Mandi Bhav: प्याज के रेट में जबरदस्त उछाल, लासलगांव मंडी में 2200 रुपये क्विंटल हुआ रेट
नासिक जिले में प्याज की खेती फिर रफ्तार पकड़ रही है. सितंबर की बारिश से शुरुआती खरीफ फसल को भारी नुकसान हुआ, लेकिन देर खरीफ बुवाई तेजी से बढ़ रही है. बारिश से प्याज की आवक घटने पर थोक कीमतें बढ़कर 2200 रुपये क्विंटल पहुंच गई हैं.
Maharashtra News: महाराष्ट्र के नासिक जिले में प्याज की खेती एक बार फिर तेजी से पटरी पर लौट रही है. सितंबर की तेज बारिश से करीब 50,000 हेक्टेयर में बोई गई शुरुआती खरीफ प्याज की 80 फीसदी फसल खराब हो गई थी. इसके बावजूद किसान अब देर से बोई जाने वाली खरीफ प्याज की बुवाई कर रहे हैं, जो आमतौर पर सितंबर के दूसरे हिस्से से नवंबर के अंत तक जा रहती है. वहीं, बारिश की वजह से प्याज की आवक कम हो गई है, जिससे थोक बाजारों में दाम बढ़ गए हैं. पिछले दो हफ्तों में प्याज का औसत थोक भाव 1,075 रुपये से बढ़कर 1,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. मंगलवार को देश के सबसे बड़े प्याज बाजार, लासलगांव एपीएमसी में प्याज का औसत थोक भाव 1,680 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया. उस दिन न्यूनतम कीमत 600 रुपये और अधिकतम 2,200 रुपये प्रति क्विंटल रही, जबकि करीब 11,000 क्विंटल प्याज की नीलामी हुई.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार नासिक जिले में करीब 65,000 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य है, जिसमें से अब तक 55,000 हेक्टेयर में बुवाई पूरी हो चुकी है, जो हर साल के औसत 42,000 हेक्टेयर से काफी ज्यादा है. पिछले महीने की बारिश से इन नई फसलों में से 11,000 हेक्टेयर को नुकसान हुआ, लेकिन करीब 42,000 हेक्टेयर की फसल सुरक्षित है. आने वाले दो से तीन हफ्तों में अतिरिक्त 15,000 हेक्टेयर में और प्याज की बुवाई होने की उम्मीद है.
करीब 12 लाख टन प्याज उत्पादन की उम्मीद
आमतौर पर खरीफ प्याज की बुवाई 15 जुलाई से 15 सितंबर के बीच होती है, जबकि देर खरीफ प्याज 15 सितंबर से 15 नवंबर तक बोई जाती है. लेकिन इस साल मौसम के अनियमित होने की वजह से दोनों सीजन की बुवाई में देरी हुई, जिससे फसल की कटाई अब दिसंबर की शुरुआत में होने की संभावना है. अगर अगले तीन महीने मौसम अनुकूल रहा, तो कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक नासिक जिला दिसंबर से मार्च के बीच करीब 12 लाख टन प्याज का उत्पादन कर सकता है.
मार्च-अप्रैल में होती है प्याज की कटाई
इस समय बाजार में जो प्याज आ रही है, वह ज्यादातर गर्मी की फसलहै, जिसकी कटाई हर साल मार्च-अप्रैल में होती है. समर प्याज को छह से सात महीने तक स्टोर किया जा सकता है. इसलिए किसान इसे बेहतर दाम मिलने तक संभालकर रख सकते हैं और अपनी जरूरत के अनुसार बेचते हैं. इसके विपरीत, खरीफ और देर खरीफ प्याज ज्यादाा दिन नहीं टिकती. इसकी शेल्फ लाइफ एक महीने से भी कम होती है. इसलिए किसानों को इसे तुरंत बाजार में बेचना पड़ता है.
40,000 हेक्टेयर में बारिश से फसल बर्बाद
आमतौर पर मई से अक्टूबर तक बाजार में स्टोर की हुई समर प्याज ही चलती है, क्योंकि नई फसल अक्टूबर के मध्य तक नहीं आती. लेकिन इस साल बुवाई एक महीने से ज्यादा देर से हुई और सितंबर की भारी बारिश ने हालात और बिगाड़ दिए. कुल 50,000 हेक्टेयर में से करीब 40,000 हेक्टेयर (यानी 80 फीसदी) की शुरुआती खरीफ प्याज की फसल खराब हो गई. इसके चलते नई प्याज की कटाई अब नवंबर के पहले हफ्ते से शुरू होने की उम्मीद है.