छोटे चाय उत्पादक मांग कर रहे हरी पत्तियों के लिए MSP, सस्ते आयात पर लगे 100 फीसदी शुल्क

भारत में लगभग 2.5 लाख छोटे चाय उत्पादक हैं. ये छोटे किसान देश में पैदा होने वाली कुल चाय का आधे से अधिक हिस्सा तैयार करते हैं. हालांकि इनके पास उत्पादन की लागत कम करने की सीमित सुविधा है और बाजार में कीमतें स्थिर न होने के कारण अक्सर वे आर्थिक दबाव में आ जाते हैं.

नई दिल्ली | Published: 6 Sep, 2025 | 12:00 PM

देश के छोटे चाय उत्पादक (STGs) अपनी मेहनत की कमाई बचाने और उद्योग में टिके रहने के लिए सरकार से ग्रीन चाय पत्तियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लागू करने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर उन्हें उचित मूल्य नहीं मिलता है, तो मजबूरी में उन्हें नुकसान पर चाय बेचनी पड़ती है.

छोटे चाय उत्पादक- देश की चाय की रीढ़

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, भारत में लगभग 2.5 लाख छोटे चाय उत्पादक हैं. ये छोटे किसान देश में पैदा होने वाली कुल चाय का आधे से अधिक हिस्सा तैयार करते हैं. हालांकि इनके पास उत्पादन की लागत कम करने की सीमित सुविधा है और बाजार में कीमतें स्थिर न होने के कारण अक्सर वे आर्थिक दबाव में आ जाते हैं. कई बार उन्हें मजबूरी में अपनी फसल बहुत कम दाम पर बेचना पड़ता है.

MSP की मांग

छोटे चाय उत्पादकों की एक प्रतिनिधि मंडल ने हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय से मुलाकात की. उन्होंने ग्रीन चाय पत्तियों के लिए प्रति किलो 35 रुपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लागू करने की मांग की. उनका कहना है कि इस मूल्य से वे मजबूरी में नुकसान पर चाय बेचने से बच सकेंगे और उनकी आमदनी सुरक्षित रहेगी.

नीति और पारदर्शिता में सुधार

छोटे चाय उत्पादक संघ (CISTA) के अध्यक्ष बिजॉय गोपाल चक्रवर्ती ने बताया कि मंत्रालय इस मामले में ग्राउंड-लेवल अध्ययन करेगा और एक राष्ट्रीय मूल्य निर्धारण समिति गठित करेगा. यह समिति सुनिश्चित करेगी कि MSP लागू करने का काम सही, पारदर्शी और सभी के लिए लाभकारी हो.

किसान समान लाभ के पात्र

CISTA ने यह भी कहा कि छोटे चाय उत्पादकों को कृषि किसानों के समान माना जाए और उन्हें केंद्र सरकार की कल्याण योजनाओं का लाभ मिले. इससे उनका जीवन स्तर सुधरेगा और वे अपनी खेती में बेहतर निवेश कर सकेंगे.

सरकार की प्रतिक्रिया

बिजॉय गोपाल चक्रवर्ती के अनुसार, मंत्रालय ने माना है कि छोटे चाय उत्पादक देश के चाय उद्योग की रीढ़ हैं. सरकार उन्हें सभी नीतिगत सहायताएं देगी ताकि उनका काम लगातार टिके रहे. MSP लागू होने से उनके लिए आर्थिक स्थिरता आएगी और वे बेहतर उत्पादन कर पाएंगे.