उनकी बढ़वार बनी रहती है. इसके साथ ही संतुलित उर्वरक का इस्तेमाल करना भी जरूरी है, ताकि फसल को पूरा पोषण मिल सके. केवल यूरिया पर निर्भर रहना नुकसानदायक हो सकता है. सूक्ष्म पोषक तत्व  जैसे जिंक, सल्फर और पोटाश देने से पत्तियों का पीलापन दूर होता है और गेहूं की फसल स्वस्थ बनी रहती है.

सल्फर का इस्तेमाल करेगा बड़ा काम

गेहूं की फसल को ठंड और फंगस से बचाने में सल्फर बहुत मददगार माना जाता है. किसान दानेदार या पाउडर सल्फर का उपयोग कर सकते हैं. इसे जिंक और पोटाश के साथ मिलाकर खेत में डालना ज्यादा फायदेमंद रहता है. सल्फर के इस्तेमाल से पौधों की बढ़वार अच्छी होती है, पत्तियों का रंग हरा बना रहता है और फंगस जैसी बीमारियों का खतरा  भी कम हो जाता है. समय पर इसका प्रयोग करने से ठंड का असर काफी हद तक खत्म किया जा सकता है.

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