भारतीय चाय की दुनिया भर में बढ़ी मांग, कीमतों में भी 11 फीसदी की उछाल
उत्तर और दक्षिण भारत दोनों क्षेत्रों में मौसम के उतार-चढ़ाव ने चाय बागानों को प्रभावित किया, जिससे कुल पैदावार घटी. इसके बावजूद निर्यात जिस तेजी से बढ़ा है, वह बताता है कि भारतीय चाय की वैश्विक मांग लगातार मजबूत बनी हुई है.
भारत की चाय एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज करा रही है. साल 2025 के जनवरी से अक्टूबर के बीच भारत के चाय निर्यात में 6.5 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है. यह बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है जब दक्षिण भारत में उत्पादन घटा और कई चाय उत्पादन क्षेत्रों में मौसम ने मुश्किलें बढ़ा दीं. इसके बावजूद वैश्विक खरीदारों की मजबूत मांग, खासकर यूएई और इराक जैसे बाजारों से, भारतीय चाय की लोकप्रियता को और बढ़ा रही है.
निर्यात ने फिर पकड़ी रफ्तार
चाय बोर्ड इंडिया के ताजा अनुमानों के अनुसार, जनवरी से अक्टूबर 2025 के बीच कुल 228.52 मिलियन किलोग्राम चाय विदेशों को भेजी गई. पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 214.64 मिलियन किलोग्राम था. यानी मुश्किल मौसम और दक्षिण भारत से कम शिपमेंट के बावजूद कुल निर्यात में बढ़िया तेजी देखने को मिली.
मूल्य के अनुसार भी भारत ने शानदार प्रदर्शन किया. इस अवधि में चाय निर्यात का मूल्य 6882.91 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में पूरे 18 फीसदी अधिक है. यह दर्शाता है कि भारतीय चाय की मांग ही नहीं, बल्कि उसकी कीमत भी वैश्विक बाजारों में बढ़ी है.
उत्तर भारत की चाय ने निभाई बड़ी भूमिका
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, निर्यात वृद्धि के पीछे सबसे बड़ा योगदान उत्तर भारत की चाय का रहा. जनवरी से अक्टूबर अवधि में उत्तर भारत से चाय भेजत 19.5 फीसदी बढ़कर 153.22 मिलियन किलोग्राम तक पहुंच गई. मूल्य के हिसाब से भी यह आंकड़ा 3908 करोड़ रुपये से बढ़कर 4959 करोड़ रुपये हो गया. दरअसल, असम और दार्जिलिंग की चाय दुनिया भर में अपनी खास खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर है और इस साल उस मांग में और तेजी आई है.
दक्षिण भारत से निर्यात में गिरावट
दूसरी ओर दक्षिण भारत से चाय निर्यात में कमी देखी गई. यहां से कुल 75.30 मिलियन किलोग्राम चाय निर्यात हुई, जबकि पिछले साल यह संख्या 86.48 मिलियन किलोग्राम थी. हालांकि, मात्रा कम होने के बावजूद मूल्य लगभग स्थिर रहा करीब 1923 करोड़ रुपये. इसका मतलब है कि दक्षिण भारतीय चाय की प्रति किलो कीमत पहले जैसी बनी रही, जो गुणवत्ता पर भरोसे का संकेत है.
उत्पादन में कमी, लेकिन निर्यात फिर भी मजबूत
एक बड़ी चुनौती यह भी रही कि अक्टूबर 2025 में भारत का कुल चाय उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 21 फीसदी गिरकर 161.93 मिलियन किलोग्राम पर आ गया.
उत्तर और दक्षिण भारत दोनों क्षेत्रों में मौसम के उतार-चढ़ाव ने चाय बागानों को प्रभावित किया, जिससे कुल पैदावार घटी. इसके बावजूद निर्यात जिस तेजी से बढ़ा है, वह बताता है कि भारतीय चाय की वैश्विक मांग लगातार मजबूत बनी हुई है.
कीमत में बढ़ोतरी
चाय की प्रति किलो औसत निर्यात कीमत 301.20 रुपये प्रति किलो रही, जो पिछले साल के मुकाबले लगभग 11 फीसदी अधिक है. यह वृद्धि किसानों और चाय उत्पादकों के लिए राहत भरी है, खासकर उस समय जब उत्पादन कम हुआ है
चाय उद्योग बना सकता है रिकॉर्ड
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मौसम का असर थोड़ा कम रहा और उत्पादन सामान्य स्तर पर लौट आया, तो वर्ष 2025-26 में भारत चाय निर्यात का एक और रिकॉर्ड बना सकता है.
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय चाय की लोकप्रियता बढ़ रही है और नए खरीदार भी लगातार जुड़ रहे हैं. ऐसे में आने वाले महीनों में निर्यात और बढ़ने की उम्मीद है.