बुवाई से पहले करें सीड प्राइमिंग, बीजों के तेज अंकुरण में करता है मदद

प्राइमिंग की मदद से कई बार बीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है. इसके इस्तेमाल से पौधे मजबूत और स्वस्थ होते हैं. इसकी खासियत ये है कि इस तकनीक के इस्तेमाल से बीज कम नमी में भी अंकुरित होते है.

नोएडा | Published: 15 Jun, 2025 | 05:32 PM

किसी भी बीज की बुवाई से पहले जरूरी होता है कि उस बीज का उपचार कर लिया जाए. ताकि बीजों का अंकुरण तेजी से हो और और उनसे अच्छी उपज मिल सके. बीजों के उपचार के लिए एक ऐसी ही आधनिक तकनीक है जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से पानी, पोषक तत्वों या जैविक घोल में भिगोया जाता है ताकि बीजों का अंकुरण अच्छा और एक जैसा हो. इस तकनीक को सीड प्राइमिंग कहते हैं. खबर में आगे बात करेंगे कि क्या है सीड प्राइमिंग और क्या हैं इसके फायदे.

क्या है सीड प्राइमिंग

सीड प्राइमिंग एक आधुनिक तकनीक है जिसका इस्तेमाल बीजों की बुवाई से पहले किया जाता है. इस तकनीक में बीजों को एक तय समय के लिए पानी या अन्य घोलों में भिगोया जाता है. जिसके कारण बीजों में अंकुरण से पहले होने वाली प्रक्रिया शुरू हो जाती है. सीड प्राइमिंग हो जाने के बाद बीजों को सुखाया जाता है ताकि वे बोने लायक हो सकें.

क्या हैं इसके फायदे

सीड प्राइमिंग से कई तरह के फायदे होते हैं जैसे फसल जल्दी औक एकसमान उगती है. प्राइमिंग की मदद से कई बार बीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है. इसके इस्तेमाल से पौधे मजबूत और स्वस्थ होते हैं. इसकी खासियत ये है कि इस तकनीक के इस्तेमाल से बीज कम नमी में भी अंकुरित होते है.

सीड प्राइमिंग करने का तरीका

सीड प्राइमिंग के लिए सबसे पहले अच्छी क्वालिटी वाले साफ बीजों का चुनाव करें. इसके बाद इन बीजो को पानी में या अन्य किसी घोल में 6 से 12 घंटे के लिए भिगोकर रख दें. तय समय के बाद बीजों को घोल से निकालकर छांव में सूखने के लिए फैलाकर रख दें. ध्यान रहे कि एक बार ये बीज सूख जाएं तो तुरंत इन बीजों की बुवाई करें.

किन फसलों के लिए कितना समय

अलग-अलग फसलों के लिए प्राइम सीडिंग का समय अलग-अलग होता है . जैसे धान की खेती से पहले बीजों को घोल में 12 से 24 घंटे भिगोया जाता है. गेहूं के लिए 8 से 12 घंटे, मक्का के लिए 8 से 10 घंटे, चना की फसल के लिए 6 से 8 घंटे और मूंगफली की फसल के लिए बीजों को करीब 6 घंटे तक घोल में भिगोकर रखा जाता है.