Onion Farming: बिहार और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में अधिकांश किसानों ने रबी प्याज की बुवाई पूरी कर ली है. लेकिन कई किसान ऐसे भी हैं, जो अभी प्याज की बुवाई करने के लिए खेत ही तैयार कर रहे हैं. क्योंकि इस समय का मौसम ठंडा और स्थिर होता है. ऐसे में प्याज की बुवाई करने पर कंद अच्छे से बढ़ते हैं. इससे पैदावार में बढ़ोतरी होती है और किसानों को मार्केट में उचित रेट मिलता है. लेकिन कई ऐसे किसान हैं, जिनकी शिकायत है कि उनकी खेत में लगे प्याज के कंद का साइज बड़ा नहीं हो पाता. इससे उन्हें बेहतर कीमत नहीं मिल पाती है. लेकिन अब ऐसे किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम कुछ ऐसे टिप्स के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसे अपनाते ही कंद का साइज बड़ा हो जाएगा और पैदावार भी बढ़ जाएगी.
दरअसल, रबी प्याज की बुवाई के लिए नर्सरी सितंबर के आखिरी हफ्ते से अक्टूबर तक लगाई जाती है और पौधों की रोपाई नवंबर से दिसंबर के बीच की जाती है. ठंडे मौसम में उगाई गई फसल आकार, गुणवत्ता और भंडारण क्षमता में खरीफ फसल से बेहतर होती है. ऐसे भी सर्दियों में किसान बड़े पैमाने पर प्याज की रोपाई करते हैं, लेकिन अच्छी पैदावार और ज्यादा मुनाफा पाने के लिए सही तकनीक अपनाना बेहद जरूरी है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, प्याज की खेती में पौध तैयार करना सबसे महत्वपूर्ण चरण है. अगर किसान सही तरीके से नर्सरी तैयार करें और रोपाई करें, तो कम लागत में ज्यादा उत्पादन और आय बढ़ा सकते हैं.
इस तरह तैयार करें नर्सरी और इन किस्मों का करें चुनाव
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, जो किसान लंबे समय से प्याज की खेती कर रहे हैं, उन्हें कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि फसल अच्छी हो और मुनाफा बढ़े. वैज्ञानिकों का कहना है कि किसान प्याज की खेती के लिए एग्रीफाउंड डार्क रेड, एग्रीफाउंड लाइट रेड और ऊषारत्ना जैसी उन्नत किस्में चुनें. साथ ही बीज को एक दिन पहले पानी में भिगोना चाहिए, ताकि अंकुरण बेहतर हो. पौध को बहुत घना न रखें, इसलिए 6 इंच ऊंची और 1 मीटर चौड़ी बेड बनाकर नर्सरी तैयार करें. बेड में जैविक खाद मिलाकर लाइनों में बीज बोएं. फिर सिंचाई करें और ऊपर से धान का पुआल या मक्के के डंठल से हल्का ढक दें.
40-45 दिन में पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाता है
जैसे ही बीज अंकुरित होने लगें, ढकाव हटा दें और नालियों में हल्का पानी देते रहें. लगभग 40- 45 दिन में पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाता है और उसी बेड विधि से मुख्य खेत में लगाया जाता है. ऐसे में रोपाई के बाद खरपतवार प्याज की फसल को काफी नुकसान पहुंचाते हैं. इसे रोकने के लिए किसान प्रति हेक्टेयर 1 किलो पेंडिमैथलिन दवा को बालू में मिलाकर छिड़क सकते हैं. इससे खरपतवार नियंत्रित रहते हैं और फसल पर कोई नुकसान नहीं होता. इस वैज्ञानिक विधि से किसान प्रति हेक्टेयर 35 से 45 टन तक उत्पादन ले सकते हैं.