आंधी-तूफान में गांव के मुकाबले शहरों में क्यों ज्यादा गिरते हैं पेड़? वजह जानकर चौंक जाएंगे

कई बार एक जैसी प्रजाति के पेड़ शहरों में बड़े पैमाने पर लगा दिए जाते हैं. इन पेड़ों की ऊंचाई लगभग बराबर होती है और जब एक पेड़ गिरता है, तो उसके साथ बाकी भी कमजोर हो जाते हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 1 Jul, 2025 | 03:17 PM

जब भी शहरों में तेज बारिश या आंधी-तूफान आता है, तो अक्सर सड़कों पर गिरे हुए पेड़ों की तस्वीरें सामने आने लगती हैं. दिल्ली, मुंबई, लखनऊ या किसी भी बड़े शहर में आप देखेंगे कि मौसम खराब होने पर कई पेड़ टूटकर गिर जाते हैं. लेकिन यही हालात जब गांवों में होते हैं, तो वहां ऐसे नजारे कम ही देखने को मिलते हैं. सवाल उठता है कि ऐसा क्यों? क्या शहरों के पेड़ कमजोर होते हैं? या इसके पीछे कुछ और वजह है? तो चलिए जानते हैं इसकी असली वजह.

शहरों के पेड़ क्यों ज्यादा गिरते हैं?

असल में, शहरों में पेड़ लगाने के लिए ज्यादा खुली और प्राकृतिक जगह नहीं बचती. ज्यादातर पेड़ सड़क किनारे, फुटपाथ या सीमेंट-कंक्रीट से ढंकी जमीन में लगाए जाते हैं. ऐसे में उनकी जड़ें नीचे तक फैल ही नहीं पातीं. जड़ें कमजोर रह जाती हैं और जब तेज हवा या बारिश आती है तो ये पेड़ उखड़ जाते हैं.

इसके साथ ही कई बार एक जैसी प्रजाति के पेड़ शहरों में बड़े पैमाने पर लगा दिए जाते हैं. इन पेड़ों की ऊंचाई लगभग बराबर होती है और जब एक पेड़ गिरता है, तो उसके साथ बाकी भी कमजोर हो जाते हैं. इसके अलावा शहरों में पानी जमीन के अंदर तक नहीं पहुंचता क्योंकि चारों ओर सीमेंट की परत होती है. इससे पेड़ों को पोषण नहीं मिल पाता और वो धीरे-धीरे कमजोर हो जाते हैं.

कुछ पेड़ जैसे गुलमोहर, नीम, और शीशम में दीमक जल्दी लग जाती है, खासकर जब जड़ें कमजोर होती हैं. ये पेड़ दिखने में तो हरे-भरे लगते हैं लेकिन अंदर से खोखले हो जाते हैं और जरा सी आंधी में गिर जाते हैं.

गांवों में ऐसा क्यों नहीं होता?

गांवों में जमीन खुली होती है, मिट्टी ज्यादा उपजाऊ होती है और पेड़ों के लिए जगह की कमी नहीं होती. पेड़ों की जड़ें आसानी से फैलती हैं और गहराई तक जाती हैं. मिट्टी में नमी और प्राकृतिक खाद मिलती है, जिससे पेड़ मजबूत बनते हैं. यही वजह है कि गांवों में पेड़ तेज तूफान को भी आसानी से झेल जाते हैं.

वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि शहरों में पेड़ लगाने से पहले उनकी जड़ों के लिए पर्याप्त जगह छोड़ी जानी चाहिए. अलग-अलग किस्मों के पेड़ लगाए जाने चाहिए ताकि कोई एक बीमारी या तूफान पूरे इलाके को नुकसान न पहुंचा सके. साथ ही पौधारोपण वैज्ञानिक तरीके से होना चाहिए, न कि बस दिखावे के लिए.

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