काजू व्यापारियों को राहत- MSC जहाज जब्त, हाईकोर्ट ने मांगा 6 करोड़ का मुआवजा

MSC Elsa 3 नाम का यह जहाज 640 कंटेनरों के साथ कोच्चि के पास समुद्र में डूब गया था. इसमें 13 जहरीले रसायन वाले कंटेनर, 12 कंटेनर कैल्शियम कार्बाइड से भरे हुए थे, और साथ ही भारी मात्रा में डीजल और फर्नेस ऑयल भी लदा था. इससे समुद्री पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 13 Jun, 2025 | 08:36 AM

केरल के तटीय इलाकों में मई के आखिरी सप्ताह में एक बड़ा समुद्री हादसा हुआ, जब लाइबेरियाई झंडे वाले जहाज MSC Elsa 3 अरब सागर में डूब गया. इस हादसे के बाद समुद्र में जहरीले रसायनों का रिसाव, तेल फैलाव और मछुआरों की आजीविका पर संकट के कारण राज्य सरकार ने इसे “स्टेट स्पेसिफिक डिजास्टर” घोषित कर दिया था. लेकिन अब इस हादसे का असर कानूनी मोर्चे पर भी दिखने लगा है.

दरअसल, काजू व्यापारियों के एक समूह ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, क्योंकि उनका करोड़ों का माल इसी डूबे हुए जहाज में था. इन व्यापारियों का कहना है कि न तो जहाज मालिकों ने माल सुरक्षित डिलीवर किया, और न ही उनके नुकसान की भरपाई की कोशिश की.

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने MSC कंपनी के एक अन्य जहाज MSC Manafa F को रुकवाने का बड़ा आदेश दिया है. यह जहाज केरल के विजिंजम पोर्ट पर लंगर डाले हुए था, और रवाना होने ही वाला था. लेकिन कोर्ट ने कहा है कि जब तक कंपनी 6 करोड़ रुपये का मुआवजा कोर्ट में जमा नहीं करती, तब तक जहाज को भारत की समुद्री सीमा छोड़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी.

क्या है पूरा मामला?

MSC Elsa 3 नाम का यह जहाज 640 कंटेनरों के साथ कोच्चि के पास समुद्र में डूब गया था. इसमें 13 जहरीले रसायन वाले कंटेनर, 12 कंटेनर कैल्शियम कार्बाइड से भरे हुए थे, और साथ ही भारी मात्रा में डीजल और फर्नेस ऑयल भी लदा था. इससे समुद्री पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा. कई कंटेनर अब तट पर बहकर आ चुके हैं, जिससे कोल्लम, एर्नाकुलम और अलप्पुझा जिलों के मछुआरों की आजीविका पर असर पड़ा है.

केरल पुलिस ने जहाज के मालिक, कप्तान और क्रू पर लापरवाही और खतरनाक माल के प्रबंधन में गड़बड़ी के आरोप में FIR भी दर्ज की है. साथ ही, मरीन रूट में बाधा पहुंचाने और समुद्री जीवन को खतरे में डालने के लिए भी मामला दर्ज हुआ है.

अदालत का फैसला क्यों अहम है?

यह केस इसलिए भी अहम है क्योंकि यह भारत में समुद्री कानूनों और व्यापारियों के अधिकारों को लेकर एक नई मिसाल बन सकता है. कोर्ट ने साफ कहा है कि जब तक मुआवजे की राशि जमा नहीं होती, MSC Manafa F को छोड़ा नहीं जाएगा. इससे न सिर्फ कैश्यू व्यापारियों को उम्मीद की एक किरण मिली है, बल्कि यह संदेश भी गया है कि अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को भारतीय समुद्री और कारोबारी नियमों का पालन करना ही होगा. अब अगली सुनवाई 16 जून को होगी, जिसमें देखा जाएगा कि MSC कंपनी कोर्ट के आदेशों का पालन करती है या नहीं.

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Published: 13 Jun, 2025 | 08:31 AM

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