Onion Rate Fall: मध्य प्रदेश के मंदसौर में प्याज के रेट काफी कम हो गए हैं. ऐसे में किसान लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. ऐसे में नाराज किसानों ने प्रदर्शन किया. साथ ही किसानों ने प्याज के अंतिम संस्कार का आयोजन किया. इस दौरान ढोल और बैंड-बाजे के साथ प्याज की ‘अंतिम क्रियाएं’ निभाई गईं. दरअसल, मालवा-नीमर क्षेत्र देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक इलाकों में से एक है. यहां के किसानों का कहना है कि उन्हें मंडियों में प्याज के लिए सिर्फ 1 से 10 रुपये प्रति किलो मिल रहे हैं. कई जगह कीमत सिर्फ 1 से 2 रुपये प्रति किलो है, जबकि उत्पादन लागत 10 से 12 रुपये प्रति किलो होती है. इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, किसान बदरी लाल ढाकड़ ने कीमत गिरने से नाराज होकर प्याज का प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया. उन्होंने कहा कि प्याज का यह जुलूस इसलिए निकाला गया, क्योंकि हमें उचित मूल्य नहीं मिल रहा. बहुत सारे खर्च हो चुके हैं. अगर सरकार नहीं जागी तो हम क्या करें? अगर अपनी लागत भी नहीं निकाल पाए तो हम कहां जाएंगे?
किसानों की क्या है शिकायत
किसान देवी लाल विश्वकर्मा ने कहा कि उन्होंने अंतिम संस्कार इसलिए किया क्योंकि प्याज हमारे लिए बच्चों जैसा है. प्याज हमारे परिवार का हिस्सा है. दूसरी फसल अधिक बारिश के कारण खराब हो गई थी. सलिए हमने उनकी अंतिम क्रियाएं कीं. उन्होंने कहा कि सरकार ऐसा मूल्य नहीं दे रही जो हमारी लागत तक भी पूरी कर सके. किसानों का कहना है कि प्याज पर लंबे समय से लगी 25 प्रतिशत निर्यात शुल्क ने भारतीय प्याज को विदेशों में प्रतिस्पर्धी नहीं रहने दिया है. इसके कारण निर्यात में तेजी से गिरावट आई है. देश में स्टॉक बढ़ गया है और मंडी में कीमतें बहुत नीचे गिर गई हैं.
किसानों की ये है मांग
किसानों का दावा है कि कई बार अपील करने के बावजूद केंद्र ने निर्यात शुल्क नहीं घटाया, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब केंद्रीय कृषि मंत्री हैं. तहसीलदार रोहित सिंह राजपूत ने कहा कि किसान चाहते हैं कि प्याज की कीमत बढ़ाई जाए. सरकार को प्याज का समर्थन मूल्य पर खरीद करना चाहिए. उन्होंने ज्ञापन दिया है. कुछ अंतिम संस्कार भी किए गए. इसे कलेक्टर को रिपोर्ट किया जाएगा और उनके माध्यम से सरकार को भी जानकारी दी जाएगी.
ऐसे भी मंदसौर जिले के किसानों की कृषि संबंधी विरोध की लंबी परंपरा रही है. यहां के किसानों ने चेतावनी दी है कि यह ‘अंत्येष्टि जुलूस’ केवल शुरुआत है. उन्होंने कहा कि अगर निर्यात शुल्क नहीं हटाया गया और उचित मूल्य जल्दी नहीं मिले, तो वे पूरे इलाके में प्रदर्शन को और तेज करेंगे.