किसान नहीं निकाल पा रहे लागत, गिरकर 180 रुपये क्विंटल हुआ आलू.. अन्नदाता की सरकार से अपील

यूनियन ने मांग की है कि MFMB पोर्टल पर दर्ज फसलों की जांच जल्दी पूरी की जाए. साथ ही लाल और सफेद आलू के लिए अलग-अलग औसत भाव तय किए जाएं और किसानों को बाजार में मिले असली बिक्री भाव के आधार पर मुआवजा दिया जाए.

नोएडा | Updated On: 29 Dec, 2025 | 12:02 PM

Mandi Bhav: हरियाणा के अंबाला में सफेद आलू की कीमतें लगातार गिरने से किसान परेशान हैं. उन्हें अपनी फसल का सही दाम नहीं मिल पा रहा, इसलिए किसान अब सरकार से मदद की मांग कर रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि बाजार में आलू की सप्लाई ज्यादा है और मांग सामान्य बनी हुई है. इसी वजह से दाम नीचे हैं. ऐसे में किसानों को घाटा हो रहा है, जिस पर किसान यूनियन ने दखल देते हुए सरकार से किसानों के हित में कदम उठाने को कहा है, वरना आंदोलन की चेतावनी दी है. फिलहाल सफेद आलू का भाव 180 से 480 रुपये प्रति क्विंटल है, जो लागत से भी कम है. वहीं लाल आलू 500 से 775 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है, लेकिन यह भी पिछले साल के मुकाबले कम है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, आलू किसानों का कहना है कि कम दाम, फंगल बीमारी, बढ़ती मजदूरी, भंडारण और ट्रांसपोर्ट का खर्च उनकी मुश्किलें बढ़ा रहा है. इस महीने की शुरुआत में आलू के दाम कुछ बेहतर हुए थे, लेकिन ज्यादा आवक के कारण फिर से गिर गए. वहीं, भारतीय किसान यूनियन (चढुनी) ने हरियाणा सरकार  से मांग की है कि आलू किसानों को हो रहे नुकसान से बचाया जाए. यूनियन ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि बाजार में दाम काफी गिर चुके हैं और किसानों को सही कीमत नहीं मिल रही. सरकार की भावांतर भरपाई योजना (BBY) के तहत 600 रुपये प्रति क्विंटल से कम दाम पर बिकने वाली फसल का मुआवजा मिलता है, लेकिन सफेद आलू किसानों को इससे पूरा फायदा नहीं मिल पा रहा है.

आलू की औसत कीमत तय करने का तरीका गलत

किसान यूनियन का कहना है कि भावांतर भरपाई योजना (BBY) के तहत आलू की औसत कीमत तय करने का तरीका गलत है. सरकार सफेद और लाल दोनों किस्मों के आलू के दाम को मिलाकर औसत निकालती है. जबकि लाल और डायमंड किस्म के आलू खास किस्म  होते हैं और इनके दाम ज्यादा मिलते हैं. इससे औसत भाव ऊपर चला जाता है और सफेद आलू उगाने वाले किसानों को सही मुआवजा नहीं मिल पाता. यूनियन का यह भी कहना है कि आलू का सुरक्षित मूल्य कम से कम 800 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए, क्योंकि मौजूदा 600 रुपये प्रति क्विंटल की दर उत्पादन लागत भी पूरी नहीं कर पा रही है.

किसान यूनियन की ये हैं मांगें

यूनियन ने मांग की है कि MFMB पोर्टल पर दर्ज फसलों की जांच जल्दी पूरी की जाए. साथ ही लाल और सफेद आलू के लिए अलग-अलग औसत भाव तय किए जाएं और किसानों को बाजार में मिले असली बिक्री भाव के आधार पर मुआवजा दिया जाए. यूनियन का कहना है कि जो भी किसान सुरक्षित मूल्य से कम दाम पर आलू बेच रहे हैं, उन्हें BBY का पूरा लाभ मिलना चाहिए. किसानों का कहना है कि बाजार में कम दाम होने के साथ-साथ फंगल बीमारी ने उनकी लागत और बढ़ा दी है, क्योंकि बीमारी से बचाव के लिए महंगी दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. किसान सरकार से मांग कर रहे हैं कि बीमारी से सस्ते और असरदार तरीके से निपटने के लिए जागरूकता शिविर लगाए जाएं. BKU (चढ़ूनी) के प्रवक्ता और आलू किसान राकेश बैन्स ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने जल्द कोई कदम नहीं उठाया, तो यूनियन आंदोलन शुरू करेगी.

Published: 29 Dec, 2025 | 11:56 AM

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