भारतीय चाय पर 50 फीसदी टैक्स के बाद अमेरिकी ऑर्डर रद्द, क्या चीन करेगा मदद?

पिछले साल भारत ने अमेरिका को लगभग 17 मिलियन किलोग्राम चाय निर्यात की थी. लेकिन इस साल मई तक यह आंकड़ा केवल 6.26 मिलियन किलोग्राम पर ही सिमट गया है. टैरिफ बढ़ने के कारण अमेरिकी खरीदार पहले से किए गए ऑर्डर भी रद्द कर रहे हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 3 Sep, 2025 | 09:03 AM

भारत की चाय अपनी खुशबू और स्वाद के लिए दुनिया भर में मशहूर है. लेकिन हाल ही में अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद भारतीय चाय निर्यातकों को झटका लगा है. कई ऑर्डर रद्द हो चुके हैं और आगे और नुकसान की आशंका जताई जा रही है. ऐसे में अब चाय निर्यातक नए बाजारों की तलाश में जुट गए हैं, जिनमें चीन सबसे बड़ा विकल्प बनकर उभर रहा है.

अमेरिका में घटते ऑर्डर से चिंता

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, पिछले साल भारत ने अमेरिका को लगभग 17 मिलियन किलोग्राम चाय निर्यात की थी. लेकिन इस साल मई तक यह आंकड़ा केवल 6.26 मिलियन किलोग्राम पर ही सिमट गया है. टैरिफ बढ़ने के कारण अमेरिकी खरीदार पहले से किए गए ऑर्डर भी रद्द कर रहे हैं. भारतीय चाय निर्यातकों के संगठन का कहना है कि अलग-अलग खरीदार अपनी क्षमता और सेगमेंट के हिसाब से अलग रवैया अपना रहे हैं, जिससे बाजार में दबाव और बढ़ गया है.

चीन में दिख रही नई संभावनाएं

निर्यातकों के मुताबिक, चीन एक बड़ा चाय बाजार है और भारत-चीन के बीच रिश्ते भी हाल में बेहतर हो रहे हैं. पिछले साल भारत ने चीन को लगभग 6-7 मिलियन किलोग्राम चाय निर्यात की थी. विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में इसमें बड़ा इजाफा किया जा सकता है. हालांकि, इसके लिए चीनी उपभोक्ताओं तक पहुंच बनाने और प्रमोशन के लिए बड़े निवेश की जरूरत है. निर्यातक चाहते हैं कि सरकार इस दिशा में वित्तीय सहायता दे ताकि भारत की चाय को वहां मजबूती से पेश किया जा सके.

प्रमोशन और जागरूकता की चुनौती

नए बाजार में कदम रखने के लिए उपभोक्ताओं को जागरूक करना जरूरी है. इसके लिए चाय टेस्टिंग जैसे प्रमोशन कार्यक्रमों की आवश्यकता होती है. लेकिन फिलहाल सरकार की ओर से प्रमोशन के लिए कोई विशेष फंडिंग नहीं मिल रही है. निर्यातकों का कहना है कि इस संकट की घड़ी में सरकार को तुरंत मदद करनी चाहिए.

कीटनाशक अवशेष और अंतरराष्ट्रीय मानक

चाय निर्यातकों के सामने एक और बड़ी चुनौती MRL (Maximum Residue Level) यानी कीटनाशक अवशेष का पालन है. भारतीय चाय उत्पादकों में से लगभग 98 फीसदी अभी भी FSSAI के मानकों का सही पालन नहीं कर पा रहे हैं. इस वजह से यूरोप, जापान और पश्चिमी देशों में भारत की चाय को लेकर सीमित अवसर मिल रहे हैं. अगर भारत को अपने निर्यात को बढ़ाना है, तो सरकार को इस दिशा में सख़्त कदम उठाने होंगे.

भारतीय चाय निर्यात का हाल

हालांकि चुनौतियों के बावजूद जनवरी से मई 2025 के बीच भारतीय चाय निर्यात में मूल्य के लिहाज से 15 फीसदी और प्रति यूनिट कीमत के लिहाज से 16 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. वहीं, 2024 में भारत ने कुल 254.67 मिलियन किलोग्राम चाय का निर्यात किया था, जो 2023 के 231.69 मिलियन किलोग्राम से लगभग 10 फीसदी ज्यादा था. यह इशारा करता है कि वैश्विक स्तर पर भारतीय चाय की मांग अब भी बनी हुई है.

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