इंडोनेशिया ने भारत की मूंगफली पर लगाई रोक, किसानों और व्यापारियों को नुकसान का खतरा
निर्यातक चेतावनी दे रहे हैं कि नई मूंगफली की फसल केवल एक महीने में आने वाली है, और अगर समस्या का हल नहीं निकला, तो इससे किसानों, व्यापारियों और निर्यातकों पर गंभीर असर पड़ेगा.
Groundnut Exports: भारत की मूंगफली निर्यात में इस समय बड़ी समस्या पैदा हो गई है. इंडोनेशिया ने भारतीय मूंगफली के आयात पर तीन सप्ताह से रोक लगा रखी है. स्थिति को और जटिल बनाने वाली बात यह है कि अफ्लैटोक्षिन (Aflatoxins) की उपस्थिति का नोटिफिकेशन भारत से खेप आने के तीन महीने बाद जारी किया गया. इस देरी ने न सिर्फ निर्यातकों को परेशान कर दिया है, बल्कि किसानों की फसल के सही मूल्य पर बिकने की संभावनाओं को भी खतरे में डाल दिया है.
इंडोनेशिया का नोटिफिकेशन और निर्यातकों की चिंता
अगस्त 27 को इंडोनेशिया की क्वारंटाइन अथॉरिटी (IQA) ने अफ्लैटोक्षिन की मौजूदगी का नोटिफिकेशन जारी किया. इसके बाद 3 सितंबर से मूंगफली के आयात पर रोक लग गई. भारतीय निर्यातक इस देरी को अनुचित मान रहे हैं. उनका कहना है कि तीन महीने बाद आयात में समस्या बताना यह साफ नहीं करता कि मूंगफली किस तरह से स्टोर की गई थी और वेयरहाउस की सुविधाएं कैसी थीं.
परीक्षण मानकों में अंतर
निर्यातकों का कहना है कि इंडोनेशिया के परीक्षण मानक विश्व व्यापार संगठन (WTO) के अनुरूप नहीं हैं. IQA केवल एक किलो मूंगफली का नमूना लेकर परीक्षण करता है, जबकि APEDA बीस किलो का नमूना लेकर जांच करती है. इस अंतर ने निर्यातकों के लिए चिंता और बढ़ा दी है.
APEDA और वाणिज्य मंत्रालय की भूमिका
APEDA ने इंडोनेशिया से संपर्क किया और निर्यातकों के साथ बैठकें भी की हैं. लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है. निर्यातक चेतावनी दे रहे हैं कि नई मूंगफली की फसल केवल एक महीने में आने वाली है, और अगर समस्या का हल नहीं निकला, तो इससे किसानों, व्यापारियों और निर्यातकों पर गंभीर असर पड़ेगा.
मूंगफली का उत्पादन और कीमत
इस खरीफ सीजन में मूंगफली लगभग 48 लाख हेक्टेयर में बोई गई है, जो पिछले साल के 47.65 लाख हेक्टेयर से थोड़ी अधिक है. गुजरात में उत्पादन रिकॉर्ड 66 लाख टन होने की संभावना है. लेकिन बाजार में मूंगफली की कीमतें 5,682 रुपये प्रति क्विंटल पर हैं, जो कि केंद्र द्वारा तय किए गए एमएसपी 7,263 रुपये से काफी कम है.
अफ्लैटोक्षिन और स्वास्थ्य खतरे
अफ्लैटोक्षिन मोल्ड जैसी फंगस के कारण बनने वाला जहरीला यौगिक है. यह मनुष्य और पशुओं के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है और लिवर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है. इंडोनेशिया ने 2022 में भी इसी वजह से भारतीय मूंगफली के आयात पर रोक लगाई थी.
क्या है चुनौतियां
निर्यातक मानते हैं कि वाणिज्य मंत्रालय और APEDA को तुरंत कदम उठाने होंगे. यदि इस समस्या को जल्द नहीं सुलझाया गया, तो भारत की मूंगफली की निर्यात क्षमता प्रभावित हो सकती है. समय पर भुगतान न मिलने से किसानों और व्यापारियों को भारी आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ सकता है. नई फसल आने में केवल कुछ हफ्ते बचे हैं. इसलिए निर्यातकों और सरकारी एजेंसियों के लिए यह समय बहुत महत्वपूर्ण है.