भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ते समय सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. अमेरिका ने 27 अगस्त 2025 से भारतीय सामानों पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया, जिससे भारतीय निर्यातक चिंतित हो गए. ऐसे में भारत सरकार ने कच्चे कपास (Raw Cotton) पर आयात शुल्क और कृषि सेस (Agriculture Cess) की छूट को अब 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दिया. इसका मुख्य उद्देश्य त्योहारों के मौसम में घरेलू टेक्सटाइल उद्योग को पर्याप्त कच्चा माल उपलब्ध कराना और कीमतों में बढ़ोतरी को रोकना है.
क्यों बढ़ी यह छूट?
पहले यह छूट केवल 19 अगस्त से 30 सितंबर तक थी. अब इसे साल के आखिरी तीन महीनों तक बढ़ा दिया गया है. इससे मिलों को पर्याप्त कपास मिल सकेगा और उद्योग को नुकसान से बचाया जा सकेगा. इस छूट के पहले भारत में कपास आयात पर लगभग 11 फीसदी शुल्क लगता था. छूट मिलने के बाद मिलों को सस्ता और आसान कच्चा माल मिलेगा.
कपास उत्पादन में गिरावट और असर
भारत का कपास उत्पादन लगातार घट रहा है. वित्त वर्ष 2023 में यह लगभग 33.7 मिलियन बॉल्स था, जो वित्त वर्ष 2025 में घटकर 30.7 मिलियन बॉल्स होने का अनुमान है. उत्पादन में कमी के कारण मिलों को अधिक आयात करना पड़ रहा है. अगर कच्चे कपास की कीमतें बढ़ीं, तो यार्न और तैयार कपड़े महंगे हो सकते हैं. इससे भारतीय तैयार कपड़ों की निर्यात प्रतिस्पर्धा पर असर पड़ेगा. भारत में लगभग 3.5 करोड़ लोग कपास और टेक्सटाइल उद्योग से जुड़े हैं. यह उद्योग देश के कुल टेक्सटाइल निर्यात का लगभग 80 फीसदी हिस्सा देता है.
अमेरिका के लिए भी संकेत
भारत की यह नीति अमेरिका के लिए भी संकेत है. FY25 में भारत ने लगभग 1.2 बिलियन डॉलर मूल्य का कपास आयात किया, जिसमें अमेरिका एक बड़ा आपूर्तिकर्ता है. इस कदम से दोनों देशों के बीच व्यापारिक बातचीत में सकारात्मक माहौल बन सकता है और भविष्य में टेक्सटाइल पर और भी टैरिफ छूट मिलने की संभावना बन सकती है.
छूट का घरेलू उद्योग पर प्रभाव
सरकार का यह कदम त्योहारों के मौसम के लिए बेहद अहम है. इससे घरेलू मिलों को पर्याप्त कच्चा माल मिलेगा और कपास की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी नहीं होगी. निर्यातक अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा बनाए रख पाएंगे. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे घरेलू उद्योग की लागत कम होगी और तैयार कपड़ों की कीमतें स्थिर रहेंगी.
भविष्य की चुनौतियां और रणनीति
हालांकि अमेरिका का टैरिफ भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौती बना हुआ है, भारत की यह नीति उद्योग को राहत देने और व्यापारिक संतुलन बनाए रखने का प्रयास है. इस छूट से भारत को आगामी द्विपक्षीय व्यापार समझौतों (BTA) में वार्ता का लाभ मिलेगा. अगर दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझौते बनते हैं, तो टेक्सटाइल और कपास उद्योग के लिए और अवसर खुल सकते हैं.