Wheat Sowing: उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश सहित राज्यों में गेहूं की बुवाई शुरू हो गई है. लेकिन कई किसान अभी धान की कटाई ही कर रहे हैं. ऐसे में धान की कटाई कर रहे किसानों के लिए यह खबर बहुत ही जरूरी है. अगर ये किसान गेहूं की बुवाई करना चाहते हैं, तो मिट्टी की जांच जरूर करा लें. क्योंकि फसल की सफलता का पहला कदम मिट्टी की जांच ही है. इससे खेत में नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटाश (K) और अन्य सूक्ष्म तत्वों की स्थिति का पता चलता है. अगर किसान मिट्टी की जांच कराते हैं, तो खेती करने में असानी होती है. ऐसे प्रति हेक्टेयर 120 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा फॉस्फोरस और 40 किग्रा पोटाश की जरूरत होती है.
एक्सपर्ट के मुताबिक, मिट्टी की जांच किसानों की इनकम बढ़ाने और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाती है. गेहूं की अच्छी फसल के लिए सही बुवाई का समय और अंकुरण बहुत जरूरी है. अगर मिट्टी में प्रयाप्त मात्रा में पोषक तत्व मौजूद रहेंगे, तो बीजों के अंकुरण सही तरह से होगा. ऐसे बीज के अंकुरण के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे उपयुक्त माना जाता है.
ये हैं गेहूं की उन्नत किस्में
साथ ही खेत में नमी और ऑक्सीजन पर्याप्त होनी चाहिए, लेकिन जलभराव से बचना जरूरी है. दोमट मिट्टी और 6.0 से 7.5 pH वाली भूमि गेहूं के लिए सबसे अच्छी होती है. बुवाई से पहले मिट्टी में हल्की नमी बनाए रखें और बीजों को 3 से 5 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं, ताकि अंकुरण समान रूप से हो सके. बेहतर उत्पादन के लिए क्षेत्र के अनुसार उपयुक्त किस्में चुनें. उत्तर भारत के लिए HD 2967, HD 3086 और WH 1105 जैसी किस्में बहुत कारगर साबित हुई हैं. यानी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान इन किस्मों का चुनाव कर सकते हैं.
बुवाई से पहले करें बीजों का उपचार
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, बीज की गुणवत्ता अंकुरण दर को प्रभावित करती है. इसलिए कम से कम 85 अंकुरण क्षमता वाले प्रमाणित बीज ही इस्तेमाल करें. बुवाई से पहले बीजों को थिरम (3 ग्राम/किग्रा) या टेबुकोनाजोल (1.25 ग्राम/किग्रा) जैसे फफूंदनाशकों से उपचारित करें. साथ ही एजोटोबैक्टर या पीएसबी (PSB) जैसे जैव उर्वरकों का उपयोग जड़ विकास और पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाने में मदद करता है. अगर मिट्टी की उर्वरता और जलधारण क्षमता बढ़ाना चाहते हैं, तो जैविक खाद या सड़ी हुई गोबर खाद डालना बहुत फायदेमंद रहेगा. खेत की गहरी जुताई करने से नीचे की कठोर परत टूट जाती है, जिससे जड़ों को फैलने में आसानी होती है.
20 से 25 दिन बाद पहली सिंचाई
खास बात यह है कि गेहूं बुवाई के 20 से 25 दिन बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए. खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई से पहले ग्लाइफोसेट (1.0 फीसदी घोल) का छिड़काव करना फायदेमंद होता है. रोग और कीट नियंत्रण के लिए रस्ट, ब्लाइट और एफिड्स पर नियमित निगरानी रखें ताकि फसल को नुकसान न हो.